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बारिश से खरीफ की फसल चारों खाने चित, खेतों में भरा पानी, रबी की बुवाई पर भी संकट

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Published : Sep 24, 2022, 5:37 PM IST

Updated : Sep 24, 2022, 6:44 PM IST

धौलपुर जिले में पिछले 10 दिन में रुक-रुककर हुई बारिश ने किसानों की लहलहाती (Rain damages Kharif Crops in Dholpur) फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. हालात यह है कि खेतों में पानी भर गया है और कटी बाजरा, तिल की फसल तैरने लगी है. किसानों ने उचित मुआवजे की मांग की है.

Kharif Crops in Dholpur
बारिश से खरीफ की फसल चारों खाने चित

धौलपुर. आसमान से गिरी आफत ने जिले भर में खरीफ फसल को चारों खाने चित कर (Rain damages Kharif Crops in Dholpur) दिया है. खेत तालाब के रूप में तब्दील हो गए हैं. खेतों में भरे पानी में कटी बाजरा और तिल की फसल तैरने लगी है. खेतों में पड़ा दाना बाली के अंदर फिर से अंकुरित होने लगा है. परेशानी यहीं तक नहीं रही, पशुओं को पालने के लिए चारे का भी संकट गहरा गया है. फसल खराब होने के बावजूद भी अभी तक प्रशासन की तरफ से फसल खराब होने के लेकर पैरवी नहीं की गई है.

किसानों ने बताया कि खरीफ फसल की बुवाई से लेकर अब तक का समय (Rain In Dholpur) अनुकूल रहा था. महंगे खाद, बीज और कीटनाशक डालकर फसल को पकाव तक पहुंचा दिया था. लेकिन सितंबर के महीने में सक्रिय हुए मानसून ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया. विगत 10 दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने खरीफ फसल को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है. सावन के महीने में भी इतना असर बारिश ने नहीं दिखाया था, जितना सितंबर माह में नजर आया है.

बारिश से खरीफ की फसल चारों खाने चित

किसानों ने बताया बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार और ज्वार की खेती जिले के किसानों की ओर से की जाती है. 10 दिन पूर्व बाजरे और तिल की फसल की कटाई की शुरुआत किसानों ने कर दी थी. कटाई की शुरुआत होने के बाद से ही मानसून सक्रिय हो गया और रुक-रुक कर हुई बारिश से खेतों में कटी पड़ी बाजरे और तिल की फसल पूरी तरह से तहस-नहस हो गई. फसल खेतों में सड़ने के कगार पर पहुंच चुकी है. खेतों में पड़ा दाना बाली के अंदर फिर से अंकुरित होने लगा है. दाना खराब होने के साथ चारा भी सड़ने लगा है.

पढ़ें. खरीफ फसल खोलेगी किसानों की किस्मत, रिकॉर्ड बुवाई से बंपर पैदावार की उम्मीद

फसल के साथ चारा भी बर्बादः किसान परिवारों के पास फसल के साथ परिवारों का भरण (Crisis for Kharif Crop framers in Dholpur) पोषण करने के लिए पशुपालन रहता है. रोजमर्रा का खर्चा किसान परिवारों का मवेशी पर ही टिका रहता है. लेकिन बारिश से चारा खराब होने के कारण मवेशी पालन के लिए भी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो रही है. किसान विनीत कुमार शर्मा ने बताया कि किसान खरीफ फसल में बाजरे का चारा रखते हैं. बाजरे के चारे के साथ हरा चारा जिसमें बरसी की बुवाई कर साथ में मिलाकर पशुओं को खिलाते हैं. बाजरे की फसल का चारा फरवरी से मार्च तक साथ देता है. इसके बाद रबी फसल जिसमें गेहूं का भूसा मवेशी के लिए तैयार हो जाता है. लेकिन खरीफ फसल बर्बाद होने के बाद किसान के पास मवेशी पालने के लिए कोई भी जरिया दिखाई नहीं दे रहा है. खरीफ फसल बर्बाद होने के साथ ही चारे के दामों में भी भारी बढ़ोतरी होनी तय है.

रबी फसल की बुवाई में होगी देरीः सितंबर के महीने में लगातार 10 दिन तक हुई बारिश से किसानों (Time of Sowing Rabi Crops) का खेती का गणित बिगड़ गया है. खरीफ फसल बर्बाद होने के साथ ही रबी फसल भी प्रभावित होगी. कृषि विभाग के पर्यवेक्षक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि रबी फसल में सबसे पहले सरसों की बुवाई का काम किया जाता है. 15 सितंबर से लेकर 15 अक्टूबर तक सरसों की बुवाई का समय अनुकूल माना जाता है. लेकिन बुवाई से पूर्व खेतों की निराई-गुड़ाई करने के साथ खरपतवार को हटाया जाता है. आखरी जुताई करने के बाद सरसों फसल की बुवाई की जाती है. इतनी कवायद करने में 10 से 12 दिन का समय किसानों को लगता है. लेकिन जिस प्रकार से पूर्वी राजस्थान में मानसून का दबाव बन रहा है, उसे देखते हुए निश्चित तौर पर सरसों की बुवाई प्रभावित होगी. सरसों के साथ ही आलू फसल भी बुवाई के लिए तैयार रहती है. वहीं गेहूं फसल बुवाई में भी ज्यादा अंतर नहीं रहता है.

