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MP में घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, शिप्रा नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं ने किया स्नान

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Published : Jan 15, 2023, 10:11 AM IST

Updated : Jan 15, 2023, 10:36 AM IST

Makar Sankranti 2023
उज्जैन घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) के पुण्य अवसर पर बाबा महाकाल की नगरी में हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. कड़ाके की ठंड होने के बावजूद श्रद्धालु सुबह से ही शिप्रा के घाटों पर पहुंचने लगे हैं.

खरगोन के नवगृह मंदिर पहुंचे श्रद्धालु

उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन सहित देश भर में मकर संक्रांति का पर्व आज मनाया जा रहा है. सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, सबसे पहले पर्व उज्जैन में फिर देश भर में मनाया जाता है. मान्यता है सनातन धर्म में कोई भी पर्व सबसे पहले श्री महाकाल मंदिर में ही मनाया जाता है. उज्जैन में पंडितो की माने तो इस पर्व पर स्नान,दान पुण्य का अत्यधिक महत्व है. इसलिए लोग आज उज्जैन में शिप्रा के घाटों पर सुबह से पहुंच रहे हैं और स्नान दान पुण्य का लाभ ले रहे है. मान्यता है मां शिप्रा में स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है.

क्या है दान का महत्व: इस दिन सुबह तीर्थ दर्शन, पवित्र नदियों में स्नान तथा तिल से बने पकवान, कंबल, ऊनी वस्त्र, चावल-मूंग की दाल आदि वस्तुओं के दान का विशेष महत्व है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य का उत्तरायण माना जाता है. भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो सूर्य नवग्रह के राजा है और सूर्य से ही अन्य ग्रहों को ऊर्जा प्राप्त होती है. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है तो उत्तर की ओर गोलार्ध में उसका असर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है. यही कारण है कि अन्य तीन ऋतु इस दौरान अपना अलग प्रभाव दर्शाती हैं, जिससे मौसम तथा जलवायु परिवर्तन होता है.

स्नान और दान करने से पापों से मिलती है मुक्ति: शिप्रा नदी के पुजारी पंडित राकेश जोशी ने बताया कि मकर संक्रांति का आज महापर्व है. यहां पर सूर्य नारायण भगवान कर्कराय उत्तरायण में आते हैं. इसलिए यहां पर माह संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. यहां शिप्रा नदी पर स्नान करने वाले लोग श्रद्धा से तिल के लड्डू और खिचड़ी का दान करते हैं, जिससे भगवान सभी पापों से मुक्ति देते हैं, विशेष ही शिप्रा उत्तरवाहिनी क्षिप्रा में स्नान करने से सात जन्मों के प्राणी मुक्त होता है और अपने समस्त कष्ट और पीड़ा दुख दूर होते हैं.

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खरगोन के नवग्रह मंदिर पहुंचे श्रद्धालु: मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के नवग्रह मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर प्रदेश सहित राजस्थान गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिए. पुजारी के अनुसार जीवन चक्र के आधार पर नवग्रह मंदिर बना है. मंदिर के पुजारी आचार्य लोकेश जागीरदार ने बताया कि यह 200 वर्ष पूर्व मां बगलामुखी ने सपने में आकर मंदिर निर्माण करने के लिए कहा था. जिसके बाद मंदिर को शास्त्रों के अनुसार बनाया गया. मंदिर के तीन गुम्बद जो ब्रह्मःविष्णु महेश के प्रतीक हैं. सप्ताह के 7 वार होते हैं तो मंदिर में प्रवेश करने के लिए साथ सीढ़िया हैं, गर्भ गृह में प्रवेश करने के लिए 12 सीढ़िया उतरना पड़ता है, जो 12 राशियों का प्रतीक है. गर्भ ग्रह के सेंटर में नव ग्रहों की अधिष्ठाती देवी मां बगला मुखी के साथ सूर्य देव विराजमान हैं, चारों और नवग्रह राहु केतु शनि मंगल चंद्र गुरु शुक्र बुध विराजमान हैं. नवग्रहों के दर्शन के बाद बाहर आने के लिए 12 सीढ़िया पुनः चढ़ना पड़ता है जो वर्ष के 12 माह का प्रतीक है.

Last Updated :Jan 15, 2023, 10:36 AM IST
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