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राजस्थान एकीकरण दिवस: राज्य के 30 जिलों में मेडिकल कॉलेज, 10 में से 9 व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस से कवर

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Published : Oct 30, 2022, 8:13 PM IST

राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया 1 नवंबर, 1956 को पूरी हुई. तब से लेकर अब तक प्रदेश ने मेडिकल क्षेत्र में शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं. एकीकरण के दौरान राज्य में एसएमएस ही महज एक मेडिकल कॉलेज था. अब प्रदेश के 30 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर काम हो रहा (Medical colleges in Rajasthan) है. प्रदेश में चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना की बदौलत 10 में से 9 व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस से कवर है. आइए जानते हैं राज्य ने मेडिकल फील्ड में अब तक कितनी प्रगति की है...

Integration day of Rajasthan
राजस्थान एकीकरण दिवस: राज्य के 30 जिलों में मेडिकल कॉलेज, 10 में से 9 व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस से कवर

जयपुर. आजादी के बाद 30 मार्च, 1949 को राजस्थान में एकीकरण की प्रक्रिया को शुरू किया गया था. 1 नवंबर, 1956 को एकीकरण से जुड़ा कार्य पूरा हुआ. राजस्थान को एकीकरण से पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था. राजस्थान के एकीकरण के दौरान 26 जिले बने थे, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे नए जिले बनते गए. आज राजस्थान में कुल 33 जिले हैं. बीते छह दशकों में राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में कई बदलाव हुए. आज राजस्थान चिकित्सा क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में माना जाता है. इसके अलावा राजस्थान देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां 88 फीसदी लोग किसी ना किसी हेल्थ इंश्योरेंस से कवर्ड (Health insurance coverage in Rajasthan) हैं, जिसमें चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ने वाले लोगों का बड़ा आंकड़ा है.

राजस्थान के एकीकरण के दौरान प्रदेश में सिर्फ एकमात्र एसएमएस मेडिकल कॉलेज मौजूद था, जिसकी स्थापना 1947 में की गई थी. 6 दशक बीत जाने के बाद अब राजस्थान में निरंतर मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र से नए आयाम स्थापित किए हैं. राजस्थान के एसएमएस में उत्तर भारत का पहला ह्रदय प्रत्यारोपण किया गया. निशुल्क दवा और जांच योजना की को पूरे देश में सराहा गया. इसके बाद देश के अन्य राज्यों ने भी निशुल्क दवा और जांच योजना को लागू किया. एक सर्वे के मुताबिक देशभर के राज्यों में राजस्थान में सर्वाधिक लोग हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आते हैं. आइए जानते हैं राजस्थान के एकीकरण के बाद चिकित्सा क्षेत्र में किस तरह के बदलाव देखने को मिले हैं:

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33 जिलों में मेडिकल कॉलेज: राजस्थान का जब एकीकरण शुरू हुआ, तब प्रदेश में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अलावा अन्य कोई मेडिकल कॉलेज मौजूद नहीं था. मौजूदा समय में राजस्थान के 33 में से 30 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. इनमें से 16 जिलों में मेडिकल कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं और जल्द ही 4 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएंगे. इसके अलावा अन्य 10 जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने का काम भी राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी द्वारा शुरू कर दिया जाएगा. हालांकि जालौर प्रतापगढ़ और राजसमंद ही ऐसे जिले हैं जहां अभी तक सरकारी मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा नहीं हुई है. राज्य सरकार ने केंद्र को इन जिलों को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है.

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निशुल्क दवा और जांच योजना वरदान: प्रदेश में वर्ष 2011 में निशुल्क दवा योजना सरकार की ओर से शुरू की गई. निशुल्क जांच योजना भी प्रारंभ की गई. शुरुआती समय में कुछ आवश्यक दवाइयां ही इस योजना में शामिल की गईं, लेकिन मौजूदा समय में तकरीबन 1700 से अधिक दवाइयां निशुल्क दवा योजना में शामिल की जा चुकी हैं. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सभी तरह का इलाज निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है. राजस्थान एकमात्र ऐसा राज्य है जहां ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खर्च भी सरकार अपने स्तर पर वहन कर रही है. हाल ही में राज्य सरकार की ओर से सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में इलाज को लेकर कई फैसले भी किए गए हैं. जटिल से लेकर सामान्य बीमारियां तक का इलाज सरकारी अस्पतालों में निशुल्क किया जा रहा है.

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एसएमएस अस्पताल ने रचे कई इतिहास: राजस्थान के एकीकरण के बाद शुरुआती समय में सिर्फ एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अधीन एसएमएस अस्पताल में मरीजों का इलाज हुआ करता था. कई नामी चिकित्सक इस मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद आज चिकित्सा क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं. सवाई मानसिंह अस्पताल उत्तर भारत का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बना है जहां हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. हर वर्ष तकरीबन 35 लाख से अधिक मरीजों का इलाज एसएमएस अस्पताल में किया जाता है. राजस्थान से ही नहीं बल्कि देश के हर राज्य से मरीज अपना इलाज करवाने यहां पहुंचते हैं. इसका कारण है एसएमएस अस्पताल में मिलने वाला क्वालिटी इलाज. विदेशों से भी कई मरीज अपना इलाज करवाने एसएमएस पहुंचते हैं.

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हेल्थ इंश्योरेंस में अग्रणी: हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ओर से एक रिपोर्ट पेश की गई थी. जिसके अनुसार राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में पहले पायदान पर है. राजस्थान में लगभग 88% लोग स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आते हैं. यानी 10 में से 9 व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े हुए हैं. इसमें मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की सबसे बड़ी भागीदारी मानी जाती है. जबकि देश की बात करें, तो 5 में से सिर्फ 2 लोग ही स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आते हैं. मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की बात की जाए तो प्रदेश में लगभग 90 फीसदी परिवार इस योजना से जुड़े हुए हैं. जिनकी संख्या तकरीबन 1 करोड़ 35 लाख से अधिक है. अब तक इस योजना के तहत चिकित्सा विभाग ने 2900 करोड़ रुपए खर्च कर लोगों को निशुल्क इलाज उपलब्ध करवाया है.

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