Mauni Amavasya 2023: आज 20 साल बाद मौनी अमावस्या पर बना राजयोग का संयोग, ये करने से शनिदेव हरेंगे कष्ट ​

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Published : Jan 21, 2023, 7:42 AM IST

Mauni Amavasya 2023

आज साल की पहली मौनी अमावस्या है, जो शनिवार को (Rajyoga coincidence on Mauni Amavasya) पड़ी है. ऐसे में शनिवार को पड़ने के कारण इसे शनि अमावस्या भी कहते हैं. मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान का विशेष महत्व है. इसके साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.

बीकानेर. इस साल की मौनी अमावस्‍या एक नहीं, बल्कि कई विशेष संयोग की अमावस्‍या है. 20 साल बाद मौनी अमावस्‍या शनिवार के दिन पड़ी है. शनिवार के दिन जब कोई अमावस्‍या पड़ती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है और बेहद शुभ माना जाता है. इससे पहले साल 2003 में मौनी अमावस्‍या और शनिवार का संयोग बना था. इसके अलावा मौनी अमावस्या पर चार राजयोग भी बन रहे हैं. जिसकी वजह से इस साल की मौनी अमावस्या और भी विशेष हो गई है.

विशेष योग भी बन रहे: इस बार अमावस्‍या पर 5 योग बन रहे हैं. जिसमें से चार राजयोग हैं. इस बार मौनी अमावस्‍या के दिन सत्कीर्ति, हर्ष, भारती, वरिष्ठ और खप्पर योग बन रहे हैं. इस तरह अमावस्‍या के दिन पांच योग का बनना बहुत ही शुभ है. इनमें से सत्कीर्ति, हर्ष, भारती और वरिष्ठ, ये चार राजयोग हैं. वहीं शनिश्चरी अमावस्या पर खप्पर योग का होना इसे और भी विशेष बना देता है. ये योग धार्मिक कार्यों को संपन्न करने और कुंडली में शनि के शुभ प्रभाव के लिए किए जाने वाले उपायों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है.

अगर है कोई दोष तो करें ये उपाय: कुंडली में शनि से जुड़ा कोई दोष है, शनि साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा से पीड़‍ित हैं, तो शनि अमावस्‍या के दिन खप्‍पर योग में शनि से जुड़े उपाय करें. इससे शनिदेव से जुड़े तमाम कष्‍ट दूर हो जाएंगे. अमावस्‍या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्‍त श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, पूजा और दान आदि जरूर करें. इससे पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और परिवार के तमाम कष्‍ट दूर होंगे. मौनी अमावस्‍या के दिन गंगा स्‍नान का विशेष महत्‍व है. गंगा स्‍नान के लिए संभव न हो तो घर में सुबह जल्‍दी उठकर जल में गंगाजल डालकर मां गंगा को याद करके स्‍नान करें. स्‍नान से पहले हर हर गंगे बोलें, यह गंगा स्‍नान का पुण्‍य के बराबर है.

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शनिदेव की विशेष पूजा: मौनी अमावस्या और शनिवार का संयोग बना है. ऐसे में शनि देव की विशेष पूजा करें. सरसों के तेल का दीपक पीपल के नीचे रखें. दशरथकृत शनि स्‍तोत्र और शनि चालीसा का पाठ करें. काले तिल, काली दाल, काले वस्‍त्र आदि का दान करें. इससे शनिदेव की कृपा प्राप्‍त होगी और शनि संबन्‍धी कष्‍ट दूर होंगे. अमावस्‍या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें. जल में चीनी या मिश्री और थोड़ा दूध डालकर पीपल को अर्पित करें. अगर संभव हो तो पीपल का एक पौधा लगाएं. इस पौधे की देखभाल करें. जैसे-जैसे ये पौधा बढ़ेगा, शनि और पितरों से जुड़े कष्‍ट भी दूर हो जाएंगे.

मौन साधना भी उपाय: मौनी अमावस्‍या पर मौन रहने का विशेष महत्‍व है. अगर आप पूरे दिन मौन नहीं रह सकते हैं, तो कम से कम स्‍नान और दान के समय तक मौन रखें. मौन के दौरान मन में श्रीहरि का ध्‍यान करें. साथ ही आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इन उपायों से भी लाभ: शनि अमावस्या पर आप शमी के पेड़ की पूजा करें. शाम के समय उसके नीचे सरसों के तेल या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं. शमी का पेड़ शनि देव को​ प्रिय है. शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए भगवान शिव की आराधना करें. शिव आराधना से भी कष्ट दूर होंगे. शनि अमावस्या के दिन सुंदरकांड का पाठ करें. हनुमानजी की पूजा से शनि देव प्रसन्न रहेंगे.

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