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ख्वाजा के फैलाए सांप्रदायिक सद्भाव को नफरत भरे बयानों से चोट पहुंचाने की कोशिश...दरगाह के पदाधिकारी बोले- मिले कड़ी सजा

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Published : Jul 8, 2022, 8:23 PM IST

Updated : Jul 9, 2022, 4:00 PM IST

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Hasan Chishti dargah) की दरगाह की पहचान सांप्रदायिक सद्भाव और अमन-चैन की रही है. सदियों पुरानी इस रवायत को चंद लोगों ने चोट पहुंचाने की कोशिश की है. गरीब नवाज की शिक्षा के विपरीत भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले बयान दिया. इन बयानों के जरिए सामाजिक सद्भाव की परंपरा को तोड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ अब दरगाह के जिम्मेदार पदाधिकारी भी खड़े हो गए हैं. उन्होंने साफ कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

Khwaja Moinuddin Hasan Chishti
दिए थे विवादित बयान

अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Hasan Chishti dargah) की दरगाह की पहचान देश और दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव के रूप में है. इस दरगाह पर हर साल देश-विदेश से विभिन्न धर्मों के लोग आते हैं और अमन-चैन की दुआएं करते हैं. लेकिन कुछ लोग सांप्रदायिक सद्भाव की सदियों पुराने सिलसिले पर कीचड़ उछालने का काम कर रहे हैं. भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले बयान देने वाले कुछ लोग दरगाह के खादिम होने का दावा कर रहे हैं.

दरगाह थाने के हिस्ट्रीशीटर सलमान चिश्ती ही नहीं, बल्कि उससे पहले दरगाह से जुड़े दो लोग ऐसे ही भड़काऊ बयान दे चुके हैं. इन बयान बाज़ी के बाद अजमेर पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है तो दो अन्य में से एक और के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की है. हालांकि दूसरे आरोपी की तलाश भी जारी है.

हुसैन रिजवी का बयान

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सूफी संत के चाहने वाले हर धर्म केः सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के देश और दुनिया में करोड़ों लोग चाहने वाले हैं. मुस्लिम ही नहीं गैर मुस्लिम भी दरगाह में अपनी अकीदत रखते है. उसका कारण ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाएं हैं. जिनमें इंसान को इंसानियत से जोड़ना, गरीब की सहायता करना और अमन सद्भाव बनाए रखने के साथ भेदभाव नही रखना प्रमुख है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में हिंदू धर्म के लोग भी ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में जियारत के लिए आते हैं.

सैयद सलमान चिश्ती ने ये कहा

दरगाह के सदियों पुरानी मोहब्बत भरे माहौल को चंद लोगों ने खराब करने की कोशिश की है. लोग सवाल कर रहे हैं कि दरगाह से जुड़े हुए लोग ऐसी विचारधारा के पोषक बनेंगे तो फिर ख्वाजा गरीब नवाज की तालीम के साथ-साथ मोहब्बत भाईचारे और अमन के पैगाम के मायने क्या रह जाएंगे?. वहीं अकीदतमन्दों के दिलों पर इसका क्या असर पड़ेगा?. इन सवालों के बीच दरगाह के सद्भाव को कायम रखते हुए आज दरगाह के आला ओहदेदार इस बयानबाजी को सिरे से खारिज कर रहे हैं और अमन के माहौल की तरफदारी कर रहे हैं.

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दरगाह के निजाम गेट पर गूंजा था भड़काऊ नाराः दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के निजाम गेट से 17 जून को भड़काऊ नारा गूंजा था. इस दौरान इस नारे को लगाने वाले ने नफरत का जहर उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. इस संबंध में दरगाह थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है. निजाम गेट की दहलीज पर जहर उगलने वाले गौहर चिश्ती की फिलहाल पुलिस को तलाश है. दरगाह के मुख्य द्वार पर लोगों को उकसाने और भड़काने का बयान गोहर चिश्ती ने दिया था.

दरगाह के निजाम गेट पर गूंजा था भड़काऊ नाराः

20 जून को उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या बर्बरता पूर्वक की गई. उससे पहले आरोपियों ने अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया था, जिसमें हत्यारों ने वही नारा लगाया था जो दरगाह के मुख्य द्वार पर गोहर चिश्ती ने लगाया था. दरगाह का ख़ादिम गौहर चिश्ती नेशनल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के रडार पर आ चुका है.

उदयपुर मर्डर के आरोपी अजमेर आ रहे थेः दरअसल आरोपियों से हुई पूछताछ में एनआईए को बड़ी लीड मिली है. जिसमें हथियारों का कनेक्शन अजमेर से निकल कर आया है. उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के बाद फरार हुए आरोपी भीम में गिरफ्तार किए गए थे. वे अजमेर आ रहे थे. अजमेर में उन्हें पनाह देने वाला कौन था ? इस कड़ी को गौहर चिश्ती से जोड़कर देखा जा रहा है.

