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राजस्थान में मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी के मामले बढ़े

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Published : Mar 25, 2022, 6:41 AM IST

राजस्थान में अपराध पर लगाम कसने में प्रदेश सरकार नाकाम साबित हो रही है. मासूम बच्चियां तक प्रदेश में सुरक्षित नहीं रह गईं हैं. आए दिन मासूमों बालिकाओं से दरिंदगी (Rape with minors in Rajasthan) के मामले सामने आ रहे हैं. बीते कुछ सालों में नाबालिगों से रेप के बढ़ते मामले कुछ यही संकेत दे रहे हैं. पॉक्सो कोर्ट बनाए जाने के बाद भी रेप पीड़िताओं को न्याय नहीं मिल पा रहे हैं. यही वजह है कि नाबालिग से रेप का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. पढ़ें पूरी खबर

नाबालिग से रेप का ग्राफ
नाबालिग से रेप का ग्राफ

जयपुर. यूं तो राजस्थान को पर्यटन प्रदेश कहा जाता है परंतु प्रदेश में मासूमों के साथ दरिंदगी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी (Rape with minors in Rajasthan)की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राज्य में पॉक्सो कोर्ट भी कार्यरत है. इसके बावजूद रेप पीड़ितों को इंसाफ मिलने में देरी हो रही है. गहलोत सरकार के तीन साल में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के कुल 5793 मामले दर्ज किए गए हैं. खास बात ये है कि 56 पॉक्सो कोर्ट अलग से होने के बाद भी सिर्फ 129 दोषियों को सजा हुई.

सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल

सदन में सरकार का कबूलनामा
सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल बताते हैं कि प्रदेश में मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़ते जा रहे हैं. प्रदेश में बढ़ते दुष्कर्म के मामलों को लेकर विधानसभा में पिछले दिनों सरकार की ओर से एक सवाल के जवाब में जानकारी दी गई कि जनवरी 2019 से जनवरी 2022 तक तीन साल की अवधि में प्रदेश में 5793 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं. एक रिपोर्ट के तहत रोजाना हर चार घंटे में एक मासूम दरिंदगी का शिकार हो रही है. आंकड़े बताते हैं कि नाबालिग बच्चियों से रेप के आरोप में 6628 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इसमें 4631 मामलों में कोर्ट में चालान पेश किया गया जबकि शेष 283 प्रकरणों में चालान पेश किया जाना बाकी है. प्रदेश में 56 पॉक्सो कोर्ट होने के बाद भी केवल 129 दोषियों को सजा हुई.

56 पॉक्सो कोर्ट में लेकिन सजा सिर्फ 129
सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह कहती हैं कि नाबालिगों को समय पर न्याय मिले और दोषियों को जल्द से जल्द सजा हो. इसके लिए पॉक्सो कोर्ट खोले गए हैं, लेकिन यह चिंता की बात है कि प्रदेश में 56 पॉक्सो कोर्ट होने के बावजूद अभी तक सिर्फ 129 आरोपियों को ही सजा सुनाई गई है. जबकि अलग से पॉक्सो कोर्ट खोलने का उद्देश्य त्वरित न्याय देना था.

आंकड़ों से समझें पिछले तीन साल की स्थिति

जिलादर्ज मामलेचालान पेशएफआर लगीगिरफ्तारी दोषियों को सजा
अजमेर 179 136 37 188 10
अलवर200 131 58

203

5
बांसवाड़ा 173 146 24 186 3
बारां 141 122 15 191 3
बाड़मेर 175 129 39 185 2
भरतपुर 226 132 79 163 0
भीलवाड़ा 170 134 29 179 5
भिवाड़ी 144 112 29 153 2
चितौड़गढ़ 198 184 7 261 4
बूंदी 118 101 13 136 6
चुरू 148 112 29 164 0
बीकानेर 175 143 25 197 2
दौसा 111 80 22 112 2
धौलपुर 87 59 26 74 0
डूंगरपुर 230 208 11 308 7
गंगानगर 164 134 25 163 0
जिलादर्ज मामलेचालान पेशएफआर लगीगिरफ्तारीदोषियों को सजा
हनुमानगढ़ 209 176 23 139 0
जयपुर 538 407 100 540 14
जैसलमेर 44 39 4 72 4
जालोर 174 124 4 171 1
झालावाड़ 120 92 25 103 1
झुंझुनूं 140 119 18 173 3
जोधपुर 270 223 23 356 2
करौली 104 81 13 116 5
कोटा 178 164 10 244 4
नागौर 166 137 25 207 3
पाली 165 138 16 198 10
प्रतापगढ़ 130 75 38 124 1
राजसमंद 107 93 13 125 11
सवाई माधोपुर114 87 13 178 6
सीकर 147 117 23 174 1
सिरोही 135 119 11 164 3
टोंक 160 128 23 200 5
उदयपुर 184 241 28 370 2
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