जयपुर. नगर निगम का ऑफिस टाइम सुबह 9:30 बजे से 6:00 बजे तक का है. लेकिन शुक्रवार को महापौर के औचक निरीक्षण में 10:30 बजे तक भी अधिकारी-कर्मचारी अपनी सीट पर नहीं मिले.
महापौर मुनेश गुर्जर के औचक निरीक्षण में पशु प्रबंधन शाखा पूरी तरह खाली दिखी. उद्यान शाखा में भी अधिकारी अपनी सीट पर नहीं मिले. इसके अलावा कार्मिक राजस्व और विद्युत शाखा के अधिकारी-कर्मचारी भी मुख्यालय पर देरी से पहुंचे. आलम ये था कि महापौर के औचक निरीक्षण में महज लेखा शाखा और नागरिक सेवा केंद्र का कमरा ऐसा था, जिसमें कर्मचारियों की पूरी संख्या मौजूद थी.
अपने औचक निरीक्षण को लेकर महापौर ने कहा कि हेरिटेज नगर निगम में आम जनता की सुनवाई नहीं होने की लगातार शिकायत मिलती है. उनके फोन अटेंड नहीं होते. फाइलें टेबल से मूव नहीं हो रहीं. एक टेबल पर ही 10 से 15 दिन तक फाइल पड़ी रहती है. जबकि निर्देश दिए हुए हैं कि 3 दिन से ज्यादा समय तक एक टेबल पर फाइल नहीं रहनी चाहिए.
महापौर ने कहा कि औचक निरीक्षण में सामने आया कि कोई स्टाफ 10:00 बजे आ रहा है, तो 10:30 बजे और 11:00 बजे तक भी आधा स्टाफ नहीं पहुंचा. उन्होंने कहा कि नगर निगम में इस तरह काम नहीं चलेगा, जब तक समय के पाबंद नहीं होंगे, तब तक काम ठीक तरीके से नहीं हो सकते.
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अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से ही हेरिटेज निगम की हालत खराब है. हर शाखा के उपायुक्त समय पर आएंगे, तो उनके नीचे का स्टाफ समय पर आएगा. जब तक अधिकारी टाइम के पंक्चुअल नहीं होंगे, तब तक इस तरह के औचक निरीक्षण चलते रहेंगे. फिलहाल सभी शाखाओं के रजिस्टर मंगवा लिए गए हैं, और सभी की उपस्थिति और टाइम की जांच की जाएगी.
जहां तक उपायुक्तों की बात है सभी को समय पर आने के लिए पाबंद किया जाएगा और यदि अधिकारी-कर्मचारी समय पर नहीं आ सकते तो घर बैठें. हालांकि महापौर के बयान में उन्होंने ऑफिस टाइम 8:30 बताया. ऐसे में या तो महापौर को भी ऑफिस टाइम की जानकारी नहीं या फिर उनकी अपेक्षाएं ज्यादा हैं.
कुछ अधिकारियों ने देरी से आने का तर्क दिया कि निगम कमिश्नर अवधेश मीणा, एडिशनल कमिश्नर मुकुट बिहारी और स्वास्थ उपायुक्त आशीष कुमार सभी जोन में नालों की सफाई का काम देखने के लिए निकले थे. जिसमें जोन के उपायुक्त और संबंधित अधिकारी भी मौजूद रहे. महापौर के निरीक्षण से पहले गुरुवार को ही ये प्लान तय कर लिया गया था.