अजमेर. विद्युत वितरण निगम ने बिजली चोरी या गलत उपयोग के मामलों में सुनवाई के लिए उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है. जहां उपभोक्ता अब जुर्माना राशि का 10 प्रतिशत या 5 लाख रूपये दोनों में से जो भी कम हो, जमा करवा कर सैटलमेंट के लिए आवेदन कर सकते हैं. ऐसे उपभोक्ताओं को अब कटा हुआ बिजली कनेक्शन पुनः शुरू कराने के लिए 50 प्रतिशत राशि जमा करानी होगी.
अजमेर डिस्कॉम के प्रबन्ध निदेशक वी.एस.भाटी ने बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 एवं 138 के तहत बिजली चोरी एवं गलत उपयोग के मामलों में लिप्त पाए गए उपभोक्ताओं को मामले के सैटलमेन्ट के लिए शुरूआती जमा राशि में राहत दी गई. ऐसे उपभोक्ता अब दस प्रतिशत राशि जमा करा कर सैटलमेन्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसी तरह बड़े जुर्माने में 5 लाख रूपए तक की राशि जमा करवा कर सैटलमेन्ट के लिए आवेदन किया जा सकेगा. लेकिन ऐसे मामलों में उपभोक्ता पुनः कनेक्शन शुरू करवाना चाहता है तो उसे कुल जुर्माना राशि का 50 प्रतिशत जमा कराना होगा.
उन्होंने बताया कि सतर्कता जांच प्रतिवेदनों पर राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति के समक्ष प्रोविजनल राजस्व निर्धारण के नोटिस की दिनांक से 30 दिवस के अन्दर ही अपील दायर की जा सकती है. यदि उपभोक्ता राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति में अपना प्रकरण रखना चाहता है, तो उसे सक्षम समिति के अध्यक्ष के समक्ष अपील दायर करनी होगी और संबंधित सहायक अभियंता कार्यालय में वैधानिक दायित्व राशि का 10 प्रतिशत और 5 लाख रुपये, जो भी कम हो और सम्पूर्ण प्रशमन राशि (कम्पाउडिंग चार्ज) जमा करवानी होगी.
उपरोक्त राशि मय निर्धारित आवेदन शुल्क के सहायक अभियंता कार्यालय में जमा की जाएगी, लेकिन उसका विद्युत संबंध पुर्नस्थापित नहीं किया जाएगा. यदि उपभोक्ता अपना कनेक्शन पुर्नस्थापित करवाया चाहता है और अपना प्रकरण संबंधित राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति के समक्ष रखना चाहता है, तो उसे वैधानिक दायित्व राशि का 50 प्रतिशत और समस्त प्रशमन राशि संबंधित सहायक अभियंता कार्यालय में जमा कराना आवश्यक होगा. सक्षम समिति के अध्यक्ष की अनुमति से निर्धारित शुल्क जमा करवाकर अपील दायर की जा सकेगी. उक्त मामलों में समिति का निर्णय आवेदक को स्वीकार्य होगा.
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता अथवा गैर उपभोक्ता की ओर से राजस्व निर्धारीण पुनरीक्षण समिति में आवेदन करने के 7 दिवस में सहायक अभियंता पूर्ण प्रकरण मय विवरण संबंधित समिति में भेजना सुनिश्चित करेंगे. सहायक अभियंता की ओर से संबंधित समिति से सुनवाई की तारीख निर्धारित करवाकर, सुनवाई की तारीख, स्थान और समय का सम्पूर्ण ब्यौरा उपभोक्ता अथवा गैर उपभोक्ता को देना होगा. समिति की ओर से आवेदन प्राप्त होने के 30 दिवस के अन्दर उसका निस्तारण करना आवश्यक होगा.
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उपरोक्त समितियों के समक्ष वाद की प्रस्तुति संबंधित प्राधिकृत सतर्कता जांच अधिकारी की ओर से की जाएगी. अधिशाषी अभियंता (सतर्कता) यदि स्वयं सतर्कता जांच अधिकारी हो तो समिति का सदस्य सचिव अधीक्षण अभियन्ता (पवस)/संभागीय मुख्य अभियंता के तकनीकी सहायक होंगे. आवश्यकतानुसार मीटर विंग/अन्य विंग के अधिकारी अध्यक्ष की अनुमति से सिमति में आमंत्रित सदस्य होंगे. उपरोक्त समिति उपभोक्ता अथवा गैर उपभोक्ता के पक्ष की पूर्ण जानकारी लेगी एवं प्राधिकृत अधिकारी, जिसके द्वारा जांच प्रतिवेदन तैयार किया गया है, से भी पूर्ण तथ्यों की जानकारी लेगी एवं विद्युत चोरी की अवधि, सम्बद्ध भार अथवा शिफ्ट (औद्योगिक उपभोक्ताओं के मामले में) के संदर्भ में प्रमाणित दस्तावेजों के आधार पर विधिसम्मत निर्णय लेगी.