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Dhanteras 2023 : अपार खुशियां देने वाला दिन है धनतेरस, जानिए इसका महत्व

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 8, 2023, 8:01 AM IST

Day of Immense Happiness, धनतेरस अपार खुशियां देने वाला दिन है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है. यहां जानिए इस दिन का महत्व और परंपरा के बारे में...

Dhanteras 2023
Dhanteras 2023

बीकानेर. कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को धनदात्रयोदशी पर्व मनाया जाता है. इसी दिन सागर मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए हैं, जिन्होंने आयुर्वेद का प्रचार प्रसार कर मानव का कल्याण किया. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है. इसी दिन से पांच दिवसीय दीपदान उत्सव शुरू होता है, जिससे यमराज को प्रसन्न किया जाता है. इस दिन पीतल, तांबा, चांदी स्वर्ण आदि के पात्र खरीदने की भी परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन स्वर्ण, चांदी खरीदने से धन समृद्धि होती है. इसी दिन व्यापारी वर्ग अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में कुबेर, मां लक्ष्मी का पूजन भी करते हैं.

दरअसल, धनतेरस के दिन से ही 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है. पूरे देश में दीपावली के साथ ही धनतेरस के दिन भी बड़ी मात्रा में घरेलू सामान और ज्वेलरी की खरीद होती है. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का मतलब धनतेरस से है. धनतेरस पर्व से 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस के दिन का महत्व सोना चांदी अन्य सामानों की खरीद से जुड़ा हुआ है जो कि विलासिता से जुड़े हैं, लेकिन इस दिन का विशेष महत्व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा से भी है.

पढ़ें : कब मनाई जाएगी दीपावली ? डेट में है कन्फ्यूजन, यहां जानें सबकुछ

समुद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि भगवान विष्णु के अवतार के रूप में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक होने के साथ ही उन्होंने इस ब्रह्मांड में उत्पन्न औषधियों के गुण अवगुण के आधार पर इसके प्रयोग बतलाए. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं.

क्यों करें खरीदारी ? : किराडू कहते हैं कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने का भी महत्व है. इस दिन रत्न, आभूषण, जमीन, घर, प्रतिष्ठान में वैभव विलासिता को बढ़ाने वाले सामान की खरीदारी करने का महत्व है. इस दिन जमीन खरीदना या मकान बनाने के लिए नींव का पूजन करने का भी महत्व है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि माना जाता है कि इस दिन की गई खरीद अक्षय मानी जाती है और इसका कई गुना बढ़ोतरी के रूप में प्राप्त होता है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन घर और प्रतिष्ठान में भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए, साथ ही श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए.

बीकानेर. कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को धनदात्रयोदशी पर्व मनाया जाता है. इसी दिन सागर मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए हैं, जिन्होंने आयुर्वेद का प्रचार प्रसार कर मानव का कल्याण किया. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है. इसी दिन से पांच दिवसीय दीपदान उत्सव शुरू होता है, जिससे यमराज को प्रसन्न किया जाता है. इस दिन पीतल, तांबा, चांदी स्वर्ण आदि के पात्र खरीदने की भी परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन स्वर्ण, चांदी खरीदने से धन समृद्धि होती है. इसी दिन व्यापारी वर्ग अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में कुबेर, मां लक्ष्मी का पूजन भी करते हैं.

दरअसल, धनतेरस के दिन से ही 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है. पूरे देश में दीपावली के साथ ही धनतेरस के दिन भी बड़ी मात्रा में घरेलू सामान और ज्वेलरी की खरीद होती है. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का मतलब धनतेरस से है. धनतेरस पर्व से 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस के दिन का महत्व सोना चांदी अन्य सामानों की खरीद से जुड़ा हुआ है जो कि विलासिता से जुड़े हैं, लेकिन इस दिन का विशेष महत्व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा से भी है.

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समुद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि भगवान विष्णु के अवतार के रूप में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक होने के साथ ही उन्होंने इस ब्रह्मांड में उत्पन्न औषधियों के गुण अवगुण के आधार पर इसके प्रयोग बतलाए. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं.

क्यों करें खरीदारी ? : किराडू कहते हैं कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने का भी महत्व है. इस दिन रत्न, आभूषण, जमीन, घर, प्रतिष्ठान में वैभव विलासिता को बढ़ाने वाले सामान की खरीदारी करने का महत्व है. इस दिन जमीन खरीदना या मकान बनाने के लिए नींव का पूजन करने का भी महत्व है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि माना जाता है कि इस दिन की गई खरीद अक्षय मानी जाती है और इसका कई गुना बढ़ोतरी के रूप में प्राप्त होता है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन घर और प्रतिष्ठान में भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए, साथ ही श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए.

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