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Special: बीकानेर के प्रोफेसर राकेश हर्ष का जुनून, चार दशक से संजो रहे Wood fossils

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Published : Aug 26, 2021, 7:32 PM IST

passion for collecting wood fossils, Bikaner News
बीकानेर के प्रोफेसर फॉसिल्स कलेक्ट करने का जुनून

कहते हैं कोई भी शौक कोई जुनून बन जाए तो व्यक्ति काफी कुछ कर सकता है. फिर चाहे वह कुछ अलग हटकर करने का हो. बीकानेर के एक कॉलेज प्रोफेसर को लकड़ियों के जीवाश्म (Wood fossils) के खोज का ऐसा जुनून चढ़ा कि पिछले चार दशक से वे इसी काम में जुटे हुए हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

बीकानेर. हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ अलग करने की तमन्ना होती है. व्यक्ति नाम कमाने के लिए शोहरत के लिए और अपने शौक के लिए उस काम को करता है. ऐसे ही बीकानेर में एक कॉलेज प्रोफेसर को अपने काम के साथ इस तरह का जुनून सवार हुआ कि पिछले चार दशक में उन्होंने वो काम कर दिया कि आने वाली पीढ़ी के लिए वो काम एक मिसाल से कम नहीं है.

किसी व्यक्ति को डाक टिकटों का, सिक्कों का, अलग-अलग देशों की करेंसी का कलेक्शन करने का शौक होता है लेकिन बीकानेर के कॉलेज प्रोफेसर और वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग में कॉलेज शिक्षा के सहायक निदेशक राकेश हर्ष (Dr Rakesth Harsh) को वुड फॉसिल्स (Wood fossils) के कलेक्शन का शौक है.

बीकानेर के प्रोफेसर फॉसिल्स कलेक्ट करने का जुनून

उनका शौक अब उनकी दिनचर्या में शामिल है. उच्च शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक राकेश हर्ष बॉटनी के प्रोफेसर हैं. बीकानेर के एमएस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों को निरंतर अपडेट रखने के साथ ही नई खोज और शोध में जुटे हुए हैं.

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राकेश हर्ष पूरे उत्तर भारत में अपनी तरह के पहले व्यक्ति हैं, जो वुड फॉसिल्स पर काम कर रहे हैं. साथ ही उनके पास वुड फॉसिल्स का कलेक्शन भी है. उन्होंने एमएस कॉलेज में खुद के स्तर पर लैब बनाई है. जिसमें करोड़ों साल पुराने फॉसिल्स रखे हुए हैं. जिन पर वे शोध कर रहे हैं और अपने विद्यार्थियों को भी इसकी जानकारी दे रहे हैं.

ईटीवी भारत ने प्रोफेसर राकेश हर्ष से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने वुड फॉसिल्स के कलेक्शन और उन पर किए कार्यों के बारे में बताया. प्रोफेसर ने बताया कि उनके कलेक्शन में 20 करोड़ साल पुराने डायनासोर के जीवन काल की समय की वनस्पतियों के अवशेष भी हैं.

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वे कहते हैं कि करीब 35 सालों से वे इस काम में जुटे हुए हैं और शुरुआती दौर में बिहार के भागलपुर और साहबगंज में कई Wood fossils की खोज की. बीकानेर के एम एस कॉलेज के प्राचार्य शिशिर शर्मा कहते हैं कि वाकई जिस ढंग से राकेश हर्ष ने जीवाश्म क्षेत्र में काम किया है. वह आने वाली पीढ़ी के साथ ही क्षेत्र के लिए भी अनुकरणीय है.

35 करोड़ साल पुराना है इतिहास

राकेश हर्ष बताते हैं कि जब पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदा के साथ उथल-पुथल होती है, तब कई वनस्पति पादप जमीन में दब जाते हैं. Wood fossils बनने की संभावनाएं एक फीसदी होती है.

30 नई प्रजातियों की खोज

बिहार के भागलपुर साहिबगंज के साथ ही बीकानेर के अलग इलाकों में करोड़ों साल पुराने वुड फॉसिल इसकी खोज कर वनस्पति के करीब 30 प्रजातियों की खोज राकेश हर्ष कर चुके हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्थाओं से प्रमाणित होकर उनके नाम से हो चुकी है.

मिल चुके अब तक की अवार्ड

अब तक करीब विश्व की नामचीन जनरल्स में करीब 55 आलेख उनके प्रकाशित हो चुके हैं. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर प्रो. बीरबल साहनी, प्रो. केएम गुप्ता अवार्ड मिल चुके हैं.

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