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Special : इस जेल में बड़े से बड़ा अपराधी दोबारा जाने से घबराता है...जानें क्या है खासियत

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Published : Dec 28, 2022, 9:47 PM IST

Updated : Dec 28, 2022, 10:25 PM IST

त्रि-स्तरीय सुरक्षा और हाई सिक्योरिटी वाले अजमेर जेल उन्हीं अपराधियों का ठिकाना बनता है, जिनके मामले काफी गंभीर रहते हैं. इस जेल के सख्त नियम और व्यवस्थाओं के चलते यहां आने वाले हार्डकोर अपराधी भी निकलने के तमाम तरीके अपनाने लगते हैं. क्या है जेल की खासियतें और व्यवस्थाएं ? पढ़िए ये रिपोर्ट....

Ajmer High Security Jail
अजमेर की हाई सिक्यूरिटी जेल

जेल अधीक्षक ने क्या कहा, सुनिए...

अजमेर. राजस्थान की सबसे सुरक्षित और हाई सिक्योरिटी युक्त अजमेर जेल (Prisoners in Ajmer High Security Jail) अपनी सख्त व्यवस्थाओं की वजह से हार्डकोर अपराधियों के लिए काले पानी से कम नहीं है. इस जेल में बड़े से बड़ा अपराधी भी दोबारा नहीं आने की पनाह मांगता है. प्रदेश की सामान्य जेलों से केवल हार्डकोर अपराधियों को ही यहां रखा जाता है. खास बात यह है कि यहां आए कैदी को आवश्यक रूप से किताबें पढ़नी पढ़ती हैं.

प्रदेशभर की जेलों में सजायाफ्ता और न्यायिक अभिरक्षा में कैदियों को रखा जाता है. इन कैदियों में कुछ ऐसे बदमाश भी होते हैं जो समाज में अपराधिक गतिविधियों को जेल में रहते हुए अंजाम देते हैं. ऐसे अपराधियों को हार्डकोर अपराधियों की सूची में शामिल किया जाता है और उन्हें प्रदेश की सबसे सुरक्षित हाई सिक्योरिटी जेल में रखा जाता है. ऐसे दुर्दांत अपराधियों में आनंदपाल सिंह, लॉरेंस बिश्नोई, पपला गुर्जर भी हाई सिक्योरिटी जेल में रह चुके हैं. इस जेल को बनाने के पीछे मकसद भी यही था कि हार्डकोर अपराधियों को एक जेल में सुरक्षित रखा जा सके, जहां सुरक्षा व्यवस्थाओं में नरमी की गुंजाइश बिल्कुल नहीं रहे.

पढ़ें : राजू ठेहट हत्याकांड के 8 आरोपियों को अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल में किया शिफ्ट

अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल के अधीक्षक पारस जांगिड़ बताते हैं कि 23 जनवरी 2015 में हाई सिक्योरिटी जेल का संचालन (Strict Arrangements in Ajmer Jail) शुरू हुआ था. 40 बीघा क्षेत्र में बनी इस जेल में त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि जेल में 4 वार्ड, 16 ब्लॉक, 88 सेल हैं. जेल में 246 हार्डकोर अपराधियों को रखने की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 137 हार्डकोर अपराधी जेल में कैद हैं.

यूं आते हैं हार्डकोर अपराधी: जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि हाई सिक्योरिटी जेल में कोई भी अपराधी कोर्ट के माध्यम से सीधा नहीं आता है. जिलों की अन्य जेल प्रशासन की ओर से संबंधित कैदी और उसके अनैतिक आचरण के बारे में डीजीपी जेल को लिखा जाता है. डीजीपी जेल से स्वीकृति मिलने के बाद ही संबंधित जेल प्रशासन हार्डकोर अपराधी को हाई सिक्योरिटी जेल में लेकर आते हैं. उन्होंने बताया कि अच्छे आचरण पर हाई स्वीकृति जेल की ओर से बंदियों को चिह्नित कर उन्हें सामान्य जेल में भेजने के लिए भी लिखा जाता है. इसके लिए डीजीपी जेल की अध्यक्षता में रिव्यू बैठक में निर्णय लिया जाता है. इसमें जेल आईजी, एटीएस, एसओजी और जेल अधीक्षक बैठक में मौजूद रहते हैं.

Ajmer High Security Jail
प्रदेश की सबसे सुरक्षित कहे जाने वाली हाई सिक्यूरिटी जेल

18 घंटे सेल में रहते हैं कैदीः जेल अधीक्षक बताते हैं कि जेल नियमों के अनुसार प्रत्येक सेल में अधिकतम तीन कैदी रहते हैं. जांगिड़ ने बताया कि 24 घंटे में से 18 घंटे कैदी सेल में ही रहते हैं. शेष समय में नित्य कर्म के लिए उन्हें बाहर निकाला जाता है. वार्ड, बैरिक समेत समूचे जेल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. प्रहरी और मुख्य प्रहरी के निगरानी में सभी हार्डकोर अपराधी रहते हैं. एक ही अपराध में सेलेक्ट हार्डकोर अपराधियों को एक साथ नहीं रखा जाता है, सबको अलग-अलग सेल में रखने की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि जेल के बाहर आरएसी के हथियारबंद जवान सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं. वहीं, सेल, ब्लॉक और वार्ड की तीन स्तरीय सुरक्षा के बाद जेल की 40 फीट ऊंची मुख्य दीवार है, जिसके ऊपर बिजली के तार हैं. उन्होंने बताया कि सेल और बेरिक में विद्युत कनेक्शन भी नहीं है.

