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जैसलमेर की बेजोड़ स्थापत्य कला का नजराना कोटा में, दिखेगी सालिम सिंह की हवेली की छवि

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Published : Mar 1, 2022, 8:35 PM IST

Updated : Mar 1, 2022, 11:04 PM IST

जैसलमेर की सालिम सिंह की हवेली के तर्ज पर ही (Jaisalmer Salim Singh Ki Haveli) कोटा में उसका हू-ब-हू रेप्लिका 7 करोड़ 35 लाख रुपये से तैयार की जा रही है. हेरिटेज को बढ़ावा देने के लिए ही जैसलमेर की बेजोड़ स्थापत्य कला का नमूना सालिम सिंह की हवेली का मॉडल तैयार करवाया जा रहा है. इसके निर्माण में जैसलमेर के पत्थर के साथ-साथ वहां से आए कारीगर ही जुटे हुए हैं, जिसमें आकर्षक झरोखे, मेहराब, छतरियां, झूमर, तोडियां और आकर्षक लाइटिंग की जा रही है.

Architectural Scene in Kota
जैसलमेर की बेजोड़ स्थापत्य कला का नजराना कोटा में

कोटा. शिक्षा नगरी कोटा में टूरिज्म बढ़ाने के लिए यहां पर काफी प्रयास नगर विकास न्यास और स्मार्ट सिटी के तहत किए जा रहे हैं. करोड़ों रुपये के विकास कार्य कोटा में हो रहे हैं. ऐसे में जैसलमेर की सालिम सिंह की हवेली के तर्ज पर ही कोटा में भी उसका हूबहू रेप्लिका (Jaisalmer Architecture is Getting Ready in Kota) तैयार की जा रही है. नगर विकास न्यास ने जैसलमेर स्टोन पर खूबसूरत नक्काशी के साथ 5 मंजिला हवेली के मॉडल का निर्माण करवा रहा है.

जैसलमेर से आए कारीगर पत्थर पर बेजोड़ कलात्मक कारीगरी कर इस खूबसूरत इमारत को बनाने में जुटे हुए हैं. यह इमारत 17 मीटर उंची है, साथ ही इसकी लंबाई 9 गुना 12 मीटर है. इस आकर्षक मॉडल में पर्यटकों के लिए सीढ़ियां और लिफ्ट दोनों सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी. इसमें कई जगह पर सेल्फी प्वाइंट भी बनाए जाएंगे. जैसलमेर की ओरिजिनल सालिम सिंह की हवेली पर लाइटिंग नहीं लगी हुई है. वह काफी पुरानी भी हो चुकी है, लेकिन कोटा में बन रहा उस हवेली के रिप्लिका में पूरी तरह से मल्टी करण लाइटिंग भी होगी. इसके लिए खुद आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया डिजाइन कर बना रहे हैं.

कोटा में दिखेगी सालिम सिंह की हवेली की छवि...

अभी 6 महीने और लगेंगे निर्माण में : सालिम सिंह की हवेली की रेप्लिका का निर्माण कार्य जून 2021 में शुरू करवाया था. जिसमें 7 करोड़ 35 लाख रुपये का वर्क ऑर्डर जारी किया गया था. यह निर्माण कार्य जून 2022 में पूरा होना है. हालांकि, इसमें समय लग सकता है. वर्तमान में भी करीब 6 महीने से ज्यादा का काम बाकी है. साइट के इंजीनियरों ने बताया कि स्ट्रक्चर निर्माण का 80 फीसदी काम पूरा हो गया है. वहीं, पत्थर की नक्काशी का काम (Architectural Scene in Kota) शुरू हुआ है, वह अभी 30 प्रतिशत ही हो पाया है. स्ट्रक्चर का काम पूरा होते ही पत्थर का काम शुरू कर दिया जाएगा.

केएसटी पर चार चांद लगाएगी यह हेवली : किशोर सागर तालाब की पाल पर यह हवेली बनाई जा रही है, जहां वैसे ही बड़ी संख्या में पर्यटक रोज घूमने आते हैं. ऐसे में केएसटी पर छत्र विलास गार्डन की तरफ बन रही हवेली भी चार चांद लगा देगी. केएसटी पर पहले से ही फाउंटेन और लाइटिंग के साथ बाराहदरी लोगों का मन मोह होती है. ऐसे में यह सालिम सिंह की हवेली भी नायाब होगी. एक तरफ जहां पर किशोर सागर तालाब की तरफ सेवन वंडर पार्क स्थित है, वहीं अब दूसरी तरफ यह सालिम सिंह की हवेली भी पर्यटकों को आकर्षित करेगी.

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जिस समाज के लोगों ने बनाई थी हवेली, वहीं यहां निर्माण में जुटे : निर्माण का काम करवा रहे विपुल गर्ग का कहना है कि करीब 50 ट्रक पत्थर जैसलमेर से कोटा आएगा. अभी करीब 10 ट्रक पत्थर लाया जा चुका है. इसकी नक्काशी का काम कोटा और जैसलमेर दोनों जगह पर जारी है. प्रारंभिक तौर पर नक्काशी जैसलमेर में हो रही है और इसके बाद में फाइनल नक्काशी का काम कोटा में किया जा रहा है.

Crores Rupees Spent on Replica in Kota
सालिम सिंह की हवेली के तर्ज पर कोटा में रिप्लिका...

नक्काशी काम में किसी भी मशीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है, सारा काम हाथों से ही हो रहा है. सालिम सिंह की हवेली का निर्माण छिपा समाज के कारीगरों ने करीब 200 साल पहले किया था, उसी समाज के कारीगर कोटा में बन रहे रेप्लिका का निर्माण भी कर रहे हैं. इसके लिए लगातार पत्थरों के नक्काशी का काम चल रहा है. करीब 50 मजदूर नक्काशी के काम से जुड़े हुए हैं. इसी तरह से कोटा में भी 10 से 15 मजदूर नक्काशी का काम कर रहे हैं.

बिना सीमेंट और कंक्रीट के बनी है सालिम सिंह की हवेली : जैसलमेर में किले के नजदीक सालिम सिंह हवेली स्थित है. यह पीले पत्थर से बनी हुई है, जिसे 1815 में बनवाया गया था. वर्तमान में यह एक म्यूजियम की तरह उपयोग में ली जा रही है. जैसलमेर पहुंचने वाले पर्यटक यहां बड़ी संख्या में देखने जाते हैं. जैसलमेर के इतिहास के अनुसार यह हवेली मेहता परिवार का निवास था, जिसे मोती महल के नाम से भी जाना जाता है. इस हवेली के छत का निर्माण मौर के आकार के रूप में किया गया था.

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शानदार नक्काशी के साथ 38 बालकनी है. इस हवेली की सबसे खास बात यह है कि यह बिना चुनाई के बनाई गई है. बताया जाता है कि इस इमारत को बिना तोड़े खोला जा सकता है. यह हवेली जैसलमेर के सबसे बेहतरीन वास्तुकला के नायाब नमूनों में से एक है.

Last Updated : Mar 1, 2022, 11:04 PM IST
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