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Special : राजस्थान का साइबर क्राइम कैपिटल बना भरतपुर, नेता, अधिकारी भी हो चुके हैं फ्रॉड के शिकार

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 6, 2023, 10:17 AM IST

साइबर अपराध की घटनाओं के लिए पूरे देश में कुख्यात भरतपुर अब साइबर क्राइम कैपिटल बन गया है. पूरे देश के साइबर अपराध के 16% मामले यहां होते हैं. वहीं, चौंकने वाली बात यह है कि अब साइबर अपराध में भरतपुर ने जामताड़ा को भी पीछे छोड़ दिया है.

Cyber ​​fraud cases in Bharatpur
Cyber ​​fraud cases in Bharatpur

भरतपुर के एसपी मृदुल कच्छावा

भरतपुर. साइबर अपराध के लिए पूरे देश में कुख्यात भरतपुर अब साइबर क्राइम का कैपिटल बन गया है. पूरे देश के साइबर अपराध का कुल 16% साइबर अपराध अकेले भरतपुर से होता है. इतना ही नहीं साइबर अपराध में भरतपुर ने जामताड़ा को भी पीछे छोड़ दिया है. यहां के ठगों ने देश के तमाम राज्यों के लोगों को ही नहीं बल्कि विधायक और अधिकारियों को भी ठगा है. आशंका है कि जिले के मेवात क्षेत्र (वर्तमान में डीग जिले में) के करीब 25 हजार युवा साइबर अपराध में लिप्त हैं. स्थानीय पुलिस इन ठगों पर लगाम लगाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है लेकिन फिर भी ठगी की वारदातों पर लगाम नहीं लग पा रही है.

लगा रहे लगाम - भरतपुर पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि भरतपुर जिला साइबर अपराध में देश में सबसे आगे है. यहां से पूरे देश का 16% साइबर अपराध हो रहा है. साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए लगातार कार्रवाई की जाती है. साल 2022 में 46 अपराधी पकड़े थे, जबकि 68 अपराधी अन्य राज्यों की पुलिस को सौंपे गए थे. वहीं, 2023 में भरतपुर पुलिस ने 103 अपराधियों को दबोचा था, जिसमें 58 अपराधियों को अन्य राज्यों की पुलिस को सौंप दिया गया.

Cyber ​​fraud cases in Bharatpur
साइबर अपराध के मामले

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साइबर अपराध का गढ़ - भरतपुर के डीग, कैथवाड़ा, कामां, नगर, सीकरी, खोह, गोपालगढ़, पहाड़ी, जुरहरा थाना क्षेत्र के करीब 160 गांव साइबर अपराध में लिप्त हैं. इन गांवों में 12 से 40 साल तक के नाबालिग और युवक शामिल हैं. आशंका है कि क्षेत्र के करीब 25 हजार युवा साइबर अपराध में लिप्त हैं.

फर्जी सिम व मोबाइल करा रहे ब्लॉक - एसपी मृदुल कच्छावा ने बताया कि मेवात क्षेत्र के ठग ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम देने के लिए असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से फर्जी पते पर प्री एक्टिवेटेड सिम यहां लेकर आते हैं. उन सिम्स को यहां लाकर एक्टिवेट किया जाता है और उसके बाद ठगी की वारदातों को अंजाम दिया जाता है. अब तक फर्जी पते वाली 1 लाख, 72,392 सिम और 1 लाख 85,042 मोबाइल के आईएमईआई नंबर ब्लॉक कराए गए हैं. इन मोबाइल सिम के नंबरों से 43800 साइबर क्राइम करने की शिकायतें प्राप्त हुईं.

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ऐसे करते हैं ठगी - साइबर ठग लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल करते हैं. इसमें मुख्य रूप से सेक्सटॉर्शन, विभिन्न वेबसाइटों के अलावा इवेंट कराने के नाम पर फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर लोगों से संपर्क करते हैं. इसके बाद लोगों से बैंक खातों की जानकारी लेकर ठगी की घटनाओं को अंजाम देते हैं.

सबसे पहले यहां करें शिकायत - एसपी मृदुल कच्छावा ने बताया कि ऑनलाइन ठगी होने पर सबसे पहले पीड़ित को केंद्रीय गृह मंत्रालय के टोल फ्री नंबर 1930 पर शिकायत करनी चाहिए, ताकि ठगी की रकम को या खाते को फ्रीज कराया जा सके. उसके बाद किसी भी तरह की ऑनलाइन ठगी होने पर स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करानी चाहिए. एसपी कच्छावा ने बताया कि हम लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार होने से बचने के लिए समय-समय पर जागरूक भी करते रहते हैं.

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