सुधार का पैमाना है किताबेंः उन्होंने बताया कि मनोरंजन के नाम पर हार्डकोर अपराधियों के लिए जेल में किताबों के अलावा और कुछ नहीं है. कैदियों को पढ़ने के लिए महापुरुषों की जीवनी और सकारात्मक साहित्य दिया जाता है. इसके अलावा अपराधिक घटनाओं की पहले से ही कटिंग काटकर अखबार भी कैदियों को दिए जाते हैं. जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि जेल में कैदियों में सुधार का पैमाना भी किताबें ही हैं. यानी जिसके कैदी ने जितनी किताबें पढ़ी है उसमें उतना ही सुधार आ रहा है. उन्होंने बताया कि जेल में कैदियों के लिए किताबें पढ़ना अनिवार्य है. किताबें पढ़ने से कैदियों में सकारात्मक बदलाव आते हैं.

दुर्दांत अपराधी भी वापस जेल आने से करता है तौबाः हाई सिक्योरिटी जेल में नियम कायदे काफी सख्त हैं. वहीं, जेल में सुरक्षा भी काफी चाक-चौबंद रहती है. यही वजह है कि जेल में रहने वाले हार्डकोर अपराधियों का बाहर से संपर्क टूट जाता है. सेल में बात करने के लिए कोई साथी हो तो ठीक नही तो अकेले भी रहना पड़ता है. जहां सेल की चारदीवारी के अलावा और कुछ नजर नहीं आता. 2015 से लेकर अभी तक कई दुर्दांत अपराधी हाई सिक्योरिटी जेल में रह चुके हैं. यहां से निकलने के लिए हार्डकोर अपराधी कई पैंतरे भी अपनाते हैं. कुछ तो भूख हड़ताल भी करने लगते हैं. पपला, लॉरेंस विश्नोई जैसे बदमाश भी यहां दोबारा नहीं आने के लिए पनाह मांगते हैं.

जेल में हार्डकोर अपराधियों की बढ़ रही है संख्याः हाई सिक्योरिटी जेल में हार्डकोर अपराधियों की संख्या में पिछले 6 महीने में इजाफा होता चला जा रहा है. वर्तमान में हाई स्वीकृति जेल में 167 हार्डकोर अपराधी है. कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के 10 से 12 गुर्गे, आनंदपाल गैंग के गुड्डू, मोंटी सहित 10 सदस्य, बहुचर्चित उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड के 9 आरोपी, भाजपा नेता रहीं नूपुर शर्मा की हत्या के इरादे से सरहद पार कर आया एक पाकिस्तानी नागरिक भी इसी जेल में है. इसी प्रकार कुख्यात डकैत जगन गुर्जर, कोटा की शिवराज गैंग के 7 सदस्य जेल में कैद हैं. इसके अलावा हेट स्पीच मामले में दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती को भी यहां रखा गया है. हाल ही में सीकर में कुख्यात गैंगस्टर राजू ठेहट की हत्या के मामले में 11 आरोपियों को हाई सिक्योरिटी जेल में रखा गया है. वहीं, सोमवार को भी दो आरोपी हनुमान उर्फ लादेन और मनीष बिश्नोई को जेल में लाया गया है.

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वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होती है पेशीः जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि हाई सिक्योरिटी जेल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी पेशी करवाई जाती है. ज्यादा आवश्यक होने पर ही हाई सिक्योरिटी जेल से हार्डकोर अपराधी को कड़ी सुरक्षा में पेशी पर लाया और ले जाया जाता है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक कैदी को प्रिजन एन मेट कॉलिंग सिस्टम के माध्यम से प्रतिदिन परिजनों से 5 मिनट बात करवाई जाती है. यह व्यवस्था केवल अच्छे आचरण करने वाले कैदियों के लिए ही है. उन्होंने बताया कि सजायाफ्ता कैदियों से मिलने के लिए 15 दिन में एक बार और ट्रायल कैदियों के लिए सप्ताह में दो बार परिजनो को मिलने की छूट दी जाती है. उन्होंने बताया कि जो हार्डकोर अपराधी एक बार इस जेल में रह लिया और वह जेल में कैद अपने साथियों से मिलने आता है तो उसे स्वीकृति नहीं दी जाती है.

जेल में यह भी समस्याः प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल में सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम है, लेकिन तकनीकी रूप से यहां कुछ खामियां भी हैं. जेल में 3G जैमर लगा है जो बंद है. जेल में अपडेट वर्जन की दरकार है. जेल प्रशासन ने मुख्यालय को 4G एवं 5G तकनीक का जैमर लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा है. जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि जेल में जल्द ही सामानों और बैग की जांच के लिए एक्स-रे मशीन और बॉडी स्कैनर भी लगने वाले हैं. बता दें कि 2015 में हाई सिक्योरिटी जेल बनने के उपरांत तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने जेल में ट्रायल कोर्ट खोले जाने की घोषणा भी की थी. लेकिन वह महज थोथी घोषणा ही निकली.

सरकार ने नहीं निभाया वादाः जेल में ड्यूटी पर लगाए गए जेल प्रहरियों से सरकार ने वादा किया था कि उन्हें कांस्टेबल से 25 प्रतिशत अधिक वेतन दिया जाएगा. हार्ड ड्यूटी भत्ता 12 प्रतिशत मिलेगा. प्रदेशभर की जेलों में 29 शहरी और 600 मुख्य प्रहरी हैं. जेल प्रहरी हाई सिक्योरिटी जेल में भी तैनात हैं.

सोलर लाइट से रोशन होगा जेल परिसरः हाई सिक्योरिटी जेल का बाहरी और भीतरी (Ajmer High Security Jail) परिसर सोलर लाइट से रोशन होगा. परिसर में दर्जनों सोलर लाइट लगाई जा रही है. ऐसे में रात में हर तरफ सोलर लाइट का उजाला रहेगा.

Last Updated :Dec 28, 2022, 10:25 PM IST
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