Kharif Crops in Dholpur
खराब हुए फसल

पढ़ें. Special : अलवर में सूखा पड़ने से किसानों को भारी नुकसान, ये फसलें हुईं बर्बाद

कृषि विभाग के आंकड़े यह हैंः फसल खराबे को लेकर कृषि विभाग ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसको लेकर किसानों का कहना है कि खरीफ फसल में 50 फ़ीसदी से अधिक नुकसान हुआ है. वहीं कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विजय सिंह डागुर ने बताया कि जिले भर में फसल खराबे को लेकर सूचना एकत्रित की है. उन्होंने बताया कि खरीफ फसल खराबे की सूचना मुख्य सांख्यिकी अधिकारी कृषि आयुक्त जयपुर को प्रेषित कर दी गई है. डागुर के मुताबिक जिले भर में 88740 हेक्टेयर बाजरे की हुई है, जिसमें 25600 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है. अर्थात 25 से 30 फीसदी नुकसान होना बताया गया है. ज्वार 2027 हेक्टेयर में से 656 हेक्टेयर प्रभावित होना बताया है. वहीं तिल 2720 हेक्टेयर में से 950 हेक्टेयर 30 से 35 प्रतिशत प्रभावित हुई है. ग्वार 335 हेक्टेयर में से 150 हेक्टेयर प्रभावित हुई है. मूंग 200 हेक्टेयर में से 80 हेक्टेयर अर्थात 20 से 25 फीसदी नुकसान माना जा रहा है.

किसान कर रहे मुआवजे की मांगः किसान विनीत कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि के साथ बारिश से खरीफ और रबी की सभी फसलें प्रभावित होती रही हैं. केंद्र और राज्य सरकार किसानों की उन्नति के लिए बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन धरातल पर नतीजा दिखाई नहीं देता है. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार ने सबसे अधिक किसान को प्रभावित किया है. खाद, यूरिया और कीटनाशक दवाओं पर भारी महंगाई हुई है. इसके अलावा डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी होने से कृषि यंत्र साधनों को उपयोग करना भी किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में खरीफ़ फसल के नुकसान को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को गिरदावरी कराकर फसल का उचित मुआवजा किसानों को देना चाहिए.

धौलपुर. आसमान से गिरी आफत ने जिले भर में खरीफ फसल को चारों खाने चित कर (Rain damages Kharif Crops in Dholpur) दिया है. खेत तालाब के रूप में तब्दील हो गए हैं. खेतों में भरे पानी में कटी बाजरा और तिल की फसल तैरने लगी है. खेतों में पड़ा दाना बाली के अंदर फिर से अंकुरित होने लगा है. परेशानी यहीं तक नहीं रही, पशुओं को पालने के लिए चारे का भी संकट गहरा गया है. फसल खराब होने के बावजूद भी अभी तक प्रशासन की तरफ से फसल खराब होने के लेकर पैरवी नहीं की गई है.

किसानों ने बताया कि खरीफ फसल की बुवाई से लेकर अब तक का समय (Rain In Dholpur) अनुकूल रहा था. महंगे खाद, बीज और कीटनाशक डालकर फसल को पकाव तक पहुंचा दिया था. लेकिन सितंबर के महीने में सक्रिय हुए मानसून ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया. विगत 10 दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने खरीफ फसल को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है. सावन के महीने में भी इतना असर बारिश ने नहीं दिखाया था, जितना सितंबर माह में नजर आया है.

बारिश से खरीफ की फसल चारों खाने चित

किसानों ने बताया बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार और ज्वार की खेती जिले के किसानों की ओर से की जाती है. 10 दिन पूर्व बाजरे और तिल की फसल की कटाई की शुरुआत किसानों ने कर दी थी. कटाई की शुरुआत होने के बाद से ही मानसून सक्रिय हो गया और रुक-रुक कर हुई बारिश से खेतों में कटी पड़ी बाजरे और तिल की फसल पूरी तरह से तहस-नहस हो गई. फसल खेतों में सड़ने के कगार पर पहुंच चुकी है. खेतों में पड़ा दाना बाली के अंदर फिर से अंकुरित होने लगा है. दाना खराब होने के साथ चारा भी सड़ने लगा है.

