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Automatic Driving Testing Track : अब नहीं होगी कोई गड़बड़ी, अलवर सहित 11 जिलों के RTO कार्यालय में शुरू हुआ 'ट्रैक'

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Published : Nov 19, 2021, 6:54 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 8:46 PM IST

Automatic Driving Testing Track
प्रदेश के 11 जिलों शुरू हुआ ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक

अब ड्राइविंग लाइसेंस (Driver License) में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकेगी. अलवर सहित प्रदेश के 11 जिलों के आरटीओ कार्यालय (RTO Office) में अब ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक (Automatic Driving Testing Track Started) शुरू हो चुका है. ऐसे में अब वाहन चलाने का टेस्ट पास करने के बाद ही लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) बन रहे हैं.

अलवर. ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) बनवाने में आए दिन गड़बड़ी की शिकायतें मिलती हैं. साथ ही आरटीओ कार्यालय में दलालों के हस्तक्षेप और दलालों की ओर से पैसे लेकर लाइसेंस में गड़बड़ी के मामले लगातार सामने आते रहे हैं. लेकिन अब अलवर सहित प्रदेश के 11 परिवहन विभाग के रीजनल हेड क्वार्टर पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते समय किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकेगी.

लंबे समय से प्रदेश में अटके ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक अब शुरू हो चुके हैं. इन ट्रैक के शुरू होने के बाद कार, बाइक, ट्रक सहित अन्य वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले लोगों को ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर वाहन चला कर दिखाना पड़ रहा है. उसके बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जा रहा है. अलवर में अक्टूबर महीने से ट्रैक शुरू किया गया है, जिसके बाद अब तक 386 लाइसेंस बनाए गए हैं.

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अजमेर में अभी ट्रैक शुरू नहीं हुआ है. इसके अलावा सभी जगहों पर यह ट्रैक शुरू हो चुका है. इस ट्रैक के शुरू होने से ड्राइविंग लाइसेंस में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकती है. परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो इससे वाहन चलाने वाले लोगों को ही लाइसेंस मिलेगा और जिससे प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों में कमी आएगी, साथ ही लाइसेंस बनवाने के दौरान ड्राइविंग ट्रैक पर ट्रैफिक नियमों का पालन करना भी आवश्यक है. ट्रैफिक नियम के साथ वाहन चलाने और ट्रैफिक नियमों का पालन करने वाले लोग ही टेस्ट पास करते हैं, उन लोगों का ही लाइसेंस बनाया जाएगा.

अलवर सहित 11 जिलों के RTO कार्यालय में शुरू हुआ ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक

कैसे काम करता है ड्राइविंग ट्रैक...

ड्राइविंग ट्रैक पर एक कर्मचारी की ड्यूटी रहती है. जैसे ही अभ्यार्थी वाहन लेकर ट्रैक पर आता है. उसे ट्रैक के बारे में जानकारी दी जाती है. उसके बाद अभ्यार्थी को एक कार्ड दिया जाता है. ड्राइविंग ट्रैक पर जगह-जगह सेंसर लगे हुए हैं. ऐसे में चालक को रेड लाइट और सभी ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाना पड़ता है. इस दौरान जगह-जगह लगे सेंसर पर अभ्यर्थी को कार्ड दिखाना पड़ता है. कार्ड को दिखाने के बाद ही पहला पड़ाव पार होता है. उसके बाद दूसरा पड़ाव शुरू होता है. पूरे ड्राइविंग ट्रैक पर कैमरे लगे हुए हैं. ऐसे में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती है.

क्या है ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक...

ड्राइविंग ट्रैक पर यातायात नियम के तहत रेड लाइट, ग्रीन लाइट, बैरी कटिंग, अंडरपास, जंपर, डिवाइडर सहित सभी चीजें बनी हुई होती है. टेस्ट के दौरान अभ्यार्थी को ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए वाहन चलना पड़ता है.

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क्या है ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने का तरीका...

लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस (Learning Driving Licence) लोग घर में बैठकर बनवा सकते हैं. उसके लिए आरटीओ कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है. लर्निंग लाइसेंस बनने के 30 दिन बाद परमानेंट लाइसेंस बनता है. परमानेंट लाइसेंस बनवाने के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है. आवेदन करने के बाद आवेदनकर्ता को ऑटोमेटिक एक तारीख मिलती है. उस दिन अभ्यर्थी को परिवहन कार्यालय में जाना पड़ता है. वहां उसे परमानेंट लाइसेंस की फीस जमा करनी पड़ती है.

फीस जमा करने के बाद अभ्यार्थी को एक शॉर्ट फिल्म दिखाई जाती है. फिल्म में टेस्टिंग ट्रैक और यातायात नियमों की जानकारी दी जाती है. यह फिल्म दिखाने के बाद अभ्यार्थी हो ड्राइविंग ट्रैक पर गाड़ी चलानी पड़ती है. टेस्ट में पास होने पर ही लाइसेंस दिया जाता है.

Last Updated :Nov 19, 2021, 8:46 PM IST
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