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बारिश नहीं होने से ग्रामीण परेशान, इंद्रदेव को मनाने के लिए कर रहे बागरसोई

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Published : Jul 27, 2019, 7:45 PM IST

Updated : Jul 27, 2019, 10:06 PM IST

बारिश नहीं होने से लोग परेशान

बारिश नहीं होने से लोग परेशान हो रहे हैं और रूठे इंद्र देव को मनाने के लिए बागरसोई का आयोजन कर रहे हैं.

आगर। बारिश नहीं होने के कारण गर्मी से भी लोगों का हाल बेहाल हो रहा है. किसान भी भारी नुकसान झेल रहे हैं. रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए हर दिन नए-नए तरीके अपनाए जा रहे है. शनिवार को सालों पुरानी परम्परा को एक बार पुन:जीवित करते हुएं शहरवासियों ने उज्जैनी का आयोजन किया.

बारिश नहीं होने से लोग परेशान


बाग रसोई जिसे गांवों में बोलचाल की भाषा में उज्जमनी या उज्जैनी कहा जाता है इन दिनों जगह-जगह आयोजन हो रहा है. ग्रामीण अपने-अपने घरों से दूर खेत खलिहान में खुले आसमान के नीचे खाना बनाते है और भगवान इंद्र से बारिश करने की प्रार्थना करते हैं. शनिवार को पूरा शहर बंद रहा. लोगों ने खेत-खलिहानों और मंदिरों में भोजन बनाया और इंद द्रेव को भोग लगाया. मंदिरों में भजन कीर्तन भी किए गए.


शनिवार को नगर के बाहर मेला ग्राउण्ड क्षेत्र में इतवारीय बाजार क्षेत्र की महिलाओं के द्वारा सामुहिक रूप से भोजन बनाया गया और इंद देव को दाल-बाटी का भोग लगाकर बारिश के लिए प्रार्थना की गई. साथ ही ओंकारेश्वर, महादेव मंदिर, नगर से 3 किलोमीटर दूर स्थित मोरूखेडी स्थित शिव मंदिर और खेतो खलिहानों पर नगरवासियों ने पहुंचकर अच्छी बारिश की कामना को लेकर उज्जैनी मनाई.

Intro:प्री-मानसुन के बाद मानसून मानो रूठ ही गया हों, बारिश नहीं होने के कारण गर्मी से भी लोगाे का हाल बेहाल हो रहा है। किसान भी भारी नुकसान झेल रहा है। अब तो रहम करो इंद द्रेव कम से कम अब तो राहत का अमृत बरसा दो। इन दिनों इसी तरह की प्रार्थनाएं बारिश के लिए हर व्यक्ति कर रहा है। काफी दिनों से रूठे इंद देव को मनाने के लिए हर दिन नीत- नए तरीके अपनाए जा रहे है। शनिवार को सालो पुरानी परम्परा को एक बार पुन: जीवित करते हुएं शहरवासियों ने उज्जैनी का आयोजन किया।


Body:बागरसोई जिसे गांवों में बोलचाल की भाषा में उज्जमनी या उज्जैनी कहा जाता है का इन दिनों जगह- जगह आयोजन हो रहा है। ग्रामीण अपने-अपने घरों से दूर खेत खलिहान में प्रकृति के आंचल में खुले गगन तले भोजन बनाते है, फिर जल के देवता इंद्र को आव्हान करते है कि है जलदेव हमारे क्षेत्र में आपकी बेरूखी के कारण फंसले सुखने की कगार पर पहुंच गई है। है कृपानिधान, है दया निधान, अपनी कृपारूपी जीवनदायी अमृत की बुंदों को बरसाकर इस प्यासी भूमि को तृप्त करें। इसके पश्चात दाल- बाटी व चुरमा का भोग लगाकर विधि-विधान से पूजा करते है, वैसे प्रकृति के आंचल में खुले आसमान के नीचे बने भोजन का स्वाद भी लाजवाब होता है।

शनिवार को पूरा शहर बंद रहा लोगो ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर घर की बजाय खेतो-खलिहानो और मंदिरो में भोजन बनाया और इंद द्रेव को भोग लगाया। मंदिरों में भजन कीर्तन किए गए। शनिवार को नगर के बाहर मेला ग्राउण्ड क्षेत्र में इतवारीय बाजार क्षेत्र की महिलाओं के द्वारा सामुहिक रूप से भोजन बनाया गया और इंद देव को दाल-बाटी का भोग लगाकर बारिश के लिए प्रार्थना की गई। साथ ही ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, नगर से 3 िकलोमीटर दूर स्थित मोरूखेडी स्थित शिव मंदिर, माधव विलास वे अपने-अपने खेतो खलिहानों पर नगरवासियो ने पहुंचकर अच्छी बारिश की कामना को लेकर उज्जैनी मनाई गई।Conclusion:
वैसे तो सावन का महिना बारिश के लिए जाना जाता है, लेकिन एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी मेघ अभी तक तेज नहीं बरसे है। जिससे किसान परेशान होने लगा है। खेतों में उगी फसले बारिश की बूंदो का बेसब्री से इंतजार कर रही है। लेकिन इंद राजा है की पानी बरसाने का नाम ही नही ले रहे है। ऐसे में शहर से लेकर गांवो में उज्जैनी का आयोजन किया जा रहा है। शनिवार का पूरा नगर बन्द रहा, 18 हजार की आबादी वाले शहरवासियों ने नगर से बाहर जाकर बाग रसोई बनाई और भगवान को भोग लगाया है।
Last Updated :Jul 27, 2019, 10:06 PM IST
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