Action Against False Cases : राजस्थान में अब नहीं बचेंगे झूठे केस दर्ज करवाने वाले, रेंज IG और SP को कार्रवाई के सख्त निर्देश

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Published : Mar 1, 2022, 7:18 PM IST

rajasthan police headquarter jaipur

इंसान के अधिकारों और स्वयं की रक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं, लेकिन राजस्थान में लोग अब इंसाफ पाने के लिए कम और दूसरे लोगों को (False Cases in Rajasthan) झूठे मामलों में फंसाने के लिए कानून का गलत तरीके से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. विशेषकर राजस्थान में दर्ज होने वाले महिला अत्याचारों के प्रकरणों और एससी/एसटी एक्ट के प्रकरणों में एफआर प्रतिशत काफी ज्यादा देखने को मिला है. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

जयपुर. राजस्थान में कानून का गलत इस्तेमाल कर झूठे केस दर्ज करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हाल ही में हुई क्राइम मीटिंग में पुलिस के आला अधिकारियों के बीच में यह मुद्दा काफी चर्चा का विषय रहा. पुलिस मुख्यालय से तमाम रेंज आईजी व जिला एसपी को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि झूठे मामले दर्ज कराने वाले लोगों के खिलाफ (Action will be Taken for False Cases in Rajasthan) सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए. अब राजस्थान पुलिस झूठे मामले दर्ज कराने वाले लोगों के खिलाफ कोर्ट में इस्तगासा पेश करेगी और उनके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा.

वर्ष 2021 में दर्ज महिला अत्याचारों के 45 फीसदी प्रकरणों में लगी एफआर : एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि (ADG Crime Ravi Prakash Meharda on False Cases) वर्ष 2021 में प्रदेश में दर्ज हुए महिला अत्याचारों के प्रकरणों में 45 फीसदी मामलों में पुलिस ने कोर्ट में एफआर पेश की है. यानी कि वर्ष 2021 में पूरे प्रदेश में महिला अत्याचारों से संबंधित विभिन्न तरह के कुल 40220 मामले दर्ज किए गए. जिसमें से 16728 मामलों में पुलिस ने कोर्ट में एफआर पेश की, यानी कि यह मामले झूठे पाए गए. महिला अत्याचारों की कैटेगरी में दहेज मृत्यु के 26 फीसदी, दहेज आत्महत्या का दुष्प्रेरण के 42 फीसदी, महिला उत्पीड़न के 425 फीसदी, बलात्कार के 46 फीसदी, छेड़छाड़ के 40 फीसदी और अपहरण के 67 फीसदी प्रकरण झूठे पाए गए.

एडीजी क्राइम रवि प्रकाश मेहरड़ा ने क्या कहा...

वर्ष 2021 में दर्ज एससी/एसटी एक्ट के 50 फीसदी से अधिक प्रकरण में लगी एफआर : एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2021 में अनुसूचित जाति अत्याचार के कुल 7524 प्रकरण दर्ज किए गए. जिसमें से 3224 प्रकरणों में पुलिस ने कोर्ट में एफआर पेश की, यानी कि अनुसूचित जाति अत्याचार के 50 फीसदी प्रकरण झूठे पाए गए. इसी प्रकार से अनुसूचित जनजाति अत्याचार के तहत प्रदेश में 2121 प्रकरण दर्ज किए गए, जिसमें से 925 प्रकरणों में पुलिस ने कोर्ट में एफआर पेश की. यानी कि अनुसूचित जनजाति अत्याचार के 53 फीसदी प्रकरण झूठे पाए गए.

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इतनी बड़ी संख्या में प्रकरणों के झूठे पाए जाने को लेकर पुलिस मुख्यालय काफी गंभीर नजर आ रहा है. हालांकि, राजस्थान सरकार की फ्री केस रजिस्ट्रेशन की नीति के चलते जहां लोगों को फायदा हो रहा है और उनकी शिकायत पर पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज की जा रही है, तो वहीं कुछ लोग इसका गलत फायदा उठा कर (Misuse of Law in Rajasthan) बेकसूर लोगों को झूठे मामलों में फंसाने का काम भी कर रहे हैं.

अब कोर्ट देगा सजा और करेगा फाइन : एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने कहा कि बड़ी तादाद में झूठे मामलों के उजागर होने के बाद अब पुलिस कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल करने वाले लोगों से सख्ती से निपटने की तैयारी कर रही है. कोर्ट में पुलिस के एफआर पेश करने और कोर्ट द्वारा उसे स्वीकार करने के बाद अब पुलिस झूठे मामले दर्ज कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में इस्तगासा पेश करेगी.

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इसके बाद झूठा मामला दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कोर्ट का ट्रायल फेस करना पड़ेगा और कोर्ट द्वारा उस व्यक्ति को सजा सुनाई जाएगी. साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. पुलिस मुख्यालय से सभी रेंज आईजी और जिला एसपी को यह सख्त निर्देश दिए गए हैं कि झूठा मामला दर्ज कराने वाले हर एक व्यक्ति के खिलाफ (Action will be Taken for False Cases in Rajasthan) सख्त एक्शन लिया जाए.

वर्ष 2021 में दर्ज महिला अत्याचार और एससी/एसटी अत्यचार के प्रकरण और एफआर प्रतिशत :

दर्ज मामले एफआरएफआर प्रतिशत
दहेज मृत्यु452 10226.56
दहेज आत्महत्या का दुष्प्रेरण193 6842.77
महिला उत्पीड़न16949 671542.86
बलात्कार6337 2376 43.18
छेड़छाड़9079 3418 40.49
अपहरण 5964 3494 67.60
अनुसूचित जाति अत्याचार 7524 3224 50.80
अनुसूचित जनजाति अत्याचार 2121 925 53.50
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