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देश के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि का उल्लास, मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु

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Published : Sep 29, 2019, 10:01 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 12:47 PM IST

दुर्गा माता.

नवरात्रि के पावन पर्व का शुभारंभ आज से हो गया है. नौ दिनों तक लोग मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना करेंगे. साथ ही अलग-अलग मंदिरों में लोग देवी के दर्शन के लिए पहुंचेंगे.

नई दिल्ली: शक्ति की उपासना हिंदू धर्म का मूलाधार है और पूरे समाज में शक्ति का दर्जा देवी दुर्गा को मिला है. शक्ति की देवी, मां दुर्गा की अराधना के पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत आज यानि रविवार से हो गई है. सारे देश में लोग अलग-अलग ढंग से देवी के त्योहार को मनाते हैं. ये नौ दिन रोमांच और उत्साह से भरपूर्ण होते हैं.

नवरात्र शुरू होने से पहले पित्रपक्ष होता है. इसके चलते हिंदू समाज के लोग नए परिधान और नई चीजें नहीं खरीदते. नवरात्र आते ही लोगों में उत्साह अलग होता है. घरों में शुभ काम, नई चाजे और परिधान लाए जाते हैं. नौ दिनों की शामें घरों में आरतियों और घंटियों की घूंज से सराबोर होती हैं. साथ ही पित्र पूजा खत्म होने के साथ आज के ही दिन से देव पूजा शुरू होती है. लोग घरों से निकल कर मंदिरों के दर्शन करने पहुंचते हैं. देवी मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिलती है.

नवरात्रि की धूम.

भारत की चारों दिशाओं में ये त्योहार बड़े ही रोचक ढ़ंग से मनाया जाता है. गुजरात में लोग इस मौके पर हर शाम इक्कठा होकर डांडिया और गरभा खेलते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में लोग माता रानी के अलग रूपों को दिखाने के लिए मुर्तियां और पंडाल लगाते हैं. ये पंडाल माता और महिषासुर के बीच हुए युद्ध को चित्रित करते हैं. वहीं उत्तर भारत में लोग माता की चौकियां लगाते है, वहीं कई लोग घरों में कलश स्थापना करते हैं. देश के कई हिस्सों में लोग उपवास भी रखते हैं.

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नवरात्र शुरू होने से पहले पित्रपक्ष होता है. इसके चलते हिंदू समाज के लोग नए परिधान और नई चीजें नहीं खरीदते. नवरात्र आते ही लोगों में उत्साह अलग होता है. घरों में शुभ काम, नई चाजे और परिधान लाए जाते हैं. नौ दिनों की शामें घरों में आरतियों और घंटियों की घूंज से सराबोर होती हैं. साथ ही पित्र पूजा खत्म होने के साथ आज के ही दिन से देव पूजा शुरू होती है. लोग घरों से निकल कर मंदिरों के दर्शन करने पहुंचते हैं. देवी मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिलती है.

नवरात्र के त्योहार में नौ दिन माता रानी के नौ रुपों की पूजा की जाती है. दुर्गा सप्तशती में देवी के नौ रूपों को श्लोक में वर्णित किया गया है.

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

इन नौ रुपों की उपासना के पीछे माता के नौ रूपों की एक यात्रा है. इन रूपो में सबसे पहली मां शैलपुत्री हैं और पहले दिन इनकी ही पूजा होती है. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है. तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की उपासना की जाती है. पांचवें दिन स्कन्दमाता को लोग पूजते हैं और मां कात्यायनी की आराधना छठवें दिन की जाती है. सातवां दिन मां कालरात्रि का होता है और आठवें दिन मां गौरी को याद किया जाता है. फिर आता है नव दुर्गा का आखिरी दिन जब सिद्धिदात्री देवी की पूजा होती है.

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मां दुर्गा ने ये नौ रूप महिषासुर का वध करने के लिए लिया था. नौ दिन चली इस लड़ाई में माता ने ही नहीं बल्कि महिषासुर ने भी नौ अलग-अलग रूप धारण किए. कहा जाता है कि ये देव दानव युद्ध का सबसे बड़ा अंश है. साथ ही कहा जाता है कि जब-जब दानवीई ताकत अपने चरम पर होगी तब-तब शक्ति की मां दुर्गा दानव विनाश के लिए जन्म लेंगी.

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Last Updated :Oct 2, 2019, 12:47 PM IST
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