keoladeo National Park: पक्षियों को पांचना बांध का पानी उपलब्ध कराने के लिए मशक्कत, सरकार तलाश रही विकल्प...

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Published : Jul 5, 2022, 6:02 AM IST

keoladeo National Park

भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पांचना बांध का पानी उपलब्ध (Panchna Bandh for keoladev National park) करवाने के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है. राष्ट्रीय उद्यान तक चंबल से सीधी पाइप लाइन डालने के लिए, करीब 700 करोड़ रुपए की लागत वाली योजना का डीपीआर तैयार हो रहा है.

भरतपुर. विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पक्षियों को पांचना बांध का पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार और प्रशासन को मशक्कत करनी पड़ रही है. पक्षियों के लिए अमृत माने जाने वाले पांचना बांध का पानी घना तक लाने के लिए सरकार कई विकल्पों पर काम कर रही है. तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग की मानें तो करौली जिले के लांगरा से पांचना का पानी लिफ्ट कर घना तक लाने की योजना भी है. वहीं चंबल से सीधी पाइप लाइन डालकर घना तक पानी लाने की योजना को भी मूर्त रूप देने का प्रयास किया जा रहा है.

राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने बताया कि पांचना से (keoladev National Park) घना को पानी उपलब्ध कराने के लिए, करौली जिले के लांगरा से लिफ्ट नहर की मदद से पानी लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके माध्यम से बरसात के मौसम में पांचना के अतिरिक्त पानी को घना और आसपास के क्षेत्रों के उपयोग के लिए लाया जाएगा.

उद्यान को पांचना बांध का पानी उपलब्ध कराने के लिए मशक्कत

पानी पर राजनीति: डॉ सुभाष गर्ग ने बताया कि पांचना बांध के पानी का मुद्दा, स्थानीय लोगों के बीच कई बार जातिगत राजनीति का मुद्दा बन जाता है. स्थानीय लोग पांचना का पानी छोड़ने नहीं देते. डॉ सुभाष गर्ग ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का प्रयास है कि आपसी सद्भाव के माध्यम से वहां के लोगों को समझाया जाएगा और उन्हें बरसात के मौसम में पांचना के अतिरिक्त पानी को छोड़ने के लिए तैयार किया जाएगा.

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700 करोड़ की पाइप लाइन: मंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान तक चंबल से सीधी पाइप लाइन डालने के लिए, करीब 700 करोड़ रुपए की लागत वाली योजना का डीपीआर तैयार हो रहा है. इस योजना के तहत धौलपुर जिले की चंबल नदी से सीधी पाइप लाइन भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान तक लाई जाएगी, जिससे घना को चंबल का पानी आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.

राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने बताया कि इस योजना पर जल्द कार्य शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. राज्यमंत्री ने कहा कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर की मुख्य पहचान है. इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता है. इसलिए इस विश्व विरासत और धरोहर को संजोने के प्रयास किए जा रहे हैं. उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में पानी की समस्या का स्थाई समाधान कर दिया जाएगा.

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