जयपुर. शहरी सरकार के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश कितना मायने रखता है, इसकी बानगी शहर के अलग-अलग हिस्सों में देखी जा सकती है. जहां कोर्ट के आदेश के बाद भी अवैध रूप से पशु डेयरियां संचालित हो रही है. इन डेयरियों में दूध के लिए पाले जाने वाले पशुओं का शहर के बाजारों में विचरण करना आम बात है. हालांकि, निगम प्रशासन सख्त रूख अख्तियार करते हुए अवैध डेयरियों के बिजली-पानी के कनेक्शन काटने का दंभ भर रहा है.
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यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल जयपुर परकोटे के बाशिंदे आवारा पशुओं की समस्या से हर दिन दो-चार होते हैं. सरकारी तंत्र की उदासीनता के चलते शहर वासियों के साथ-साथ यहां पहुंचने वाले देशी-विदेशी पावणे भी परेशान होते हैं. चारदिवारी के मुख्य बाजार हो या तंग गलियां सभी जगह आवारा और बेसहारा पशुओं को देखा जा सकता है.
हैरत की बात ये है कि हाईकोर्ट भी शहर में संचालित हो रही अवैध डेयरियों पर कार्रवाई को लेकर शहरी सरकार को कई बार ताकीद कर चुका है, लेकिन हेरिटेज नगर निगम अब तक इन अवैध डेयरियों पर लगाम नहीं कस पाया है. अवैध डेयरी संचालक पशुओं का दूध निकाल कर उन्हें सड़क पर विचरण के लिए छोड़ देते हैं और निगम के कारिंदे भी इन पशुओं को जब्त करने से बचते हैं.
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हालांकि, पशु प्रबंधन उपायुक्त देवेंद्र जैन का दावा है कि हाई पावर कमेटी की मीटिंग के बाद पहले अवैध डेयरी चिन्हित करने का काम किया. दो चरणों में 95 अवैध डेयरी चिन्हित कर उन्हें 15 दिन में शिफ्ट करने का नोटिस दिया गया है. इनमें से 25 के बिजली-पानी के कनेक्शन काटने के लिए विभाग को लिखा गया है. उन्होंने कहा कि रोड पर नियमित रूप से अभियान चल रहा है. जिसके तहत नियमित रूप से 20 से 25 पशु पकड़ कर गौशाला छोड़ा जा रहा है. मार्च अंत तक चिन्हित सभी अवैध डेयरियों के बिजली-पानी कनेक्शन काट दिए जाएंगे और यदि डेयरी शिफ्ट नहीं की जाती, तो पशुओं को जब्त किया जाएगा.