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हिस्ट्रीशीटर अजय यादव हत्याकांड के दो आरोपी गिरफ्तार, पुलिस ने किया खुलासा

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Published : Oct 1, 2021, 1:07 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 2:22 PM IST

जयपुर पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या करने वाले दो बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है. बता दें, जयपुर के शातिर बदमाश प्रदीप के कहने पर हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या की गई.

History sheeter Ajay Yadav, Rajasthan News
हिस्ट्रीशीटर अजय यादव

जयपुर. राजधानी के बनीपार्क थाना इलाके में 21 सितंबर को गोली मार और पत्थर से सिर कुचलकर हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या करने वाले दो बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है. पुलिस ने हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए उदयपुर और जयपुर में अनेक स्थानों पर दबिश दी तब जाकर दो हत्यारे पुलिस के हत्थे चढ़े हैं.

इस पूरे प्रकरण को लेकर डीसीपी वेस्ट रिचा तोमर ने प्रेस वार्ता कर खुलासा किया है. सूत्रों की मानें तो जयपुर के शातिर बदमाश प्रदीप के कहने पर हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या की गई. हिस्ट्रीशीटर अजय यादव ने जेल में बंद अपनी गैंग के अनेक साथियों को छुड़ाने का वादा किया था और फिर बाद में वादे से मुकर गया.

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इसके चलते अजय यादव की गैंग के ही जेल में बंद एक सदस्य ने बदमाश प्रदीप से संपर्क कर अजय से बदला लेने के लिए कहा. जिसके बाद प्रदीप के कहने पर हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या की गई.

History sheeter Ajay Yadav, Rajasthan News
2 आरोपी गिरफ्तार

21 सितंबर को बनी पार्क थाना इलाके में की गई हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने दो आरोपी जयराज सिंह और प्रवीण कुमार उर्फ पवन यादव को गिरफ्तार किया है. वहीं, पुलिस ने इस हत्याकांड में कुल 7 आरोपियों को नामजद किया है, जिसमें से पांच अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं.

हत्याकांड के पीछे का मुख्य कारण राजधानी के विभिन्न बदमाशों के गैंग की बीच की वर्चस्व की लड़ाई निकल कर सामने आया है. इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड प्रदीप यादव है जो वर्ष 2020 के मार्च माह में झोटवाड़ा थाना इलाके में हुई फायरिंग में गंभीर रूप से घायल हो गया था. जो उपचार के दौरान पैरालाइज हो गया और वर्तमान में चलने फिरने में असमर्थ होने के कारण बिस्तर पर ही पड़ा है.

डीसीपी वेस्ट रिचा तोमर ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर अजय यादव और वैशाली नगर थाने के हिस्ट्रीशीटर मुकेश यादव के बीच वर्ष 2016 तक गहरी दोस्ती थी. वर्ष 2015 में राजधानी के जवाहर नगर में हुई गगन पंडित पर फायरिंग के प्रकरण में अजय यादव का नाम आने के बाद वह शहर से फरार हो गया. अजय यादव ने फरारी के दौरान मुकेश यादव से मदद मांगी लेकिन मुकेश ने अजय की कोई मदद नहीं की जिसके चलते दोनों के बीच में मनमुटाव शुरू हो गया.

वर्ष 2000 बीच में मुकेश यादव अजय यादव को छोड़कर झोटवाड़ा के हिस्ट्रीशीटर प्रदीप यादव के नजदीक आ गया और दोनों ने साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया. दोनों ही बदमाशों ने अपनी गैंग के साथ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट कर अपना वर्चस्व कायम करने का प्रयास किया और साथ ही अजय यादव गैंग का प्रभाव कम करने का प्रयास किया. मार्च 2020 में अजय यादव के साथी हिमांशु जांगिड़ और बंटी शर्मा ने झोटवाड़ा में बदमाश प्रदीप यादव के ऑफिस में घुसकर फायरिंग कर दी, जिसमें प्रदीप यादव गंभीर रूप से घायल होकर पैरालाइज हो गया. इस घटना के लिए प्रदीप यादव और मुकेश यादव हिस्ट्रीशीटर अजय यादव को दोषी मानने लगे और उससे बदला लेने की ठान ली.