पढ़ें. खरीफ फसल खोलेगी किसानों की किस्मत, रिकॉर्ड बुवाई से बंपर पैदावार की उम्मीद

फसल के साथ चारा भी बर्बादः किसान परिवारों के पास फसल के साथ परिवारों का भरण (Crisis for Kharif Crop framers in Dholpur) पोषण करने के लिए पशुपालन रहता है. रोजमर्रा का खर्चा किसान परिवारों का मवेशी पर ही टिका रहता है. लेकिन बारिश से चारा खराब होने के कारण मवेशी पालन के लिए भी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो रही है. किसान विनीत कुमार शर्मा ने बताया कि किसान खरीफ फसल में बाजरे का चारा रखते हैं. बाजरे के चारे के साथ हरा चारा जिसमें बरसी की बुवाई कर साथ में मिलाकर पशुओं को खिलाते हैं. बाजरे की फसल का चारा फरवरी से मार्च तक साथ देता है. इसके बाद रबी फसल जिसमें गेहूं का भूसा मवेशी के लिए तैयार हो जाता है. लेकिन खरीफ फसल बर्बाद होने के बाद किसान के पास मवेशी पालने के लिए कोई भी जरिया दिखाई नहीं दे रहा है. खरीफ फसल बर्बाद होने के साथ ही चारे के दामों में भी भारी बढ़ोतरी होनी तय है.

रबी फसल की बुवाई में होगी देरीः सितंबर के महीने में लगातार 10 दिन तक हुई बारिश से किसानों (Time of Sowing Rabi Crops) का खेती का गणित बिगड़ गया है. खरीफ फसल बर्बाद होने के साथ ही रबी फसल भी प्रभावित होगी. कृषि विभाग के पर्यवेक्षक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि रबी फसल में सबसे पहले सरसों की बुवाई का काम किया जाता है. 15 सितंबर से लेकर 15 अक्टूबर तक सरसों की बुवाई का समय अनुकूल माना जाता है. लेकिन बुवाई से पूर्व खेतों की निराई-गुड़ाई करने के साथ खरपतवार को हटाया जाता है. आखरी जुताई करने के बाद सरसों फसल की बुवाई की जाती है. इतनी कवायद करने में 10 से 12 दिन का समय किसानों को लगता है. लेकिन जिस प्रकार से पूर्वी राजस्थान में मानसून का दबाव बन रहा है, उसे देखते हुए निश्चित तौर पर सरसों की बुवाई प्रभावित होगी. सरसों के साथ ही आलू फसल भी बुवाई के लिए तैयार रहती है. वहीं गेहूं फसल बुवाई में भी ज्यादा अंतर नहीं रहता है.

Kharif Crops in Dholpur
खराब हुए फसल

पढ़ें. Special : अलवर में सूखा पड़ने से किसानों को भारी नुकसान, ये फसलें हुईं बर्बाद

कृषि विभाग के आंकड़े यह हैंः फसल खराबे को लेकर कृषि विभाग ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसको लेकर किसानों का कहना है कि खरीफ फसल में 50 फ़ीसदी से अधिक नुकसान हुआ है. वहीं कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विजय सिंह डागुर ने बताया कि जिले भर में फसल खराबे को लेकर सूचना एकत्रित की है. उन्होंने बताया कि खरीफ फसल खराबे की सूचना मुख्य सांख्यिकी अधिकारी कृषि आयुक्त जयपुर को प्रेषित कर दी गई है. डागुर के मुताबिक जिले भर में 88740 हेक्टेयर बाजरे की हुई है, जिसमें 25600 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है. अर्थात 25 से 30 फीसदी नुकसान होना बताया गया है. ज्वार 2027 हेक्टेयर में से 656 हेक्टेयर प्रभावित होना बताया है. वहीं तिल 2720 हेक्टेयर में से 950 हेक्टेयर 30 से 35 प्रतिशत प्रभावित हुई है. ग्वार 335 हेक्टेयर में से 150 हेक्टेयर प्रभावित हुई है. मूंग 200 हेक्टेयर में से 80 हेक्टेयर अर्थात 20 से 25 फीसदी नुकसान माना जा रहा है.

किसान कर रहे मुआवजे की मांगः किसान विनीत कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि के साथ बारिश से खरीफ और रबी की सभी फसलें प्रभावित होती रही हैं. केंद्र और राज्य सरकार किसानों की उन्नति के लिए बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन धरातल पर नतीजा दिखाई नहीं देता है. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार ने सबसे अधिक किसान को प्रभावित किया है. खाद, यूरिया और कीटनाशक दवाओं पर भारी महंगाई हुई है. इसके अलावा डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी होने से कृषि यंत्र साधनों को उपयोग करना भी किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में खरीफ़ फसल के नुकसान को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को गिरदावरी कराकर फसल का उचित मुआवजा किसानों को देना चाहिए.

Last Updated : Sep 24, 2022, 6:44 PM IST
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