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5 साल की मासूम ने जज से कहा- दादा, दादी नहीं मौसी के साथ रहना है...और कोर्ट ने सौंप दी कस्टडी

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Published : Dec 8, 2020, 8:25 PM IST

Updated : Dec 8, 2020, 8:37 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए पांच साल की मासूम लावणिया की कस्टडी उसकी मौसी को सुपुर्द करने के आदेश दिए हैं. ननिहाल पक्ष का कहना था कि लावणिया की मां की हत्या उसके पिता ने की है और वह इसकी गवाह है. ऐसे में दादा-दादी और पिता के साथ उसकी जान को खतरा है.

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मां की हत्या की गवाह 5 साल की मासूम की कस्टडी मौसी को सौंपी

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए पांच साल की मासूम लावणिया की कस्टडी उसकी मौसी को सुपुर्द करने के आदेश दिए हैं. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ के समक्ष मासूम लावणिया के नाना मोहन सिंह की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए मासूम लावणिया की इच्छा अनुसार उसे मौसी सुमित्रा राठौड़ के पास रहने की इजाजत दे दी गई है.

5 साल की मासूम की कस्टडी मौसी को सौंपी

पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिए थे कि 8 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में मासूम लावणिया को भी पेश किया जाए. सुनवाई के दौरान पुलिस ने लावणिया को न्यायालय में पेश भी किया. वरिष्ठ न्यायाधीश मेहता ने लावणिया को अपने पास बुलाया और उससे पूछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है. तब लावणिया ने अपनी मौसी के साथ रहने की इच्छा जताई. इस पर न्यायालय ने लावणिया की कस्टडी उसकी मौसी सुमित्रा राठौड़ को सौंप दी.

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सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष लावणिया के ननिहाल से नाना-नानी व मौसी मौजूद थे. वहीं दादा-दादी व बुआ भी न्यायालय में थे लेकिन लावणिया की इच्छा अनुसार ही उसे मौसी के साथ भेजा गया. गौरतलब है कि पांच साल की लावणिया के नाना मोहन सिंह ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश कर खंडपीठ को बताया कि उनकी बेटी सुनीता कंवर की शादी हरियाणा के भिवाणी निवासी परविन्दर सिंह के साथ हुई थी. मोहन सिंह का आरोप है कि 27 जनवरी 2020 को सुनीता कंवर की हत्या कर दी गई, हत्या के समय लावणिया अपनी मां के साथ ही थी.

मोहन सिंह की ओर से कहा गया कि बाद में लावणिया के बयान 164 में दर्ज किए गए. ननिहाल पक्ष का कहना है कि लावणिया ने बताया कि उसकी मम्मी को उसके पापा ने ही मारा है. इसके बावजूद भिवानी के अनुसंधान अधिकारी व बाल कल्याण समिति ने 19 मार्च 2020 को मासूम की कस्टडी उसके पिता व दादा-दादी को दे दी.

ननिहाल पक्ष का तर्क था कि मुख्य गवाह होने के कारण अपने दादा-दादी के साथ रहते हुए मासूम की जान को खतरा है. लावणिया पहले से ही जोधपुर के एक स्कूल में पढ़ाई कर रही थी. ऐसे में लावणिया को वापस उसकी मौसी सुमित्रा राठौड़ के पास भेजा जाए. मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोहन सिंह की ओर से अधिवक्ता दीपेश बेनीवाल ने पक्ष रखते हुए लावणिया के 164 के बयान न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए.

वहीं मृतका के पति परविन्दर सिंह व मृतका की बहन सुमित्रा राठौड़ के बीच 26 जनवरी 2020 को हुई टेलीफोन से बातचीत को भी पेश किया गया.

Last Updated :Dec 8, 2020, 8:37 PM IST
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