हिस्ट्रीशीटर अजय यादव के अकेला होने के बाद रची गई उसके हत्याकांड की साजिश

डीसीपी वेस्ट रिचा तोमर ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर अजय यादव के साथी हिमांशु जांगिड़ और बंटी शर्मा अमरसर सरपंच की हत्या कांड में गिरफ्तार होकर जेल चले गए. उसके बाद अजय यादव अकेला हो गया और उसकी गैंग का कोई भी सदस्य उसके साथ नहीं बचा. ऐसे में अजय यादव को अकेला देखकर पैरालाइज होकर बिस्तर पर पड़े हिस्ट्रीशीटर प्रदीप यादव ने अपने दोस्त मुकेश यादव जो कि पुलिस थाना वैशाली नगर का हिस्ट्रीशीटर है, उसके साथ मिलकर अपने अन्य साथी वीरेंद्र चौधरी उर्फ बिल्लू और अक्षय सिंह उर्फ आशीष शेखावत व अन्य कुछ व्यक्तियों के साथ मिलकर अजय यादव की हत्याकांड का षड्यंत्र रचा.

षड्यंत्र के तहत 21 सितंबर की दोपहर दो एक्टिवा स्कूटर पर सवार होकर वीरेंद्र सिंह, अक्षय सिंह, मुकेश यादव और उनके दो अन्य साथी सूत मिल रेलवे फाटक के पास चाय की थड़ी पर पहुंचे. जहां स्कॉर्पियो गाड़ी में अपने साथी सौरव शर्मा के साथ बैठे हिस्ट्रीशीटर अजय यादव पर बदमाशों ने फायरिंग की और अजय यादव बचने के लिए गाड़ी से उतरकर चाय की थड़ी के पीछे भागा. जहां पर उसे दबोच कर गोली मार और पत्थर से सिर कुचलकर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई.

हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश मुकेश यादव अपने एक अन्य साथी के साथ बस में बैठ कर सीकर की तरफ रवाना हो गया. वहीं बदमाश वीरेंद्र सिंह और अक्षय सिंह पाली की तरफ रवाना हो गए. इसके बाद 25 सितंबर को बदमाश अक्षय सिंह और वीरेंद्र सिंह पाली से रवाना होकर शाहजहांपुर पहुंचे जहां बदमाश प्रदीप यादव के भांजे ने उन्हें अपने घर पर रखा. बदमाशों को फरारी के खर्चे की 20 हजार रुपए की राशि देकर प्रदीप यादव का भांजा दोनों को 27 सितंबर को रेवाड़ी छोड़ आया.

प्रकरण में फरार चल रहे बदमाशों की धरपकड़ के लिए विभिन्न राज्यों में दबिश

डीसीपी वेस्ट रिचा तोमर ने बताया कि प्रकरण में फरार चल रहे अन्य बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर दबिश की कार्रवाई को अंजाम दे रही है. वहीं, बदमाशों की कॉल डिटेल का विश्लेषण कर टेक्निकल टीम बदमाशों की लोकेशन को ट्रेस आउट करने का काम कर रही है.

प्रकरण में मुकेश यादव, वीरेंद्र सिंह उर्फ बिल्लू, अक्षय सिंह उर्फ आशीष शेखावत, प्रदीप यादव व एक अन्य बदमाश अभी फरार चल रहे हैं. बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने घटनास्थल से लेकर सीकर जिले तक तकरीबन 175 किलोमीटर की अवधि में लगे हुए हजारों की संख्या में सीसीटीवी फुटेज खंगाले तब जाकर बदमाशों के सुराग पुलिस के हाथ लगे. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 2 बदमाशों को धर दबोचा.

Last Updated : Oct 1, 2021, 2:22 PM IST
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