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अजमेर का जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय बदहाल...शिशु वार्ड में एक बेड पर तीन-तीन बच्चे

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Published : Apr 11, 2019, 11:58 AM IST

संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पलात की स्थिति देखिए

अस्पताल के शिशु वार्ड में एक पलंग पर दो से तीन बच्चे भर्ती है. यहां मरीज उपचार के आस में आते हैं पर यहां मरीजों को पलंग तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं. एक पलंग पर 2 से 3 मासूमों का उपचार चल रहा है. इन सबके बीच शिशु वार्ड विभागाध्यक्ष का बयान आपको हैरान कर देगा.


अजमेर. संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय की स्थिति इन दिनों बद से बदतर हो रही है. यहां अस्पताल में एक बेड पर दो से लेकर तीन तक मरीज भर्ती है. एक ग्लूकोज स्टैंड पर एक नहीं तीन-तीन, चार-चार ड्रीप टंगी हुई है. लेकिन जब इन के बारे में अस्पताल के डॉ. पुखराज गर्ग से ईटीवी भारत के संवादादाता ने बात की तो उन्होंने ऐसा बयान दिया. जिसको सुनकर हर कोई चौंक जाए.

अस्पताल के शिशु वार्ड में एक पलंग पर दो से तीन बच्चे भर्ती है. यहां मरीज उपचार के आस में आते हैं पर यहां मरीजों को पलंग तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं. एक पलंग पर 2 से 3 मासूमों का उपचार चल रहा है. सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात तो यह है कि पलंग ना सही कम से कम मरीजों के ग्लूकोस लगने वाले स्टैंड तो कम से कम अलग- अलग हो. यहां एक ही स्टैंड लगा हुआ है जिस पर ग्लूकोस की बोतल टंगी हुई नजर आ रही है. नर्सिंग स्टाफ की जरा सी चूक किसी मासूम की जीवन पर भारी पड़ सकती है. कई मर्तबा तो पता ही नहीं चल पाता कि किस मरीज को कौन सी ग्लूकोस की बोतल चल रही है.

जिससे साफ होता है कि शिशु इकाई की आपातकालीन यूनिट की व्यवस्था कितनी डरावनी है. यहां संक्रमण फैलने का अंदेशा है हर पल रहता है. कुछ परिजन इसका विरोध भी कर चुके हैं. जो विरोध करते हैं उन्हें डिस्चार्ज कर यहां से रेफर कर दिया जाता है. इस कारण कोई विरोध भी नहीं कर पाता है. अस्पताल में पंखे हिलाते हुए परिजन शिशु रोग आपातकालीन इकाई में भर्ती बच्चो के परिजनों के हाथों में पंखे लेकर हिलाते हुए साफ नजर आ रहे हैं. इस गर्मी के मौसम में अस्पताल के पंखे भी ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं ग्रामीण अंचल से आए परिजनों का कहना है कि मजबूरी है. बच्चा बीमार है और यह सब बात का सबसे बड़ा अस्पताल है इस कारण बच्चे को यहां भर्ती कराया गया है.

संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की स्थिति देखिए

हैरान करने वाला शिशु वार्ड के विभागाध्यक्ष का बयान
उधर, शिशु वार्ड के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पुखराज गर्ग ने कहा की शिशु वार्ड वे एक पलंग पर 2 से 3 बच्चे भर्ती होना, यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है. मरीज हमारे ऊपर काफी विश्वास रखता है इसलिए वह कहीं जाना नहीं चाहता. इसलिए यहां एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती है. साथ ही डॉक्टर गर्ग के लिए कहा कि अस्पताल में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है. एक स्टैंड पर चार से पांच ग्लूकोस की बोतलों पर गर्ग ने कहा कि अलग-अलग स्टैंड यहां नहीं लगाए जा सकते, क्योंकि फिर निकलने की जगह नहीं रहती है. हमारे यहां प्रशिक्षित नर्स है जिन्हें मालूम रहता है कि कौनसी ग्लूकोस कौन से बच्चे के लगी है.

Intro:अजमेर - शिशु वार्ड में एक पलंग पर दो से तीन बच्चे भर्ती यह है हमारा सौभाग्य - डॉ पुखराज गर्ग संभाग के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय की स्थिति बद से बदतर होती हुई नजर आ रही है यहां मरीज उपचार के आस में आते हैं पर यहां मरीजों को पलंग तक नसीब नही हो पा रहे हैं एक पलंग पर 2 से 3 मासूमों का उपचार चल रहा है सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात तो यह है कि पलंग ना सही कम से कम मरीजों के ग्लूकोस लगने वाले स्टैंड तो कम से कम अलग- अलग हो !


Body:यहां एक ही स्टैंड लगा हुआ है जिस पर ग्लूकोस की बोतल टंगी हुई नजर आ रही है नर्सिंग स्टाफ की जरा सी चूक किसी मासूम की जीवन पर भारी पड़ सकती है ! कई मरतबा तो पता ही नहीं चल पाता कि किस मरीज को कौन सी ग्लूकोस की बोतल चल रही है यह वार्ड है जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की शिशु इकाई की आपातकालीन यूनिट जहां की व्यवस्था डरावनी और शर्मनाक दिख रही है ! संभाग के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में स्थिति इतनी डरावनी है कि यहां शिशु वार्ड में एक ही बेड पर कई बच्चे भर्ती है मरीजों के परिजन ग्लूकोज और ब्लड की बोतल को हाथों में लेकर खड़े रहते हैं जिम्मेदारी की आंख के आगे फैली अव्यवस्था मासूमों की जान पर आ गई है !


Conclusion:संक्रमण फैलने का अंदेशा है हर पल वार्ड में एक ही पलंग पर अलग-अलग बीमारी से ग्रसित बच्चों का उपचार चलने से पहले से ही बीमार बच्चों को संक्रमण का अंदेशा फैलने का डर सताता रहता है कुछ परिजन इसका विरोध भी कर चुके हैं जो विरोध करते हैं उन्हें डिस्चार्ज कर यहां से रेफर कर दिया जाता है इस कारण कोई विरोध भी नहीं कर पाता है ! अस्पताल में पंखे हिलाते हुए परिजन शिशु रोग आपातकालीन इकाई में भर्ती बच्चो के परिजनों के हाथों में पंखे लेकर हिलाते हुए साफ नजर आ रहे हैं ! इस गर्मी के मौसम में अस्पताल के पंखे भी ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं ग्रामीण अंचल से आए परिजनों का कहना है कि मजबूरी है बच्चा बीमार है और यह सब बात का सबसे बड़ा अस्पताल है इस कारण बच्चे को यहां भर्ती कराया गया है ! शिशु वार्ड के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पुखराज गर्ग ने कहा की शिशु वार्ड वे एक पलंग पर 2 से 3 बच्चे भर्ती होना यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है कि मरीज हमारे ऊपर काफी विश्वास रखता है इसलिए वह कहीं जाना नहीं चाहता ! इसलिए यहां एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती है ! साथ ही डॉक्टर गर्ग के लिए कहा कि अस्पताल में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है एक स्टैंड पर चार से पांच ग्लूकोस की बोतलों पर गर्ग ने कहा कि अलग-अलग स्टैंड यहां नहीं लगाए जा सकते क्योंकि फिर निकलने की जगह नहीं रहती है हमारे यहां प्रशिक्षित नर्स है जिन्हें मालूम रहता है कि कौनसी ग्लूकोस कौन से बच्चे के लगी है !
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