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अलवर में अराजकता, दो मंत्री और दो एसपी, फिर भी न कानून न व्यवस्था

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Published : Aug 18, 2022, 1:33 PM IST

Updated : Aug 18, 2022, 4:08 PM IST

Alwar Crime News
अलवर होता है पूरे देश में बदनाम

अलवर में दो मंत्री और दो एसपी हैं, लेकिन फिर भी अलवर पूरे देश में बदनाम हो रहा है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. वहीं बीजेपी अलवर के मुद्दे को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.

अलवर. अलवर जिला प्रदेश का सीमावर्ती जिला है. एनसीआर में होने के साथ ही अलवर प्रदेश का सिंहद्वार है. एक तरफ अपनी पर्यटन स्थल और खूबसूरती के लिए अलवर की खास पहचान है तो क्राइम के लिहाज से अलवर पूरे प्रदेश में बदनाम है. बेखौफ बदमाश खुलेआम घटनाओं को अंजाम देते हैं. बेहतर कानून व्यवस्था के लिए सरकार ने अलवर में दो एसपी तैनात किए हैं. उसके बाद भी अलवर में घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. प्रदेश सरकार में दो कैबिनेट मंत्री अलवर जिले के हैं, उसके बाद भी हालात लगातार खराब हो रहे हैं.

अलवर होता है पूरे देश में बदनाम

बता दें, अलवर जिले में 7 से अधिक मॉब लिंचिंग की घटनाएं (Mob Lynching in Alwar) हो चुकी हैं. पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा मॉब लिंचिंग की घटनाएं अलवर और भरतपुर क्षेत्र में होती है. सरकार ने मॉब लिंचिंग का कानून बनाया और बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन उसके बाद भी मॉब लिंचिंग के मामले (Mob Lynching in Alwar) सामने आ रहे हैं. हाल ही में गोविंदगढ़ क्षेत्र में एक सब्जी बेचने वाले को लोगों ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार (Mob Lynching in Govindgarh) दिया. इस घटना के बाद एक बार फिर से कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं.

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अलवर पूरे प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां दो एसपी तैनात हैं. लेकिन उसके बाद भी क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार से टीकाराम जूली और शकुंतला रावत कैबिनेट मंत्री हैं. अलवर की मजबूत दावेदारी है. इसके अलावा मेवात विकास बोर्ड शहरी विकास निगम सहित तमाम ऐसे पद हैं, जिनको मंत्री का दर्जा मिला हुआ है. इन पदों पर अलवर के विधायक तैनात हैं. उसके बाद भी अलवर में ताबड़तोड़ घटनाओं का सिलसिला जारी है. सीमावर्ती जिला होने के कारण घटनाओं को अंजाम देने के बाद बदमाश आसानी से दूसरे राज्य में फरार हो जाते हैं.

अलवर और भरतपुर के 150 किलोमीटर क्षेत्र से गौ तस्कर, शराब तस्कर, वाहन चोर हथियार तस्कर और मादक पदार्थों के तस्कर खुलेआम राजस्थान में प्रवेश करते हैं और राजस्थान से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की रास्ता पर आते जाते हैं. इसलिए 150 किलोमीटर का कॉरिडोर बन चुका है. इस क्षेत्र से सभी तरह की तस्करियां होती है. पुलिस प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी लगातार यह खेल चल रहा है.

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वहीं, अलवर जिले में आज भी सालों पुरानी पुलिसिंग चल रही है. पुरानी और टूटी हुई खटारा गाड़ियों में पुलिसकर्मी कष्ट करते हैं जबकि अलवर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आता है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में हाईटेक पुलिस व्यवस्था है. पुलिस के पास आधुनिक हथियार और तकनीक हैं, लेकिन सरकार का अलवर पर कोई ध्यान नहीं है. इसलिए लगातार अलवर में बड़ी गैंग सक्रिय हो रही है. आए दिन रंगदारी, लूट और हत्या के मामले सामने आते हैं.

इसकी है आवश्यकता- अलवर में पुलिस की कमिश्नरेट व्यवस्था की आवश्यकता है. सबसे ज्यादा ऑनलाइन ठगी के मामले (Online Fraud in Alwar) भी अलवर और भरतपुर क्षेत्र में होते हैं. ओएलएक्स ठगी, केवाईसी के नाम पर ठगी, सेक्सटॉर्शन ठगी, पुरानी गाड़ी बेचने के नाम पर ठगी और नकली सोने की ईंट बेचने के नाम पर हजारों लोगों को ठगा जाता है. प्रतिदिन देश के अलग-अलग राज्यों से पुलिस जांच पड़ताल के लिए अलवर आती है.

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इन रास्तों पर होती है तस्करी- अलवर जिले के बहरोड़, शाहजंहापुर, नीमराणा, भिवाड़ी, तिजारा, रामगढ़, गोविंदगढ़ और नौगावां की सीमा हरियाणा से जुड़ती है. वहीं, भरतपुर के पहाड़ी, कैथवाड़ा, कामां और सीकरी की सीमा हरियाणा को छूती है. दोनों जिलों के इन इलाके से गौतस्कर प्रदेश से गोवंश की तस्करी करते हैं. यहां से गोवंश की तस्करी करके उन्हें हरियाणा के नूंह और मेवात में ले जाया जाता है.

Last Updated :Aug 18, 2022, 4:08 PM IST
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