बीकानेर. प्रदेश में रोजगार को बढ़ावा देने और निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से इन्वेस्टर्स समिट (Investor Summit in Rajasthan) का आयोजन पिछले दिनों किया गया. हर जिले की भौगोलिक स्थिति के मुताबिक उस जिले में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान निवेश के बड़े प्रस्ताव भी सरकार को मिले.
दरअसल राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से विश्व विषमताओं से भरा है और अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार इन्वेस्टर समिट में सरकार निवेश को लेकर नई यूनिट लगाने वाली कंपनियों के साथ एमओयू भी कर रहा है. बात करें बीकानेर की तो यह अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ ही पर्यटन, भुजिया और रसगुल्ला के लिए दुनिया भर में मशहूर है. यहां बड़ी संख्या में फूड यूनिट संचालित हो रही हैं. इन्वेस्टर्स समिट के दौरान नई एग्रो फूड इंडस्ट्रीज के लिए एमओयू हुए लेकिन इसके अलावा यहां सोलर सिस्टम को लेकर भी क्रेज बढ़ा है.
रिन्यूएबल एनर्जी में बीकानेर बेहतर
सोलर के क्षेत्र में इन्वेस्ट के लिए भी बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स सामने आए. दरअसल रिन्यूएबल एनर्जी के मामले में बीकानेर भौगोलिक दृष्टि से बहुत सटीक जगह है. बीकानेर में आयोजित इन्वेस्टर समिट में 15000 करोड़ के एमओयू में करीब 80 फ़ीसदी रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर हुए हैं.
फार्मास्यूटिकल के लिए 40 करोड़ का एमओयू
एक नए प्रस्ताव ने बीकानेर में निवेश के नए रास्ते को खोलने की आहट कर दी है. दरअसल इस समिट के दौरान बीकानेर में फार्मास्यूटिकल कंपनी (pharmaceutical industry in Bikaner) को स्थापित करने के लिए तकरीबन ₹40 करोड़ का एक एमओयू (40 crore MoU signed in Bikaner) किया गया है. पिछले 2 सालों में देश और दुनिया में कोरोना के असर के बाद कहीं न कहीं मेडिकल इंडस्ट्री में और विस्तार की जरूरत भी महसूस की गई है.
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राजस्थान में अलवर और जयपुर में हैं कुछ प्लांट
हमारे देश फार्मास्यूटिकल की बड़ी इंडस्ट्री गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल, हरियाणा और पंजाब में स्थापित है. हालांकि, राजस्थान में भी अलवर और जयपुर कुछ फार्मास्यूटिकल कंपनियों के प्लांट हैं. लेकिन वो भी स्माल कैप इंडस्ट्री के रूप में हैं. फार्मासिटीकल की बड़ी इंडस्ट्री राजस्थान में स्थापित नहीं है. ऐसे में इन्वेस्टर मीट के बहाने राजस्थान में पहली बार बड़े स्तर पर फार्मासिटीकल कंपनी के स्थापित होने का रास्ता खुल रहा है जो आने वाले दिनों में इस क्षेत्र से जुड़े अन्य निवेशकों को भी प्रोत्साहित करेगा.
राजस्थान में बढ़ाना चाहिए प्रोत्साहन का दायरा
बीकानेर में फार्मास्यूटिकल कंपनी के लिए एमओयू करने वाली यशचंद्रा फार्मास्यूटिकल की निदेशक चंद्रा तंवर कहती हैं कि देश के अन्य राज्यों में जिस तरह से एक्साइज फ्री जोन बनाकर नई फार्मास्यूटिकल कंपनी को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उसी तर्ज पर राजस्थान में भी निवेश को लेकर सरकार की ओर से प्रोत्साहन का दायरा बढ़ना चाहिए. तंवर ने इस बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री को भी एक पत्र भेजकर इसकी मांग की है.
राज्य में स्थापित कंपनियों को मिले प्राथमिकता
चंद्रा तंवर ने कहा कि राजस्थान में आरएमसीएल की ओर की जाने वाली खरीद में भी राजस्थान में स्थापित कंपनियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. लेकिन सरकार की पॉलिसी में 3 साल तक कंपनी के टर्नओवर और मार्केट में स्टैंडिंग की कुछ शर्ते हैं वो तर्कसंगत नहीं है. वे कहती हैं नई कंपनी अगर कोई लगाएगा तो उसका टर्नओवर शर्तों के मुताबिक नहीं हो सकता है.
दरअसल राजस्थान में निःशुल्क दवा योजना राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी बड़ी योजनाएं हैं. जिनका सालाना दवाइयों की खरीद के लिए 1500 करोड़ का बजट है. इसके अलावा प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और अन्य चिकित्सा संस्थानों में भी सरकारी स्तर पर दवाइयों की खरीद की जाती है. चंद्रा तंवर कहती है कि ऐसे में कहीं ना कहीं सरकारी स्तर पर हो रही इतनी बड़ी मात्रा में खरीद को लेकर दवाई कंपनियां राजस्थान की ओर रुख कर सकती हैं. लेकिन उसके लिए राजस्थान में निवेश के अनुकूल वातावरण और सरकारी प्रोत्साहन की जरूरत है.
निवेश के लिए दिखा अनुकूल वातावरण
बीकानेर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक मंजू नैन गोदारा कहती है कि निश्चित रूप से बीकानेर में इस बार निवेश के अनुकूल वातावरण देखने को मिला है. उन्होंने बताया कि 15,000 करोड़ के आसपास निवेश के प्रस्ताव एमओयू हुए हैं. बीकानेर में पहली बार दवा कंपनी के स्थापित होने को लेकर भी एमओयू हुआ है और यह एक अच्छा संकेत है. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से नए निवेशक राजस्थान में निवेश के लिए तैयार होते हैं तो संभवत है इनके लिए सरकारी स्तर पर कुछ और रियायत की उम्मीद की जा सकती है.
निःशुल्क दवा योजना की हुई थी शुरुआत
राजस्थान में सबसे पहले निःशुल्क दवा योजना की शुरुआत हुई थी और करीब 10 सालों से राजस्थान में इसको लेकर सरकारी स्तर पर बड़ा बजट हर साल खर्च होता है. सरकार को भी दवाइयों की आपूर्ति के लिए बाहरी राज्यों में स्थापित कंपनियों से इसकी खरीदनी पड़ती है. ऐसे में यदि राजस्थान में इसके लिए अनुकूल वातावरण बनाया जाए तो आने वाले दिनों में राजस्थान में भी इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं.