Pilot Effect in Dholpur : पायलट सीएम बने तो बैरवा का बढ़ेगा कद, इन्हें हो सकता है राजनीतिक नुकसान...

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Published : Sep 23, 2022, 8:10 PM IST

Pilot Effect in Dholpur

प्रदेश में बदलते राजनीतिक हालातों के बीच अलग-अलग खेमे के नेता और मंत्रियों को लेकर भी चर्चा जोरों पर है. बात धौलपुर जिले की करें तो यहां किसी को सियासी नफा तो किसी को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि, केंद्र में खिलाड़ी लाल बैरवा हैं, जो पायलट के समर्थन में कई बार बयान दे चुके हैं. यहां समझिए पूरा समीकरण.

धौलपुर. राजस्थान की सियासत में फिर से हलचल (Congress Mission 2023) शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए लगभग तय होने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री को लेकर प्रदेश भर में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. धौलपुर जिला भी इससे अछूता नहीं है. जिले में 4 विधानसभा क्षेत्रों में तीन कांग्रेस के विधायक हैं तो वहीं भाजपा से चुनाव जीतीं विधायक शोभारानी कुशवाह भी बीजेपी से बगाबत कर पर्दे के पीछे कांग्रेस के पाले में पहुंच चुकी हैं.

प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलना तय माना जा रहा है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट एवं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के सीएम बनने के नाम की चर्चा जिले भर में हो रही है. धौलपुर जिले की चारों विधानसभा क्षेत्र के विधायकों के समर्थक नाना प्रकार के कयास लगा रहे हैं. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को अगर मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा का (Khiladi Lal Bairwa Supported Sachin Pilot) राजनीतिक कद बढ़ेगा.

इसके साथ ही बाड़ी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को भी पायलट का सीएम बनने से फायदा मिल सकता है. वही, राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोहित बोहरा कमजोर हो सकते हैं. धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह भी खास लाभ नहीं उठा सकती हैं. अगर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो विधायक रोहित बोहरा का राजनीतिक कद अधिक बढ़ेगा. इसके साथ विधायक शोभारानी को भी तवज्जो मिल सकती है. खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा कमजोर पड़ सकते हैं.

प्रदेश के साथ जिले की कांग्रेस में भी गुटबाजी देखी जा रही है. राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा और धौलपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे (Pilot Effect in Dholpur) शिवचरण कुशवाह एक गुट में बैठे हैं. वहीं, बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा दूसरा गुट बनाए बैठे हैं. भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुई बीजेपी विधायक शोभारानी कुशवाह की नजदीकी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से देखी जा रही जा रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जिले भर में सियासी चर्चा बाजारों में गर्म है.

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लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व राजस्थान कांग्रेस की सियासत में घमासान हुआ था. तत्कालीन समय के डिप्टी सीएम सचिन पायलट 22 विधायकों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज होकर हरियाणा के मानेसर पहुंचे थे. 22 विधायकों में राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा भी शामिल रहे थे, लेकिन रोहित बोहरा दो अन्य विधायकों को साथ लेकर पायलट के कैंप से निकलकर गहलोत के गुट में पहुंचे थे, तभी से रोहित बोहरा और सचिन पायलट एक दूसरे के विरोधी हो गए. इसके एवज में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रोहित बोहरा के पिता प्रद्युमन सिंह को वित्त आयोग का अध्यक्ष भी बनाया था.

हालांकि, बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा ने भी प्रेस वार्ता कर तत्कालीन समय पर सचिन पायलट के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. लेकिन गिर्राज सिंह मलिंगा और सचिन पायलट की दूरियां फिर से नजदीकियां में बदल गईं. बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा की मध्यस्थता की बदौलत सचिन पायलट और गिर्राज सिंह मलिंगा फिर एक पाले में हो गए. हालांकि, इन सियासी चर्चा के बीच जी-6 विधायकों का एक अलग दल बन गया है. जी-6 दल का नेतृत्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जैसे ही अशोक गहलोत के हटने की संभावना दिखाई देने लगी तो राजेंद्र गुढ़ा के भी सुर बदल गए. उन्होंने मीडिया के समक्ष बात रख कर कह दिया कि शीर्ष नेतृत्व चाहेगा तो सचिन पायलट क्या भरोसी लाल जाटव के लिए भी उनकी हां है. अब देखना यह होगा कि सूबे का मुख्यमंत्री कौन बनेगा. उसके बाद ही जिले की राजनीति की दशा और दिशा तय होगी.

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