Shardiya Navratri 2022: पुष्कर का एक मंदिर जहां माता शक्ति और गायत्री हैं साथ साथ, जानिए क्या है पौराणिक कथा!

author img

By

Published : Sep 26, 2022, 6:14 AM IST

Updated : Sep 26, 2022, 8:43 AM IST

Shardiya Navratri 2022

देवी पुराण के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में जगत जननी माता के 51 शक्तिपीठ हैं. इन सभी शक्तिपीठों की सुरक्षा के लिए इतने भैरव भी विराजमान हैं (shardiya navratri 2022). शारदीय नवरात्र के पावन पर्व पर आज बात मां जगतजननी के 27 वें शक्तिपीठ (27th Durga Shaktipeeth) की. जो पुष्कर में है...

अजमेर. पुष्कर में मां दुर्गा का 27वां शक्तिपीठ है जिसका नाम मणिवैदिका (Durga Shaktipeeth In Pushkar) है. जगतपिता ब्रह्मा की पत्नी सावित्री माता की पहाड़ी और नाग पहाड़ी के बीच में पुरुहुता पर्वत है जहां स्कंद पुराण अनुसार माता का ये शक्तिपीठ स्थित है. स्थानीय लोग माता को चामुंडा माता के नाम से पुकारते हैं. शक्तिपीठ स्थल की सुरक्षा के लिए यहां सर्वानंद भैरव भी विराजमान हैं. स्कंद पुराण के मुताबिक पुरुहुता पर्वत पर माता की दोनों कलाइयां गिरी थीं. इससे पहाड़ के बीचों बीच गहरी खाई उभर आई थीं.

उस दुर्गम स्थान तक पहुंचना काफी मुश्किल था. भक्त परेशान हो गए. एक बुजुर्ग भक्त की भक्ति मां को रास आ गई. कहते हैं उन्होंने अरदास मान ली और प्रसन्न होकर पहाड़ी की तलहटी में विराजमान हो गईं. ये स्थान सदियों तक गुप्त और अज्ञात रहा. आज के दौर में भी देश के कोने कोने से ब्रह्मनगरी आने वाले श्रद्धालुओं को मणिवैदिका शक्तिपीठ की जानकारी कम ही है. इस वजह से शक्तिपीठ पर भक्तों का तांता कम ही लगता है. ज्यादातर यहां के रहवासी ही पधारते हैं.

जानिए क्या है पौराणिक कथा

अब कोशिश इसको रिवाइव करने की हो रही है. 27वें शक्तिपीठ (27th Durga Shaktipeeth) के विकास को लेकर लोग सजग हो रहे हैं. मंदिर के महंत और माता के भक्त समर्पित भाव से जुट गए हैं. मंदिर के महंत दिगंबर ओमेंद्र पुरी शिकायत भरे अंदाज में अपनी बात रखते हैं. कहते हैं स्थानीय प्रशासन और निकाय से कई बार आग्रह कर चुके हैं कि माता के शक्तिपीठ के लिए पुष्कर के प्रमुख मार्गों पर दिशा बोधक चिन्ह लगवाएं ताकि पुष्कर तीर्थ करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी माता के शक्तिपीठ के दर्शन लाभ हो और वो पुण्य फल के भागी हों.

यूं स्थापित हुए शक्तिपीठ: 27 वें शक्तिपीठ के बारे में आपको और बताएं उससे पहले आपको शक्ति पीठ की ये कथा भी जानना जरूरी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव की पत्नी सती ने ससुराल में अपने पति का अपमान किए जाने से क्रोधित होकर अग्निकुंड में अपनी देह त्याग दी थी. तब महादेव माता सती की देह को हाथों में उठा कर रौद्र रूप ले ब्रह्मांड में भटकने लगे. तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की देह के टुकड़े कर दिए. सती की देह का टुकड़ा पृथ्वी पर जहां भी गिरा वह स्थान शक्तिपीठ बन गया. पुष्कर में पुरुहूता पर्वत पर माता के मणिबंध यानी कलाइयों का पतन हुआ. स्कंद पुराण में पुष्कर में पुरुहूता पर्वत पर माता के 27 शक्तिपीठ होने का उल्लेख है.

पढ़ें-Shardiya Navratri 2022: हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए सच्चाई

मणिवैदिका संग माता गायत्री विराजमान: मंदिर में महंत दिगंबर ओमेंद्र पुरी बताते हैं कि 27 वें शक्ति पीठ में माता सदियों तक अज्ञातवास में रहीं लेकिन जब जगतपिता ब्रह्मा ने पुष्कर में सृष्टि यज्ञ किया, तब यज्ञ के लिए ब्रह्मा ने महादेव को भी आमंत्रित किया था. विधान है कि बिना जोड़े के यज्ञ पूर्ण नहीं हो सकता. तब महादेव ने 27 में शक्तिपीठ से माता को स्वरूप दिया. इसके बाद सृष्टि यज्ञ हुआ. सृष्टि यज्ञ में ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी माता सावित्री को आने में विलंब हुआ तब मुहूर्त निकलता देख जगतपिता ब्रह्मा ने गायत्री माता का उद्भव किया.

यज्ञ संपन्न होने के बाद माता शक्ति और गायत्री ने सभी देवी देवताओं से अपने लिए अनुकूल स्थान बताने के लिए कहा. तब माता शक्ति के साथ माता गायत्री भी पुरुहूता पर्वत पर विराजमान हुईं. लिहाजा शक्ति पीठ के साथ ही ये स्थान गायत्री पीठ भी है.

ये भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2022: हाथी पर सवार होकर आएंगी मातारानी, जानें कलश स्थापना का मुहूर्त और घटस्थापना विधि

खुशियों से झोलियां भरती है माता: वर्षों से माता के मंदिर आने वाले लोग बताते हैं कि माता के शक्तिपीठ पर आने वाला श्रद्धालु स्वयं ही यहां शक्ति को महसूस करता है.लीना कुमावत बताती हैं कि वो बचपन से माता के मंदिर में आती रही हैं. माता में उनकी गहरी आस्था है. आस्था प्रबल है. मानती हैं कि माता से प्रार्थना के फलिभूत उन्होंने बुरा वक़्त बदलते देखा है. जीवन के सुखों का उत्तरदायी मां अम्बे को मानती हैं. दावा करती हैं कि सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. माता की ख्याति अब दूर दूर तक फैलने लगी है जो व्यक्ति एक बार माता के दरबार में आता है इसका नाता यहां से हमेशा के लिए जुड़ जाता है.

Last Updated :Sep 26, 2022, 8:43 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.