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डकैती के 7 साल पुराने मामले में 5 दोषी, कोर्ट ने 4 को दिया आजीवन कारावास, एक आरोपी अभी भी फरार

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Published : Jun 14, 2023, 4:27 PM IST

chittorgarh 5 convicted in 7 year old robbery case
डकैती के 7 साल पुराने मामले में 5 दोषी

चित्तौड़गढ़ के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने पारसोली में डकैती के सात साल पुराने मामले में दोषियों को कठोर सजा सुनाई है. अदालत ने उक्त वारदात में 5 को दोषी ठहराया है. जिनमें से एक अभी तक फरार है. चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

चित्तौड़गढ़. पारसोली के 7 साल पुराने बहुचर्चित डकैती के मामले में आखिरकार न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बेगू ने सभी पांच आरोपियों को दोषी करार दिया. इनमें से एक फरार है, ऐसे में चार अन्य को आजीवन कारावास के साथ जुर्माने से दंडित किया. मामले में पहली बार कोर्ट द्वारा एक आरोपी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की गई.

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सितंबर 2016 में हुई थी डकैती की वारदातः अपर लोक अभियोजक फरीद मिर्जा के अनुसार मामला वर्ष 2016 का है. 27 सितंबर 2016 को पारसोली निवासी 61 वर्षीय भंवरलाल पुत्र मांगीलाल नागोरी के घर पर डकैती की यह वारदात हुई थी. भंवर लाल अपनी पत्नी सायर देवी सहित गांव के बीच स्थित अपने मकान में सोए हुए थे. इस बीच देर रात अज्ञात बदमाश खिड़की की ग्रिल तोड़कर कमरे में घुस गए. इस दौरान दोनों ही पति पत्नी सोए हुए थे. बदमाशों ने भंवरलाल की गर्दन पकड़ ली और उसके जबड़े पर एक मुक्का मारा वहीं पत्नी की पीठ पर बैठकर अलमारी की चाबी के बारे में पूछा. बदमाशों ने चाबी हासिल करते हुए अलमारी से 5,00000 की नकदी और सोने-चांदी के जेवर निकाल लिए और उनके हाथ पैर बांधकर निकल गए.

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पति-पत्नी ने कर ली थी बदमाशों की शिनाख्तः इसके बाद सुबह एक महिला ने आवाज सुनकर बाहर से कुंडी खोलकर दरवाजा खोला. पुलिस ने डकैती सहित विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर मामले मंडावरी, बेगू निवासी सुनील कंजर, पिंकेश कंजर और अशोक कंजर को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से जेवरात और नकदी, बरामद कर लिए थे. शिनाख्तगी परेड के दौरान डकैती के शिकार पति-पत्नी ने आरोपियों की पहचान कर ली. इस वारदात में गणपत और विमल कंजर को भी लिप्त माना गया. पुलिस ने पांचों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत न्यायालय में चालान पेश किया. हालांकि गणपत अभी भी फरार चल रहा है.

मुकदमें पेश हुए थे 26 गवाहः अपर लोक अभियोजक मिर्जा के अनुसार न्यायालय में मामले के विचारण के दौरान 26 गवाह पेश किए गए. वहीं 74 दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. प्रकरण में आरोपी विमल की वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेशी करवाई गई. दोनों ही पक्षों की सुनवाई के बाद पीठासीन अधिकारी राकेश गोयल ने अपने फैसले में पांचों ही आरोपियों को दोष सिद्ध करार दिया और सुनील, पिंकेश, अशोक तथा विमल को भारतीय दंड संहिता की धारा 458 के अंतर्गत 14-14 साल का कठोर कारावास और 50,000-50,000 का जुर्माना तथा 395 के अंतर्गत आजीवन कारावास के साथ 5000-5000 का अर्थ दंड सुनाया. अभियुक्त गणपत फरार है, उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे न्यायालय द्वारा निर्णय सुनाया जाएगा.

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