जयपुर. देवी भगवती की उपासना के पर्व चैत्र नवरात्रि का आज गुरुवार को छठा दिन (day 6th of navratri 2022) है. छठे नवरात्रि को मां भगवती के कात्यायनी स्वरूप की पूजा (Maa Katyayani Worshiped) और उपासना की जाती है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देवी के इस स्वरूप को बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है और देवगुरु बृहस्पति को भाग्य, संतान, पूर्वज और मान सम्मान का कारक माना जाता है.
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि देवी भगवती के कात्यायनी स्वरूप को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है और बृहस्पति भाग्य, संतान, पूर्वज और मान सम्मान का कारक माना जाता है. जिस जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो या नैसर्गिक अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है. ऐसे जातकों को संतान प्राप्ति में भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे जातकों को नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की खास तौर पर उपासना करनी चाहिए.
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ऐसे करें देवी कात्यायनी की उपासना: सूर्योदय से पूर्व उठने के बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने देवी कात्यायनी का ध्यान करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें. चंदन, कुमकुम के साथ देवी को पुष्प अर्पित करें. देवी कात्यायनी को शहद का भोग अर्पित कर देवी कात्यायनी के बीज मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप (Know how to perform Maa Katyayani Puja) करना चाहिए.
यह है मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः
इस महा उपाय से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं: अपने घर के पास स्थित किसी शक्तिपीठ या देवी मंदिर में घी का दीपक (Maa Katyayani Worshiped) प्रज्ज्वलित करें. इसके बाद श्री देव्यै अथर्वशीर्षम का ज्यादा से ज्यादा पाठ करें (Jaap On Maa Katyayani Day). इससे देवी भगवती के आशीर्वाद से जल्द ही मनोवांछित फल मिलेगा.