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Exclusive: नागौर के पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांभू को 26 मार्च को मिलेगा पद्मश्री, Etv Bharat से विशेष बातचीत

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Published : Mar 7, 2020, 8:17 PM IST

राजस्थान के ट्री- मैन कहे जाने वाले हिम्मताराम भांभू की मेहनत और हिम्मत को मिला है पद्मश्री सम्मान मिला है. पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांभू को 24 मार्च को दिल्ली बुलाया गया है. जहां 26 मार्च को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

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हिम्मताराम भामू को 26 मार्च को मिलेगा पद्मश्री

नागौर. 26 मार्च को देश की राजधानी दिल्ली में महामहिम राष्ट्रपति नागौर जिले के पर्यावरण प्रेमी और राजस्थान के ट्री- मैन हिम्मताराम भांभू को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करेंगे. देश के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक पद्मश्री पुरस्कार की तारीखों का ऐलान हो गया है. राष्ट्रपति भवन में 26 मार्च को महामहिम राज्यपाल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार इस साल 21 लोगों को दिया जाएगा. इसमें से चार राजस्थान के रहने वाले हैं. इनमें से एक नागौर जिले के पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांभू को 24 मार्च को दिल्ली बुलाया गया. जहां 26 मार्च को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

राजस्थान के ट्री- मैन हिम्मताराम भांभू
19 साल की उम्र में लगाया पहला पीपल का पौधा

हिम्मताराम भांभू को सूखे रेगिस्तान में लाखों पेड़ लगाने का श्रेय जाता है. वह पशु पक्षियों के संरक्षण के कार्य को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक बुराइयों की जड़ से समाप्त करने के लिए भी लगातार जुटे रहते हैं. नागौर जिले के सुखवासी गांव में 14 फरवरी 1956 को हिम्मताराम भांभू का जन्म हुआ था. हिम्मताराम भांभू ने 1975 में 19 साल की उम्र में अपनी दादी के कहने पर गांव सुखवासी में पीपल का पौधा रोपकर उसकी देखभाल की. जिसके बाद उनके मन में पर्यावरण संरक्षण और जीव रक्षा का बीज अंकुरित हुआ, उनके हाथ से लगा पीपल का पौधा आज विशाल पेड़ बन चुका है इसके साथ ही मन में फूटा पर्यावरण संरक्षण का बीज आज विशाल वर्ष बन चुका है उन्होंने अपनी खुद की जमीन पर 6 हेक्टर में 11,000 पौधे लगाकर हरिमा गांव के दौरों में वन पौधशाला भी तैयार की गई, जहां हजारों पक्षियों का बसेरा है. इसे पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र का नाम दिया गया है.

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छह हेक्टेयर जमीन पर लगाए 11 हजार पौधे

अपने 45 साल में हिम्मताराम भाम्भू ने हर दिन पर्यावरण, पेड़ और जीव रक्षा के लिए जिया है. मुद्दा पेड़ लगाने का हो या पेड़ों की रक्षा का, बात पर्यावरण संरक्षण की हो, या जीवों के शिकार के विरोध की. हिम्मताराम हमेशा हिम्मत के साथ आगे ही खड़े दिखे. उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 65 पर नागौर से करीब 20 किमी दूर हरिमा गांव में खुद की खरीदी करीब छह हेक्टेयर जमीन पर 11 हजार पौधे लगाए, जो आज हरे भरे पेड़ बन चुके हैं. आज यहां एक घना जंगल बन गया है. जहां हजारों पशु पक्षी रहते हैं. आज भी उनके दिन की शुरुआत यहां रहने वाले मूक प्राणियों के लिए दाना-पानी और चारे के इंतजाम करने से ही होती है.

पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांभू को 26 मार्च को मिलेगा पद्मश्री (पार्ट-2)

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भांभू को राष्ट्रपति भवन से बुलावा मिला

हिम्मताराम भामू को पिछले दिनों महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में बुलाया आया था. उन्होंने 3 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में देश के प्रथम नागरिक रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव रक्षा के विषय पर भविष्य के रूपरेखा बताई. हिम्मताराम भांभू पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि अब उनका लक्ष्य 2030 तक 2 लाख पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाना है, साथ ही देश में प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अभियान चलाना है. हिम्मताराम भांभू को पद्म श्री पुरस्कार की 26 मार्च की तारीख घोषणा के बाद जिलेभर में बधाई देने का दौर शुरू हो गया है.

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