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जंगल सफाई के नाम पर विंध्या कालरी में करोड़ों का घोटाला, अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप

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Published : Oct 10, 2020, 7:15 AM IST

उमरिया जिले में एसईसीएल की विंध्या कालरी में अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रूपए की लूट और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. जहां खदान के सीनियर ड्राफ्समेन सोमचंद्र पटेल ने आरोप लगाया है जिसमें प्रबंधक और सर्वेयर की मिलीभगत से ठेकेदार को ऐसे कई कामों का फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है, जो हुए ही नहीं है.

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उमरिया

उमरिया। एसईसीएल की विंध्या कालरी में अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. आरोप है कि प्रबंधक और सर्वेयर की मिलीभगत से ठेकेदार को ऐसे कई कामों का फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है जो असल में हुए ही नहीं हैं. ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि विंध्या खदान के सीनियर ड्राफ्समेन सोमचंद्र पटेल ने लगाए हैं. उन्हे इस मामले मे एक लिखित शिकायत कर महाप्रबंधक से जांच व कार्रवाई की मांग की है.

पिलर 189 भुगतान 407 का

बताया गया है कि 2019-20 मे स्वीकृत डिप्लेयरिंग कार्य के तहत पैनल सीएम 6 में मात्र 189 सबस्डिेंस पिलर बनवाए गये हैं, जबकि ठेकेदार को इससे दोगुना यानी 407 सब्सिडेंस पिलर का भुगतान कर दिया गया. खास बात यह है कि डाइरेक्टर जनरल ऑफ माइन्स सेफ्टी (डीजीएमएस) ने प्रबंधन को मात्र 97 पिलर चलाने की ही अनुमति दी थी.

बदल दी साइज

इसके अलावा डीजीएमस द्वारा 7 जून 2019 को जारी अनुमति मे पैनल सीएम 6 का साइज 275-185 दर्शाया गया था, जहां किसी प्रकार का जंगल नहीं था, पर ठेकेदार को को 620-240 साइज तथा इसके 10 प्रतिशत भाग मे जंगल की सफाई का भुगतान भी कर दिया गया. इस स्थान पर जंगल की जगह किसानों की जमीने मौजूद हैं. यह भी बताया गया कि प्रबंधन द्वारा सीएम 6मपैनल मे क्रेक/सब्सिडेंस फिलिंग के नाम से ठेकेदार को 5 लाख 30 हजार एक रूपए का भुगतान फर्जी तरीके से कराया गया, ऐसा कोई भी काम मौके पर हुआ ही नहीं.

बिना नाली बने ही पास हो गए बिल

आरोप है कि खदान मे कई हजार मीटर नालियों का निर्माण सिर्फ कागजों पर दिखा कर ठेकेदार को लाखों रूपये का भुगतान करा दिया गया है. यह सब कुछ स्थानीय अधिकारियों की सांठगांठ से हो रहा है. जानकारी मिली है कि खान प्रबंधक द्वारा ठेकेदारी लेबरों का नाम डी फार्म रजिस्टर में फर्जी तरीके से दर्ज करवाया जाता है.

सर्वेयर, प्रबंधक और उप क्षेत्रीय प्रबंधक की साठगांठ

शिकायतकर्ता का कहना है कि विंध्या खदान मे होने वाले सभी निर्माण कार्यो में सीनियर सर्वेयर ओपी गुप्ता की हिस्सेदारी है, यही कारण है कि बिना नाप और गुणवत्ता देखे ही ठेकेदार के बिल पास करा दिये जाते हैं. खदान में सब्सिडेंस प्लान व सेक्शन आदि गलत तरीके से बनवाए गए हैं. जहां बेल्ट और हॉलेज की आवश्यकता नहीं थी, वहां भी काम दिखा कर भुगतान करा दिया गया है. करोड़ों के इस खेल में प्रबंधक और उपक्षेत्रीय प्रबंधक की भी मुख्य भूमिका है.

अनशन पर बैठने की चेतावनी

विंध्या खदान में पदस्थ सीनियर ड्राफ्टसमेन सोमचंन्द्र पटेल की मांग है कि सरकारी पैसे की बंदरबांट और भ्रष्टाचार की जांच 15 दिवस के अंदर कराई जाए, अन्यथा इस मुद्दे पर वे महाप्रबंधक कार्यालय के सामने अनशन शुरू कर देंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी.

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