भरतपुर. सैनी, माली, कुशवाहा, काछी, शाक्य समाज का आरक्षण की मांग को लेकर 10 वे दिन भी धरना जारी है. उधर शनिवार को पूरे दिन प्रशासन और परिजनों के बीच शव सौंपने को लेकर वार्ता चलती रही, लेकिन पुलिस को आशंका थी कि कहीं शव को आंदोलन स्थल पर न ले जाएं. इसके चलते देर शाम तक शव नहीं सौंपा गया. देर रात को मोहन सैनी के परिजन और पुलिस प्रशासन के बीच सहमति बनी और भारी पुलिस बल के साथ मोहन सैनी के शव को उसके पैतृक गांव मूडिया गंधार ले जाया गया. जहां शनिवार रात 12 बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
दिन भर नहीं बनी सहमति : शुक्रवार रात को मृतक मोहन सैनी के शव का पोस्टमार्टम करा दिया गया था. शनिवार सुबह मृतक के परिजन शव लेने के लिए आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी पहुंचे, लेकिन प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को आशंका थी कि कहीं यहां से अंतिम संस्कार करने को बोलकर शव को आंदोलन स्थल पर ना ले जाएं. जिला कलेक्टर आलोक रंजन और एसपी श्याम सिंह ने परिजन और समाज के लोगों से वार्ता कर इस बात की संतुष्टि चाही. शनिवार को एसपी श्याम सिंह ने खुद इस बात की पुष्टि भी की थी.
प्रशासन ने इस आशंका के चलते देर शाम तक शव परिजनों को नहीं सौंपा. उधर प्रशासन के कुछ अधिकारियों को हालात पता करने मृतक मोहन सैनी के गांव भी भेजा गया. देर रात तक परिजन आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी के बाहर ही बैठे रहे. रात करीब 10.15 बजे मथुरा गेट थाना प्रभारी राजनाथ सिंह की मौजूदगी में परिजनों को शव सौंप दिया. एंबुलेंस के साथ में भारी पुलिस बल मृतक मोहन सैनी के गांव मूडिया गंधार पहुंचा. जहां पर रात करीब 12 बजे मोहन सैनी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
गौरतलब है कि जयपुर आगरा हाईवे पर अरोदा के पास 21 अप्रैल से सैनी, माली, कुशवाहा आदि समाज के लोगों ने चक्का जाम कर आंदोलन कर रखा है. इसी दौरान 24-25 अप्रैल की रात को मोहन सैनी ने आंदोलन स्थल के पास आत्महत्या कर ली थी. उसके बाद 25 अप्रैल से मोहन सैनी का शव आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी में रखा हुआ था. सैनी आरक्षण संघर्ष समिति के नेतृत्व में रविवार को भी आंदोलनकारी 12% आरक्षण की मांग को लेकर हाईवे पर डटे हुए हैं.