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आपके जीवन में इस तरह की समस्याएं तो नहीं, रहें सावधान, इस उपाए से करें मंगल ग्रह की शांति

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Published : Dec 22, 2022, 8:05 PM IST

शहडोल के सूर्यकांत शुक्ला ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जीवन में उतार-चढ़ाव और मंगल ग्रह की शांति के लिए ऐसा उपाए है, जिससे कई समस्याएं दूर हो जाएगी. जिस जातक की कुंडली में मंगल दोष है या फिर जिस जातक को शंका हो कि मेरे जीवन में मंगल दोष है तो वो जातक मात्र बहुत सरल उपाय करके जिसमें बहुत धन भी खर्च नहीं होगा, उस परेशानी से बच सकता है.

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इस उपाए से करें मंगल ग्रह की शांति

इस उपाए से करें मंगल ग्रह की शांति

शहडोल। ज्योतिष शास्त्र और धर्म शास्त्र में ग्रहों का भी बहुत महत्व बताया गया है. जब ग्रहों की चाल, दिशा और दशा बदलती है तो जातकों के जीवन में भी बहुत कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं, वो उतार-चढ़ाव कभी फलदाई भी होते हैं, कभी हानिकारक भी होते हैं. ऐसे में जब मंगल ग्रह शांत होता है तो जातकों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, फिर मंगल ग्रह की शांति के लिए क्या कुछ करना चाहिए, कैसे जानें कि मंगल ग्रह अशांत है, अगर मूंगा आदि धारण नहीं कर सकते हैं, तो मंगल ग्रह की शांति कैसे महज एक खैर की लकड़ी से की जा सकती है. जानिए ज्योतिषाचार्य और भगवता चार्य सूर्यकांत शुक्ला से.

मानव जीवन में ग्रहों का विशेष स्थान: ज्योतिषाचार्य सूर्यकांत शुक्ला बताते हैं की जब से मनुष्य का जन्म होता है और फिर उसके मृत्यु तक ग्रह मानव को प्रभावित करते रहते हैं. जन्म से मृत्यु तक किसी न किसी प्रकार से व्यक्ति के जीवन में इनका असर रहता ही है. ग्रहों की चाल व्यक्ति के जीवन में रहती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार और धर्म शास्त्रों के अनुसार मनुष्य जीवन में ग्रहों का अपना विशेष स्थान है. जिसमें सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, बुध ग्रह हो, गुरु और शनि राहु केतु हो यह जब जिस जातक में रहते हैं, कभी शुभ कभी अशुभ फल प्रदान करते रहते हैं. जब मनुष्य अपने जीवन के दैनिक कार्य करता है और उसमें वह श्रेष्ठतम जीवन भी जीता है. ग्रहों के कारण मनुष्य को कई परेशानी होती है.

जातकों पर मंगल गृह का असर: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि विशेषकर मंगल ग्रह तो मंगल अग्नि तत्व को प्रदर्शित करता है. मंगल का स्वभाव ही है अग्नि, तेज और मंगल के जो जातक हैं वो भूमि भवन और वाहन से संबंधित कष्टों में बहुत रहते हैं. अगर मंगल शुभ है तो इसमें लाभ होता है, अगर मंगल अशुभ है तो उसमें हानि होती है, कई-कई बार व्यक्ति के जीवन में कुंडली के स्थान पर लग्न में सप्तम अष्टम या फिर द्वादश भाव में मंगल विराजित है तो मंगली कुंडली भी कहलाती है.

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मंगल गृह की शांति के उपाय: ज्योतिष आचार्य सूर्यकांत शुक्ला के मुताबिक मंगल ग्रह की शांति के लिए अनेक उपाय हैं. मंगल ग्रह के लिए मंगल शांति की पूजा कराई जाती है. मंगल ग्रह के लिए प्रायः ज्योतिषी मूंगा धारण करने के लिए बताते हैं, लेकिन अगर हमारे पास इतनी व्यवस्था नहीं है, इतनी सामर्थ्य नहीं है उतनी संपदा नहीं है, उन उपायों पर नहीं कर पा रहे हैं तो ग्रह नक्षत्र की शांति के लिए शास्त्रों में स्पष्ट रूप से वनस्पतियों का वर्णन है, औषधियों का भी वर्णन है.

खैर की लड़की से ऐसे करें मंगल की शांति: अगर हम जिन औषधियों का, जिन वनस्पतियों का ग्रहों के लिए वर्णन है, उनके द्वारा उपयोग करें तो निश्चित रूप से शांति मिलती है. जिस जातक की कुंडली में मंगल दोष है या फिर जिस जातक को शंका हो कि मेरे जीवन में मंगल दोष है तो वो जातक मात्र बहुत सरल उपाय करके जिसमें बहुत धन भी खर्च नहीं होगा. खैर की लकड़ी लाकर के मंगलवार के दिन "ॐ अंगारकाय नमः" "ओम भौमाय नमः"इस मंत्र से उस लकड़ी के 108 टुकड़े करके घी मैं दोनों तरफ डुबोकर के हवन करने से उस उस व्यक्ति को मंगल की अशांति से निजात मिलेगी. अगर उस व्यक्ति को लगता है कि मंगल मेरा प्रबल है, विवाह नहीं हो रहा तो मंगल के चलते कुछ समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. भूमि विवाद हो रहा है तो व्यक्ति को खैर की लकड़ी पुष्य नक्षत्र में लाकर के और मंगलवार के दिन उसका पूजन करके पूजन करने के बाद उसको गुलाब का फूल इत्यादि अर्पित करके और संध्या के समय में भगवान शिव का स्मरण करते हुए दाएं हाथ में लाल कपड़े में बांधने पर उसको निश्चित रूप से लाभ मिलेगा. जितना मूंगा पहनने से चीजों के इस्तेमाल से लाभ मिलेगा उतना मात्र खैर की लकड़ी का प्रयोग करने से बहुत लाभ होगा.

अगर मंगल अशांत तो ऐसी आएंगी समस्याएं: मंगल की अशांति में अनेकों प्रकार का उत्पाद देखने को मिलता है जैसे मानसिक अशांति उत्पन्न होती है, शरीर में एक भ्रम की स्थिति बनी रहती है, पेट उदर इत्यादि में पीड़ा भी बना रहता है, मस्तिष्क ज्वर इत्यादि संभव है, विवाह आदि में रुकावट आती है, भूमि में समस्याएं उत्पन्न होती हैं, भवन बनाने में रुकावट होता है और वाहन इत्यादि में समस्या होती है विवाह के लिए तो मंगल दोष विचारणीय बताया ही गया है.

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