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रेमडेसिविर की जगह पानी का इंजेक्शन देने का मामला: बारां विधायक पानाचंद मेघवाल ने सीएम को लिखा पत्र...आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

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Published : May 18, 2021, 9:07 PM IST

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बारां विधायक मेघवाल ने सीएम को लिखा पत्र

रेमडेसिविर की जगह पानी का इंजेक्शन देने से महिला की मौत का मामला गहराता जा रहा है. बारां विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस संंबंध में सीएम गहलोत को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

कोटा. बारां अटरू विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है और रेमडेसिविर की जगह पानी का इंजेक्शन देने से महिला की मौत के मामले में पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस इंजेक्शन की कालाबाजारी में निजी अस्पताल और कोटा जिले के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल हैं. सरकार कोरोना महामारी से बचाव व रोकथाम के लिए दिन रात जुटी हुई है, लेकिन कुछ निजी अस्पताल संचालक और चिकित्सा विभाग के अधिकारी इस आपदा में भी अवसर ढूंढने में लगे हैं. ऐसे लोगों पर मुकदमा दर्ज कर शीघ्र कार्रवाई की जानी चाहिए.

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शहर के झालावाड़ रोड स्थित कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी अस्पताल में भर्ती मरीजों के रेमडेसीविर इंजेक्शन की जगह पानी भरकर इंजेक्शन लगा देने के मामले में एक महिला की मौत का मामला सामने आया है. वहीं दूसरा मरीज आईसीयू में गंभीर स्थिति में भर्ती है. इस मामले के चलते पूरे प्रदेश में अस्पताल सुर्खियों में बना हुआ है. पूरे प्रकरण की जांच पुलिस कर रही है क्योंकि कालाबाजारी करते हुए पुलिस ने ही मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉक्टर विजय सरदाना की निशानदेही पर डिकॉय ऑपरेशन शुरू किया था.

इस मामले में बारां अटरू विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. साथ ही उनसे पूरे प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. विधायक पानाचंद मेघवाल का कहना है कि उन्होंने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री के ज्वाइंट सेक्रेटरी से भी बात की है जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से मेडिकल एंड हेल्थ के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा को पूरी जांच करवाने के संबंध में पत्र भेजा गया है.

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मानवता को शर्मसार कर रहे अस्पताल और अधिकारी

विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र के माध्यम से बताया कि कोटा शहर के कुछ निजी अस्पतालों में जंगलराज चल रहा है. खुलेआम रेमडीसीवीर इंजेक्शन और मंहगी दवाइयों की कालाबाजारी की जा रही है. सरकार की ओर से निजी अस्पतालों को दिए जा रहे संसाधनों की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. इस कालाबाजारी के खेल में निजी अस्पतालों के साथ चिकित्सा विभाग के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं. दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीज बेड और इंजेक्शन के अभाव मे दम तोड़ रहे हैं. निजी अस्पतालों और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से मानवता शर्मसार हो रही है.

प्रभावशाली अस्पताल और अधिकारियों को संरक्षण

बारां अटरू विधायक मेघवाल ने इंजेक्शन की हो रही कालाबाजारी में अधिकारियों पर भी निशाना साधा है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि कालाबाजारी में शामिल इन प्रभावशाली अस्पताल और अधिकारियों को किसी का संरक्षण प्राप्त है. जिससे कानून के हाथ इन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. ये केवल कुछ रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मामला नहीं है. इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने पर बड़े रैकेट का खुलासा हो सकेगा.

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