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नवरात्रि 2019: मनसा माता के मंदिर में हुई माता शैलपुत्री की पूजा, दर्शन को उमड़ पड़े श्रध्दालु

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Published : Sep 30, 2019, 2:20 AM IST

देशभर में नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. श्रध्दालु 9 दिन तक माता की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इस कड़ी में अलवर के मनसा माता के मंदिर में भी रविवार सुबह से ही श्रध्दालुओं का तांता लगा रहा. यह मंदिर माता शैलपुत्री के स्वरुप के रुप में जाना जाता है.

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अलवर. नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है. 9 दिन माता के अलग-अलग रूप की पूजा होती है. पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप की पूजा हुई. अलवर के मनसा माता मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. माता शैलपुत्री का स्वरूप मनसा माता मंदिर में देखने को मिलता है.

नवरात्रि के पहले दिन हुई माता शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रों में माता की विशेष पूजा-अर्चना होती है. लोगों ने घर-घर में पूजा अर्चना करके माता की स्थापना की. पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप की पूजा होती है. अलवर में माता शैलपुत्री का मंदिर मनसा माता का है. सुबह से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया. तो वही मंदिर के पुजारी ने बताया कि ढाई सौ साल पुराने इस मंदिर की स्थापना राजा-महाराजाओं के समय में हुई थी, उसके पीछे भी एक कहानी है.

पढ़ें: देश के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि का उल्लास, मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु

दरअसल अलवर के महाराज को सपनों में माता नजर आई थी. इस पर उन्होंने खुदाई करवाई जिसमें माता की मूर्ति प्रकट हुई. उसके बाद विधि-विधान से माता की मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया. इसलिए यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है. पहले मंदिर में राजा-महाराजा पूजा करते थे लेकिन, अब मंदिर को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है.

मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने कहा कि वह बचपन से वहां आ रहे हैं. कुछ 30 साल तो कुछ 50 साल से लगातार मंदिर में आ रहे हैं. लोगों ने कहा कि नवरात्रों में 9 दिन माता के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. जरूरी नहीं कि व्यक्ति नियम और विधि विधान से पूजा करें. नवरात्र के 9 दिन माता के दर्शन मात्र ही मनोकामना पूरी होती हैं. वहां मौजूद मंदिर के पुजारी ने माता के पूजा अर्चना और नौ रूपों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रतिदिन रात के समय आरती के बाद भजन होते हैं. मंदिर में अलवर राजस्थान के अलावा आसपास के राज्य से भी लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं.

Intro:नोट-मनसा माता के मंदिर का लाइव लगाए

अलवर।
नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है। 9 दिन माता के अलग-अलग रूप की पूजा होती है। पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप की पूजा हुई। अलवर के मनसा माता मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। माता शैलपुत्री का स्वरूप मनसा माता मंदिर में देखने को मिलता है।


Body:नवरात्रों में माता की विशेष पूजा-अर्चना होती है रविवार से नवरात्रि शुरू हो चुके हैं। लोगों ने घर घर में पूजा अर्चना करके माता की स्थापना की। लोग कई तरह से माता के व्रत रखते हैं। पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप की पूजा होती है। अलवर में माता शैलपुत्री का मंदिर मनसा माता का है व सुबह से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया। तो वही मंदिर के पुजारी ने बताया कि ढाई सौ साल पुराने इस मंदिर की स्थापना राजा महाराजाओं के समय में हुई थी। उसके पीछे भी एक कहानी है दरअसल अलवर के महाराज को सपनों में माता नजर आई थी इस पर उन्होंने सागर जिला से के पास पार की खुदाई करवाई जिसमें माता की मूर्ति प्रकट हुई। उसके बाद विधि विधान से माता की मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया। इसलिए यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। पहले मंदिर में राजा महाराजा पूजा करते थे लेकिन अब मंदिर को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।


Conclusion:मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने कहा कि वह बचपन से वहां आ रहे हैं। कुछ 30 साल तो कुछ 50 साल से लगातार मंदिर में आ रहे हैं। लोगों ने कहा कि नवरात्रों में 9 दिन माता के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। जरूरी नहीं कि व्यक्ति नियम व विधि विधान से पूजा करें। नवरात्र के 9 दिन माता के दर्शन मात्र ही सब कुछ होते हैं। वहां मौजूद मंदिर के पुजारी ने माता के पूजा अर्चना व नौ रूपों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रतिदिन रात के समय आरती के बाद भजन होते हैं। मंदिर में अलवर राजस्थान के अलावा आसपास के राज्य से भी लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं।
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