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सरकार ने बिजली कर्मियों को भी माना कोरोना वॉरियर्स लेकिन 50 लाख के सुरक्षा कवर का लाभ अब तक नहीं मिला

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Published : Apr 30, 2021, 5:34 PM IST

Electricity workers did not get safety cover,  Corona epidemic
50 लाख के सुरक्षा कवर का लाभ अब तक नहीं मिला

गहलोत सरकार ने बिजलीकर्मियों को भी कोरोना वॉरियर्स माना है. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी बिजलीकर्मी की ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत होने पर आश्रित परिवार को 50 लाख के अनुग्रह राशि दिए जाने का लाभ नहीं मिल पाया है.

जयपुर. देश और प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कहर बरपा रही है. संक्रमण के इस दौर में चिकित्सा, पुलिस सहित कई विभागों के कर्मचारी फ्रंट लाइन वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे हैं. वहीं, अति आवश्यक सेवाओं में शामिल बिजली कर्मी भी पूरी शिद्दत के साथ कोरोना काल में अपने काम में जुटे हैं. लेकिन, बिजली कर्मियों को अब तक अन्य कोरोना वॉरियर्स की तरह ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत होने पर आश्रित परिवार को 50 लाख के अनुग्रह राशि दिए जाने का लाभ नहीं मिल पाया है.

50 लाख के सुरक्षा कवर का लाभ अब तक नहीं मिला

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दरअसल, पिछले साल जब कोरोना की पहली लहर आई थी तब सरकार ने चिकित्साकर्मियों, पुलिसकर्मियों और सफाईकर्मियों को फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स माना था. तब डिस्कॉम और विद्युत प्रसारण निगम से जुड़े बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने इसका विरोध भी किया. साथ ही यह भी मांग की थी कि जब अति आवश्यक सेवाओं में बिजली भी शामिल है और कर्मचारी इस महामारी के दौर में निरंतर अपना काम कर रहे हैं तो फिर उन्हें भी राज्य सरकार कोरोना वॉरियर्स मानते हुए कोरोना से मृत्यु पर पीड़ित परिवार को 50 लाख आर्थिक मदद दें.

इसके लिए बिजलीकर्मियों ने आंदोलन भी किया. इसके बाद वित्त विभाग ने अप्रैल 2020 में एक आदेश निकाल कर स्वायत्त निकायों बोर्ड निगमों के कर्मचारियों के आश्रित परिवारों को जिनकी मौत ड्यूटी पर रहते हुए कोरोना से हो गई है उन्हें 50 लाख अनुग्रह राशि की मदद देने के निर्देश दिए. इस तरह के स्वायत्त निकायों बोर्ड निगमों की ओर से अपने स्वयं के धन से पूर्व अनुदान दिया जाएगा, यह भी सुनिश्चित किया गया. लेकिन जयपुर डिस्कॉम सहित बिजली कंपनियों में अब तक इसका लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल पाया.

डिस्कॉम ने फाइनेंस को भेजी फाइल...वापस लौटी

कुछ महीने पहले डिस्कॉम ने इस संबंध में एक प्रस्ताव से जुड़ी फाइल वित्त विभाग को भी भेजी, लेकिन उसमें यह टिप्पणी के साथ वापस लौटा दी गई की जिस तरह स्वास्थ्य कर्मचारी और अन्य कर्मचारी जो कोविड 19 महामारी में पीड़ितों के उपचार व अन्य सेवाओं में जुटे हैं, ऐसे ही डिस्कॉम में में कौन से कर्मचारी है जिन्हें इस श्रेणी में माना जाना है. अब बिजली कंपनियों की ओर से इस श्रेणी के कर्मचारी अब तक तय नहीं किए गए और मामला यहीं पर ठंडे बस्ते में अटका हुआ है.

कर्मचारी संगठन नाराज

बता दें, जिन कर्मचारियों को इसकी जानकारी है वे लगातार प्रशासन पर इस बात को लेकर दबाव बना रहे हैं कि डिस्कॉम और बिजली कंपनियों से जुड़े प्रशासन स्वयं यह तय करें कि उनका कर्मचारी फ्रंटलाइन वॉरियर्स है. क्योंकि यह अनुग्रह राशि का भुगतान बोर्ड निगम को ही करना है.

प्रांतीय विद्युत मंडल मजदूर फेडरेशन राजस्थान के प्रदेश संयुक्त महामंत्री डीडी शर्मा के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम को 1 साल का समय निकल चुका है, लेकिन अभी तक बिजली कंपनियां अपने ही कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वॉरियर्स मानने का फैसला नहीं ले पाई जिससे कर्मचारियों में रोष भी है. डीडी शर्मा ने यह भी कहा कि जल्द ही इस मामले में निर्णय लिया जाए. वहीं, जो कर्मचारी कोरोना के संक्रमण में आ चुका है उसे तत्काल 3 से 5 लाख की आर्थिक मदद दी जाए ताकि वो अपना उपचार करवा सके.

जयपुर डिस्कॉम में ही 375 कर्मचारी आ चुके कोरोना की चपेट में

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अकेले जयपुर डिस्कॉम के करीब 375 अधिकारी-कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इनमें अधिकतर कर्मचारी तकनीकी कर्मचारी हैं जो फील्ड में रहकर अपनी सेवाएं देते हैं. यही कारण है इस महामारी के दौर में बिजली कर्मचारी चाहता है कि यदि इस महामारी की चपेट में वह ड्यूटी के दौरान आया तो कम से कम उसके परिवार की आर्थिक रूप से सुरक्षा की जिम्मेदारी तो राजस्थान विद्युत वितरण, उत्पादन और प्रसारण निगम से जुड़ी कंपनियां उठाएं.

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