शहडोल। हाल ही में घरेलू गैस के दाम एक बार फिर से ₹50 बढ़ा दिए गए. घरेलू गैस के लगातार बढ़ रहे दाम लोग परेशान हैं. वर्तमान में शहडोल जिले में एक एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹1076 है. लोग परेशान हैं कि आखिर खाना बनाने का ऐसा कौन सा विकल्प हो सकता है, जो उन्हें इस महंगाई से राहत दे सके. ऐसे लोगों के लिए शहडोल जिले का आदिवासी बाहुल्य गांव खतौली एक मिसाल है. यहां घर- घर में गोबर गैस का इस्तेमाल हो रहा है. बढ़ती महंगाई के बीच गोबर गैस इस गांव के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है.
गोबर गैस के प्रति लोगों में जागरूकता : ये गांव जिला मुख्यालय से लगभग 10 से 15 किलोमीटर दूर है. इस आदिवासी बाहुल्य गांव में गोबर गैस के प्रति लोगों में खासी जागरूकता है. इसका फायदा इस बढ़ती महंगाई के बीच उन्हें अब न केवल गैस के इस्तेमाल में मिल रहा है, बल्कि उनकी खेती भी उन्नत हो रही है. गांव के लोग जैविक खेती कर रहे हैं. इस बारे में महिलाओं का कहना है कि गोबर गैस उनके लिए वरदान है.
![Gobar gas available in every house](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sha-01-special-har-ghar-gobar-gas-pkg-7203529_09072022164155_0907f_1657365115_843.jpg)
10 साल से कर रहे गोबर गैस का इस्तेमाल : खेतौली गांव के कई आदिवासी घरों में पहुंचकर ईटीवी संवाददाता ने जायजा लिया. गोबर गैस के बारे में महिलाओं से बात की. उन्होंने बताया कि उनके घरों में 10 साल से ज्यादा समय से गोबर गैस का इस्तेमाल हो रहा है. महिलाएं कहती हैं कि आज उनके पास गोबर गैस है और एक अच्छा सिस्टम बना हुआ है. उन्हें खाना बनाने के लिए फ्री में गैस भी मिल रही है. खाद भी मिल रहा है और धुएं से उन्हें मुक्ति भी मिल रही है.
जैविक खेती भी कर रहे किसान : ग्रामीण बताते हैं कि गोबर गैस लगवाने का उन्हें फायदा मिल रहा है. महंगाई के इस दौर में वो गैस सिलेंडर कैसे रिफिल कराते. उन्हें फिर से लकड़ी और चूल्हे की ओर जाना पड़ता. ऐसे में गोबर गैस उनके लिए वरदान है. इसके अलावा खाद तैयार करने में वह सफल हो रहे हैं. इसका इस्तेमाल वो जैविक खेती में कर रहे हैं और उन्नत फसल हासिल कर रहे हैं.
![Gobar gas available in every house](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sha-01-special-har-ghar-gobar-gas-pkg-7203529_09072022164155_0907f_1657365115_896.jpg)
हर घर में गोबर गैस : ग्रामीण लल्लू सिंह कहते हैं कि उनके यहां जब से गोबर गैस प्लांट लगा है, तब से वह इसी से अपने घर में खाना बनवाते हैं. वह एलपीजी सिलेंडर नहीं भरवा पाते हैं. लल्लू सिंह कहते हैं कि जब उन्हें फ्री में गैस मिल रही है तो वह फिर इतने पैसे क्यों देंगे. लल्लू सिंह का कहना है कि उनके गांव में लगभग हर व्यक्ति गोबर गैस का इस्तेमाल करता है. पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव कई सालों तक इस क्षेत्र में काम कर चुके हैं, वे इन गांवों के विकास में अपनी सहभागिता निभा चुके हैं.
![Gobar gas available in every house](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sha-01-special-har-ghar-gobar-gas-pkg-7203529_09072022164155_0907f_1657365115_494.jpg)
![Gobar gas available in every house](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sha-01-special-har-ghar-gobar-gas-pkg-7203529_09072022164155_0907f_1657365115_54.jpg)
एसपीजी का बेहतर विकल्प गोबर गैस : खेतौली गांव को लेकर पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव का कहना है कि गोबर गैस या बायो गैस वैकल्पिक ऊर्जा का एक बहुत बड़ा साधन है. इस गांव में ज्यादातर किसान हैं. आदिवासी बाहुल्य गांव है. यहां के आदिवासी पहले जंगल में लकड़ी काटने जाते थे लेकिन जब इनके यहां बायोगैस -गोबर गैस बना तो इससे इनको दो फायदे मिल रहे हैं एक तो जो गैस मिलती है उससे वो खाना बनाते हैं. इसके अलावा जैसे ही इस गोबर की सैलरी निकलती है उसे सीधे खेतों पर डाल देते हैं और वो सैलरी बहुत ही अच्छी जैविक खेती के लिए खाद का काम करती है. खेतौली गांव के अधिकतर किसानों के यहां बायोगैस या गोबर गैस है. लगभग 80% लोगों के यहां ये सुविधा है. इस गांव में 80 से 85% लोग जैविक खेती करते हैं.