केवलादेव उद्यान में जल संकट, पर्याप्त पानी नहीं मिला तो नहीं उठा पाएंगे नौकायन का लुत्फ

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Published : Aug 25, 2022, 5:04 PM IST

Water Crisis in Keoladeo National Park, boating may not possible in next season

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल रहा है. इसके चलते प्रवासी पक्षियों की कॉलोनी उम्मीद के मुताबिक नहीं बन पाई हैं. अगर इसी तरह जल का संकट बना रहा, तो आने वाले सीजन में ट्यूरिस्ट यहां नौकायन का आनंद नहीं ले पाएंगे.

भरतपुर. औसत से कम बरसात के चलते इस बार विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को जल संकट का सामना करना पड़ रहा (Water Crisis in Keoladeo National Park) है. केवलादेव उद्यान को अभी तक तीनों जल स्रोतों में से सिर्फ दो स्रोत से जरूरत का महज 20 फीसदी पानी मिल सका है. यही वजह है कि इस बार अभी तक उद्यान के अंदर ओपनबिल स्टार्क के अलावा अन्य पक्षियों की कॉलोनी विकसित नहीं हो पाई है. अगर यही हालात रहे तो आने वाले सीजन में पर्यटक घना में नौकायन का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे.

सिर्फ 20 फीसदी पानी मिला: यूं तो केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटन सीजन के लिए 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. लेकिन इस बार कम बरसात के चलते अभी तक उद्यान को सिर्फ 112 एमसीएफटी पानी मिल सका है. उद्यान निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि इस बार अभी तक गोवर्धन ड्रेन से 100 एमसीएफटी और चंबल परियोजना से महज 12 एमसीएफटी पानी मिल सका है. चंबल परियोजना से घना को 62 एमसीएफटी पानी मिलना होता है, लेकिन हर वर्ष की भांति इस बार भी चंबल परियोजना से पूरा पानी नहीं मिल सका है.

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निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि पांचना बांध यदि ओवरफ्लो नहीं हुआ, तो गोवर्धन ड्रेन के पानी से ही काम चलाना पड़ेगा. फिलहाल गोवर्धन ड्रेन के पानी के लिए तीन पंप संचालित कर रखे हैं, जिनसे हर दिन करीब 5 एमसीएफटी पानी घना को उपलब्ध हो रहा है. उम्मीद है कि यदि आगामी 1 महीने तक इसी गति से गोवर्धन ड्रेन से पानी मिलता रहा, तो घना को करीब 150 एमसीएफटी और पानी मिल जाएगा.

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कुछ ही पक्षियों की कॉलोनी बसी: अभिमन्यु सहारण ने बताया कि मानसून से पहले आने वाले ओपन बिल स्टार्क ने केवलादेव उद्यान में नेस्टिंग की है. काफी देरी से पेंटेड स्टार्क भी पहुंच गए हैं. लेकिन गत वर्ष की तुलना में इस बार घना में पक्षियों की संख्या काफी कम नजर आ रही है. जबकि उद्यान के बाहर पंछी का नगला क्षेत्र में करीब 1 दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षियों ने डेरा डाल रखा है.

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