खादिम सरवर चिश्ती

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माना जा रहा है कि उदयपुर मर्डर केस के आरोपी गौहर के संपर्क में थे. अजमेर पुलिस को भी अनुसंधान में कुछ सुराग मिले थे. हालांकि इससे बड़े राज भी गौहर चिश्ती की गिरफ्तारी से खुल सकते हैं. माना जा रहा है कि गौहर चिश्ती पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( पीएफआई ) से जुड़ा हुआ है।

गौहर चिश्ती के चाचा सरवर चिश्ती का विवादित बयानः गौहर चिश्ती ने 17 जून को मुस्लिम समाज के मौन जुलूस से ठीक पहले निजाम गेट के बाहर भड़काऊ बयान दिया था. इसके बाद 26 जून को गोहर चिश्ती के चाचा और वर्तमान में अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने विवादित बयान दे डाला. उन्होंने सकल हिन्दू समाज के मौन जुलूस के समर्थन में बंद दुकानों को लेकर भी बोला था. जिसमें उन्होंने कहा था कि 'जायरीनों से कमाकर ये खातें हैं, इनके बारे में अब जायरीन ही सोचें'. सरवर चिश्ती कई बार अपने विवादास्पद बयानों से चर्चा में रहे हैं. बुधवार को भी सरवर चिश्ती ने अंजुमन कमेटी के जिम्मेदार पद पर होते हुए सियासी बयान दिए, जिसमें उन्होंने देश की सरकार को मुस्लिम विरोधी सरकार तक कह डाला.

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विगत सोमवार की रात को पुलिस ने दरगाह थाने के हिस्ट्रीशीटर सलमान चिश्ती को गिरफ्तार किया था. सलमान चिश्ती ने अपने यूट्यूब चैनल पर अपना एक विवादित वीडियो जारी किया. जिसमें उसने नूपुर शर्मा को गोली मारने की धमकी दी. वहीं नूपुर शर्मा का गला काटने वाले को मकान और जायदाद देने का ऐलान भी किया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस भड़काऊ बयान को लेकर पुलिस ने सलमान चिश्ती के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. फिलहाल 8 जुलाई तक सलमान चिश्ती पुलिस रिमांड पर है. रिमांड अवधि के दौरान दरगाह थाना पुलिस ने आरोपी सलमान चिश्ती से उस जगह की भी तस्दीक करवाई जहां पर उसने वीडियो शूट किया था. पुलिस ने सलमान चिश्ती का मोबाइल उसकी गिरफ्तारी के साथ ही जब्त कर लिया था. वहीं मोबाइल के वीडियो को लेकर भी जांच पुलिस की आईटी सेल कर रही है. सलमान चिश्ती के यूट्यूब अकाउंट को लेकर भी पुलिस पड़ताल कर रही है. चिश्ती ने यह भड़काऊ वीडियो किसके कहने पर बनाया था इसको लेकर भी पुलिस पूछताछ कर रही है.

चिश्तिया रवायत के परे जाकर तीनों लोगों ने विवादित बयान देकर दरगाह के सामाजिक सद्भाव वाले रवायत को चोट पहुंचाने की कोशिश की है. खास बात यह रही कि गोहर चिश्ती के खिलाफ 8 दिन बाद मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं सरवर चिश्ती के खिलाफ अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. उसे जांच के दायरे में लिया गया है. तीसरे मामले में हिस्ट्रीशीटर सलमान चिश्ती को गिरफ्तार किया गया है.

सैयद सलमान बोले ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार होः चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन और दरगाह ख़ादिम सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि चिश्तिया रवायत से परे जाकर यदि कोई नफरत और हिंसा फैलाने वाले बयान देता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए. वहीं ऐसे शख्स के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. वहीं दरगाह कमेटी के सदर सैयद शाहिद हुसैन रिजवी का भी बयान आ चुका है. उन्होंने कहा कि अपने नाम के साथ चिश्ती लगाने वाले कुछ लोग भड़काऊ बयान दे रहे हैं, यह चिश्तिया रवायत के खिलाफ है. रिजवी ने अपनी चिंता जाहिर की है.

दरगाह में खादिम समुदाय का यह है कामः विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल के रूप में देश और दुनिया में अपनी पहचान रखती है. 800 सालों से लोग ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आते रहे हैं. दरगाह में आने वाले अकीदतमंदों को जियारत कराने का कार्य खादिम समुदाय का है. जियारत करवाने के अलावा खादिम समुदाय के लोग ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं का प्रसार भी करते हैं. दरगाह में हर मजहब जाति के लोग जियारत के लिए आते हैं. देश में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को सुफिज्म को सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है.

चिश्तिया रवायतः 800 साल पहले जब ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर आए थे. बताया जाता है कि मुसलमान होते हुए भी उन्होंने सभी धर्मों को सम्मान दिया. वहीं, इंसानियत का लोगों को पाठ पढ़ाया. बताया जाता है कि यहां आने के बाद से ख्वाजा गरीब नवाज ता उम्र फकीरों की तरह रहे, लेकिन उनके दर पर आने वाले किसी भी परेशान इंसान को राहत दिए बिना उसे जाने नहीं दिया. ख्वाजा गरीब नवाज ने मोहब्बत, सद्भाव और अमन का पैगाम दिया. यही वजह है कि 800 साल से बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम दरगाह आ रहे हैं. यही वजह है कि दरगाह में चिश्तियां रिवायत (पारंपरा ) शुरू हुई. ख्वाजा गरीब नवाज के नाम के पीछे चिश्ती लगता है. यही सिलसिला बन गया. इंसानियत के लिए ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करना और उन्हें मानना चिश्तियां रवायत है. खादिम समुदाय के लोग भी अपने नाम के साथ चिश्ती लगाते हैं और चिश्ती रिवायत को आगे बढ़ा रहे हैं.

Last Updated :Jul 9, 2022, 4:00 PM IST
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