ETV Bharat / city

विश्व पशु चिकित्सा दिवस विशेष : पशु चिकित्सकों की अपील...पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें, हर दिन करीब 40 गायें प्लास्टिक खाने से तोड़ रहीं दम

author img

By

Published : Apr 30, 2022, 7:40 PM IST

Updated : Apr 30, 2022, 10:18 PM IST

पूरा विश्व आज पशु चिकित्सा दिवस (World Veterinary Day) मना रहा है. पशुओं की चिकित्सा और चिकित्सकों के अनुभव साझा करने के लिए ईटीवी भारत की टीम हिंगोनिया गोशाला पहुंची. यहां चिकित्सकों से बातचीत में पता चला कि केवल पॉलिथीन खाने से हर दिन करीब 40 गायों की मौत हो जा रही है. चिकित्सकों ने सभी से पॉलिथीन न प्रयोग (Veterinarians Appeal do not use polythene) करने की अपील की है.

Veterinarians Appeal do not use polythene
विश्व पशु चिकित्सा दिवस विशेष

जयपुर. धरती पर डॉक्टर को भगवान का स्वरूप माना गया है. फिर चाहे वो इंसानों के हों या जानवरों के उनका वही सम्मान रहता है. पूरा विश्व आज पशु चिकित्सा दिवस (World Veterinary Day) मना रहा है. ये दिवस उन डॉक्टर्स को समर्पित है, जो निस्वार्थ भाव और समर्पण के साथ मूक प्राणियों की व्याधियों का उपचार करने में जुटे हुए हैं. ईटीवी भारत इस मौके पर हिंगोनिया गोशाला में गोवंश की चिकित्सा सेवा में जुटी मेडिकल टीम के पास पहुंचा. जो अपना सर्वस्व लगाकर शहरी क्षेत्र में पॉलिथीन खाने और दुर्घटना से ग्रस्त होने की वजह से पीड़ित गोवंश के उपचार में जुटे हुए हैं. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से आमजन से अपील (Veterinarians Appeal do not use polythene) की है कि वो पॉलिथीन का उपयोग ना करें और पॉलिथीन को पशुओं की पहुंच से दूर रखें.

राजधानी की सबसे बड़ी हिंगोनिया गोशाला जहां हर दिन 40 से 45 बीमार और दुर्घटना ग्रस्त हुई गायें पहुंचती हैं और लगभग इतनी ही गाय हर दिन उपचार के दौरान यहां दम तोड़ देती हैं. जिसका सबसे बड़ा कारण है पॉलिथीन. यहां मरने वाली गायों के पोस्टमार्टम में इस बात का खुलासा हुआ है कि अधिकतर गायों के पेट में बड़ी मात्रा में पॉलिथीन मिली है. जिसकी वजह से उनका पाचन तंत्र खराब हो जाता है, और उनकी मौत हो जाती है. इसके जिम्मेदार हम' ही हैं.

विश्व पशु चिकित्सा दिवस विशेष

पढ़ें. Apna Ghar Ashram Bharatpur: बेसहारा जीवों के लिए संजीवनी बना अपना घर आश्रम...यहां बेजुबानों का सेवा के साथ होता है उपचार

पॉलिथीन सबसे बड़ा दुश्मनः गायों के उपचार का काम करने वालों की भी एक बड़ी मेडिकल टीम यहां जुटी हुई है. पशु चिकित्सक डॉ. केके मौर्य ने बताया कि भारतीय संस्कृति के लोग गाय को माता की तरह पूजते हैं फिर भी जाने-अनजाने में उन्हें दुख पहुंचाते हैं. खाने के पदार्थों को पॉलिथीन में डालकर कचरे में फेंक देते हैं. जिसे गाय खाने की वस्तु समझ कर खा लेती हैं. ये पॉलिथीन उनके पेट में जाकर जमा हो जाती है. पेट का एक नियत स्थान है उस स्थान पर यह पॉलिथीन जमा होने से भोजन का स्थान कम हो जाता है. इसकी वजह से चारा देने पर भी वो चारा ग्रहण नहीं करती हैं. खाली समय में जब गोवंश जुगाली करता है, तो वो अपने पेट की सामग्री को दोबारा मुंह में लेकर पचाता है. लेकिन यदि उसके पेट में किसी तरह की पॉलिथीन या अखाद्य वस्तु होगी, जो पचने लायक नहीं होगी तो वो जुगाली करने के प्रोसेस के दौरान उसकी खाद्य नली में अटक जाएगी. जिसकी वजह से खाना वापस उसके मुंह में नहीं आ पाता और वो उसे अच्छे से चबाकर पचा नहीं पाती. पॉलिथीन के नली में अटकने से ही वो मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती है.

Veterinarians Appeal do not use polythene
गोवंशों का उपचार

वहीं जयपुर शहर और उसके आसपास बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां सड़क दुर्घटना में या किसी और दुर्घटना में गोवंश या कोई और पशु घायल होता है तो उसे यहां तक लाया जाता है. डॉ केके मौर्य ने बताया कि यहां उनका एक्सरे सोनोग्राफी और दूसरी जांचें की जाती हैं. जिसके आधार पर उनका ट्रीटमेंट किया जाता है. वहीं यहां मौजूद प्रयोगशाला में खून, मूत्र, मल, सीमन, स्किन और दूसरी विभिन्न प्रकार की जांच की जाती है. उन जांचों के आधार पर जो रोग समझ में आता है, उसके अनुसार इलाज किया जाता है.

पढ़ें. चूरू की मॉडल गोशाला: यहां गोवंश पीते हैं RO का पानी और खाते हैं ऑर्गेनिक चारा...पक्षियों के लिए भी 9 मंजिला घर

इनका रखना होगा ध्यानः उन्होंने बताया कि जानवरों में बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं, जो इंसानों से जानवर और जानवर से इंसान में फैल जाती है. इनमें प्रमुख है टीबी, जो दूध के माध्यम से इंसानों तक पहुंचती है, और यदि दूध निकालने वाले व्यक्ति के टीबी है, तो वो जानवरों में पहुंच जाती है. इसके अलावा ब्रूसेलोसिस भी इसी तरह की बीमारी है जो जानवरों से इंसानों को इफेक्ट करती है. जिनका समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है. डॉ केके मौर्य के अनुसार गोवंश की चाल-ढाल और चारा चरने के तरीके से, शरीर के तापमान से इन बीमारियों के लक्षण को पहचाना जा सकता है. उन्होंने बताया कि गाय की सामान्य उम्र दिन-ब-दिन घटती जा रही है. चूंकि उन्हें आवश्यकता के अनुसार पोषण नहीं मिल पा रहा. जिसे अब नेचुरल डेथ की श्रेणी में रखा जाने लगा है. इसके अलावा दुर्घटनाग्रस्त गाय और अखाद्य पदार्थ के सेवन से भी उनकी मौत हो जाती है.

Veterinarians Appeal do not use polythene
गोवंशों की देखभाल

पढ़ें. अजमेरः नये पशु चिकित्सालय में बीमार पशुओं का उपचार हुआ शुरू, 1.50 करोड़ की लागत से हुआ है तैयार

पशु चिकित्सा के प्रति लोगों में आई जागृतिः डॉ. केके मौर्य ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि कुछ समय से पशु चिकित्सा के प्रति लोगों में जागृति आई है. चूंकि पशु मूक होता है, वो अपनी परेशानी किसी को बता नहीं सकता. उनके लक्षणों के आधार पर ही सैंपल की प्रयोगशाला में जांच कर बीमारी का पता लगाया जाता है. यही वजह है कि मेडिकल साइंस की तुलना में ये काफी अलग और कठिन है. मेडिकल साइंस में जांच आदि के संसाधन बहुत एडवांस हो चुके हैं. लेकिन पशु चिकित्सा में अभी संसाधन अपडेट नहीं हुए हैं. आलम ये है कि आज किसी पशुपालक को किसी सैंपल की जांच के लिए भी ले जाने को कहा जाता है, तो वही उनके लिए मुश्किल हो जाता है.

इसलिए बने पशु चिकित्सकः इस प्रोफेशन को चुनने के पीछे डॉ केके ने बताया कि उनका नाम कृष्ण कुमार भी इसलिए रखा गया है कि उनके पिता मानते हैं की वो धरती पर अपनी संस्कृति को बचाने के लिए आए हैं. गाय को माता का मान है, उनका मान-सम्मान बनाए रखते हुए उनका बचाव करना उनकी जिम्मेदारी है. इसी सोच के साथ उनके पिताजी ने उन्हें पशु चिकित्सक बनने की ओर प्रोत्साहित किया। जिसका नतीजा है कि आज वो खुद जानवरों का दर्द समझते हुए उनका उपचार करते हैं. उनकी कोशिश यही रहती है कि किसी भी पशु के दर्द को कम कर सकें. वो अब तक करीब 2000 पशुओं का पोस्टमार्टम भी कर चुके हैं, जिसमें सामने आया कि 90 फ़ीसदी पशुओं की मौत का कारण उनके पेट में जमा होने वाली पॉलिथीन है.

बहरहाल, पशुओं का जो दर्द डॉ कृष्ण कुमार ने देखा और समझा, वहीं दर्द एक आम व्यक्ति को भी समझने की जरूरत है. कारण साफ है आज हिंगोनिया गौशाला में प्रतिदिन जो गाय मर रही हैं, उनका सबसे बड़ा कारण उनके पेट में जमा होने वाली पॉलिथीन हैं. जरूरत है पॉलिथीन पर पूरी तरह नकेल कसने की. हाल ही में केंद्र सरकार ने भी 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक का बैन किया है. ईटीवी भारत भी दर्शकों से यही अपील करना चाहेगा कि वो पॉलिथीन का इस्तेमाल ना करें और पशुओं से भी इस पॉलिथीन को दूर रखें.

Last Updated :Apr 30, 2022, 10:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.