Shardiya Navratri 2022: हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए सच्चाई

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Published : Sep 21, 2022, 11:03 AM IST

Shardiya Navratri 2022

शारदीय नवरात्र अश्विन मास की प्रतिपदा से शुरू रहा है. 26 सितंबर से शुरू होने वाले नवरात्र में देवी की पूजा आराधना की जाएगी (Shardiya Navratri 2022). इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार के दिन शुरू होने के कारण माता का वाहन हाथी होगा. हालांकि आप हमेशा देखेंगे कि देवी की प्रतिमा में हमेशा सिंह ही माता का वाहन होता है. जानिए क्या है पूरी सच्चाई.

बीकानेर. हिन्दू धर्म में पंचांग के अनुसार श्राद्ध पक्ष के बाद अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है. इस बार नवरात्रि का त्योहार 26 सितंबर से शुरू होगा (Shardiya Navratri Started 26 September 2022). शारदीय नवरात्रि में 9 दिनों के लिए मां दुर्गा का पूजन होता है. वहीं नवरात्र में माता के आगमन से जुड़ी कई बातें भी प्रचलित हैं जिनमें नवरात्र में माता किस पर सवार होकर आ रही हैं और किस सवारी पर सवार होकर जाएंगी. नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन और उनकी सवारी के बारे मे बहुत कुछ कहा गया है. इस बारे में हालांकि अलग-अलग भिन्नताएं हैं.

एक श्लोक के मुताबिक ''शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे, गुरौ शुक्रे दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता''. इस श्लोक के अनुसार यदि नवरात्रि की शुरुआत सोमवार और रविवार के दिन से होती है तो मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आती हैं. यदि नवरात्रि शनिवार और मंगलवार से प्रारंभ होता है तो माता रानी की सवारी घोड़ा होगा. शुक्रवार और गुरुवार को नवरात्रि शुरू होने पर माता रानी डोली पर आती हैं और बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां दुर्गा का आगमन नाव पर होता है. लेकिन शास्त्र से जुड़े लोगों के इस पर अलग-अलग विचार हैं.

पंडित राजेंद्र किराडू

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अन्य वाहन पर सवार होने की बात भ्रांति- बीकानेर के पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू इस बात से इनकार करते हुए कहते हैं कि भगवती दुर्गा के वाहन के रूप में सिंह ही हैं. वे कहते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा सिंह यानि की शेर पर ही सवार होकर आती हैं और नवरात्रि में हाथी या किसी अन्य वाहन पर सवार होने की बात भ्रांति है. इससे आगे बढ़ते हुए किराडू कहते हैं कि मकर सक्रांति के वक्त देवी के आगमन पर सवारी से जुड़ी बात लागू होती है और उस समय शुभ और अशुभ संकेत का फल देखा जाता है.

कई राज्यों में हैं सवारी से शुभ-अशुभ संकेत का प्रचलन: दरअसल, देवी की सवारी नवरात्रि में क्या होगी और उसका शुभ और अशुभ संकेत क्या होगा इसका प्रचलन ज्यादातर पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम जैसे पूर्व के राज्यों में माना जाता है. जबकि उत्तर भारत में इस तरह का प्रचलन कम है. हालांकि धर्म शास्त्रों से जुड़े हुए लोगों का मानना है कि सवारी का शुभ और अशुभ फल का संकेत भौगोलिक परिस्थिति के मुताबिक आने वाली फसल और आने वाले छह महीनों के जीवन काल परिस्थिति से जुड़ा हुआ होता है.

ऐसे में देश के अलग-अलग भू-भाग पर जहां शारदीय नवरात्र में देवी मां की सवारी से शुभ और अशुभ फल का आकलन संकेत के रूप किया जाता है. वहीं राज्यों में मकर सक्रांति पर देवी की सवारी के आधार पर शुभ-अशुभ संकेतों का आकलन किया जाता है.

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