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जहां बाघ, वहां गिद्ध : लुप्तप्राय हो चुके गिद्धों का बढ़ रहा कुनबा...सरिस्का में 500 से ज्यादा हुए गिद्ध, बाघों की भूमिका

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Published : Jul 3, 2021, 10:27 PM IST

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गिद्धों का कुनबा बढ़ा

सरिस्का से वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी है. राजस्थान से लुप्तप्राय हो चुके गिद्धों की संख्या सरिस्का में बढ़ रही है. माना जा रहा है कि जंगल में बाघों का कुनबा बढ़ने के कारण गिद्ध बढ़ रहे हैं. बाघ शिकार करता है तो गिद्धों को आसानी से भोजन उपलब्ध हो जाता है.

अलवर. सरिस्का में बाघों का ही नहीं बल्कि लुप्तप्राय हो चुके गिद्धों का कुनबा भी तेजी से बढ़ा है. तीन-चार साल पहले तक सरिस्का में गिद्ध लुप्तप्राय हो चुके थे. जबकि अब कई गिद्ध सरिस्का जंगल के जोहड़ और पोखरों पर बैठे दिखाई देते हैं. इन दिनों भर्तृहरि के पास सिहाली जोहड़ा पर गिद्ध नजर आ जाते हैं.

4 साल पहले यहां करीब 50 गिद्ध होने का अनुमान था. फिलहाल सरिस्का में गिद्धों की अनुमानित संख्या 500 के पार पहुंच चुकी है. इसमें कई प्रवासी गिद्ध भी शामिल हैं. जबकि 5 स्थानीय प्रजातियों के गिद्ध शामिल हैं.

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सरिस्का में गिद्धों का कुनबा बढ़ा

सरिस्का में माइग्रेटरी प्रजाति के यूरेशियन ग्रिफोन और रेड हैडेड गिद्ध दिखाई दे रहे हैं. यूरेशियन ग्रिफोन के पंख पर सफेद बाल होते हैं. जबकि रेड हैडेड गिद्ध का मुंह लाल होता है. सरिस्का मे लंबी चोंच वाला गिद्ध सबसे ज्यादा पाया जाता है. गिद्धों के सरिस्का में कई रेस्टिंग प्वाइंट हैं. इनमें गोपी जोहरा, देवरा चौकी, टहला में मानसरोवर बांध, पाण्डूपोल, काली पहाड़ी के पास खड़ी चट्टानें शामिल हैं.

गिद्ध इन प्वाइंट पर ऊंची उड़ान के बाद आराम करते हैं. वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में देश में 9 प्रजाति के गिद्ध हैं. इनमें 7 प्रजाति के गिद्ध राजस्थान में पाए जाते हैं. सरिस्का में भी इनमें से ज्यादातर प्रजातियों के गिद्धों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है. जंगल में पारिस्थितिकी संतुलन के लिए गिद्ध होना जरूरी है. शिकार के बाद बचे मांस और अवशेष खाकर गिद्ध जंगल को साफ रखते हैं. इसी वजह से गिद्ध को जंगल का प्राकृतिक सफाईकर्मी कहा जाता है. सरिस्का में बाघों के पुनर्वास के बाद गिद्धों की संख्या बढ़ी है.

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वन्यजीवन के जानकारों के अनुसार जहां बाघों की मौजूदगी ज्यादा होती है वहां गिद्ध जरूर मिलते हैं. सरिस्का की देवरा चौकी क्षेत्र में वर्तमान में सबसे ज्यादा गिद्ध हैं. क्योंकि इस इलाके में 6 बाघों का विचरण है. इनमें बाघिन एसटी-10, एसटी-12 व शावक तथा बाघ एसटी- 13 हैं. बाघों के इलाके में गिद्ध आसानी से भोजन मिल जाने की वजह से रहना पसंद करते हैं. बाघ की मौजूदगी में ही गिद्ध उसके शिकार पर हाथ साफ करने तक से नहीं चूकते. इसके अलावा बाघ जब शिकार को खा चुका होता है तो बाकी बचा हिस्सा गिद्धों के ही काम आता है.

सरिस्का में 4 प्रजातियों के गिद्ध

सरिस्का में गिद्धों की 4 प्रजातियां मिलती हैं- इंडियन वल्चर, इन्हें लोंग बिल्ट वल्चर भी कहा जाता है. इसके अलावा इजिप्सियन, सिनेरियर व रेड हैडेड, इन्हें किंग वल्चर भी कहा जाता है. सभी प्रजाति के गिद्ध सरिस्का के हवामहल, टहला, कंकवाड़ी व क्रासका क्षेत्र में पाए जाते हैं.

सरिस्का में गिद्धों की फैक्ट फाइल

गिद्ध प्रजातिसंख्या
इंडियन वल्चर300
इजिप्सियन100
सिनेरियर50
रेड हैडेड50
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