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कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए जल्द आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी गहलोत सरकार

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Published : Jun 3, 2021, 8:17 AM IST

प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को संबल देने के लिए गहलोत सरकार जल्द आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इस पर विशेष चर्चा की गई. बैठक में प्रदेश में कोविड प्रबंधन, वैक्सीनेशन के साथ-साथ कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमण के फैलाव को रोकने की तैयारियोंं आदि पर विस्तृत चर्चा की गई.
orphaned children in rajasthan
कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों के लिए बनेगा पैकेज

जयपुर. शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया कि बैठक में इस बात पर विचार किया गया कि इस महामारी से समाज के अन्य वर्गों के साथ-साथ विद्यार्थी वर्ग भी अत्यधिक प्रभावित हुआ है. चिकित्सा विशेषज्ञ संक्रमण की तीसरी लहर से बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को निरस्त करने का निर्णय किया गया.

पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा...

बैठक में बताया गया कि पहली लहर के समय जिन 33 लाख असहाय, निराश्रित और श्रमिक परिवारों को 3 हजार 500 रुपए प्रति परिवार की सहायता प्रदान की गई थी. उन्हें संबल देने के लिए इस वर्ष की एक हजार रुपए की दूसरी किश्त इसी जून माह में जारी कर दी जाएगी. इन परिवारों को एक हजार रुपए इस वर्ष की पहली किश्त अप्रैल माह में ही दी जा चुकी है.

डोटासरा का केंद्र पर निशाना...

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने फाइनेंस सेकेट्री को निर्देश दिए हैं कि वो इन बच्चों को तत्काल आर्थिक संबल देने के लिए पैकेज बनाए. जल्द ही फाइनेंस डिपार्टमेंट अध्ययन करके इसका ड्राफ्ट तैयार करेगा. डोटासरा ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इन अनाथ हुए बच्चों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है, वो 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर उसका लाभ ले सकेंगे. ऐसे पैकेज का क्या करें, जिसका फायदा जरूरत पर नहीं मिले. इसलिए प्रदेश की गहलोत सरकार ऐसा पैकेज तैयार कर रही है, जिससे इन बच्चों को तत्काल राहत मिल सके. उन बच्चों की शिक्षा, रहने-खाने की व्यवस्था के साथ उनकी सुरक्षा और संरक्षण पर भी काम करेगा.

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मंत्रिपरिषद ने प्रस्ताव पारित किया कि केंद्र सरकार अन्य आयु वर्गों की भांति ही 18-44 आयु वर्ग के युवाओं के लिए नि:शुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराए. ग्लोबल टेंडर करने के बावजूद वैक्सीन निर्माता कंपनियां राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में केंद्र सरकार का दायित्व है कि जिस तरह 45 वर्ष से उपर के लोगों के लिए नि:शुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराई गई हैं. उसी प्रकार राजस्थान सहित देश के सभी राज्यों को युवा वर्ग के लिए भी पर्याप्त मात्रा में और नि:शुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराए. इसी अनुरूप भविष्य में आने वाली बच्चों की वैक्सीन भी राज्यों को नि:शुल्क उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

भ्रामक प्रचार कर रही बीजेपी...

बैठक में मंत्रिपरिषद ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन डोज की वेस्टेज का प्रतिशत 2.08 है, जो कि वैक्सीन वेस्टेज की राष्ट्रीय औसत 6 प्रतिशत और भारत सरकार द्वारा वैक्सीन खराबी की अनुमत सीमा 10 प्रतिशत से काफी कम है. वैक्सीनेशन के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ जंग के सभी मानकों में राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में है. शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ भ्रामक प्रचार कर रही है. केंद्र सरकार और उनके मंत्री के साथ बीजेपी इस पूरे कोरोना काल मे कहीं नजर नहीं आई. किसी जरूरतमंद की मदद के लिए आगे नहीं आई. जब लगा कि देश की जनता बीजेपी के चहरे को पहचान चुकी है तो उनका ध्यान भटकाने के लिए इस तरह भ्रामक प्रचार कर रही है.

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बैठक में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति, वैक्सीनेशन, ब्लैक फंगस को रोकने के उपायों और तीसरी लहर की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई. बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन तथा जन अनुशासन लॉकडाउन की प्रभावी पालना के कारण बीते करीब 20 दिनों में एक्टिव रोगियों की संख्या में तेजी से कमी लाने में मदद मिली है.

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियां तेज...

संक्रमण की दूसरी लहर के पीक पर राज्य में एक्टिव रोगियों की संख्या 2 लाख से अधिक हो गई थी, जो अब घटकर 37 हजार के स्तर पर आ गई है. रिकवरी रेट भी 95 प्रतिशत से अधिक हो गई है. ऑक्सीजन की खपत 400 एमटी प्रतिदिन से घटकर 222 एमटी प्रतिदिन के करीब हो गई है. म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के उपचार के लिए 37 निजी एवं राजकीय अस्पतालों को अधिकृत किया गया है.

बैठक में बताया गया कि तीसरी लहर की तैयारियों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जा रहा है. जिसके तहत पाइपलाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं. चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, साथ ही बच्चों के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंधन किया जा रहा है.

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