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स्वयंभू प्रकट हनुमान! जिनका एक पैर पाताल लोक तक, 40 फीट खुदाई के बाद नहीं मिला छोर

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 8:04 AM IST

Updated : Jan 4, 2024, 11:45 AM IST

Sagar Hanuman temple
पाताल लोक तक जाता है हनुमान जी का पैर

Sagar Swayambhu Hanuman: हनुमान जी की महिमा अपरंपार है. वैसे तो देश में बजरंग बली के कई मंदिर हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के सागर जिले में भगवान हनुमान का अनोखा और प्राचीन मंदिर मौजूद है. इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि यहां विराजे हनुमान का एक पैर पाताल लोक तक गया है. ऐसा कहा जाता है हनुमानजी की मूर्ति स्वयंभू प्रकट हुई थी. यह मूर्ति किसी ने स्थापित नहीं की थी. पढ़िए सागर से कपिल तिवारी की खास रिपोर्ट-

सागर में हनुमान जी का अनोखा मंदिर

सागर। बुंदेलखंड में कई प्राचीन और ऐतिहासिक धार्मिक स्थान मिलेंगे. जिनके साथ कई किवदंतियां और रोचक किस्से जुड़े हुए हैं. ऐसा ही एक हनुमान मंदिर सागर जिले के रहली में सोनार नदी के पास स्थित है. जहां विराजे हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि इनका एक पैर पाताल लोक तक गया है. इसलिए लोग पातालिया हनुमान के नाम से जानते हैं. खास बात ये है कि हनुमान जी की मूर्ति किसी ने स्थापित नहीं की थी, बल्कि ये मूर्ति जंगल के बीचोंबीच करीब ढाई सौ साल पहले मिली थी, जब लोग जंगल की जमीन को खेती योग्य बनाने की कोशिश कर रहे थे.

Sagar Hanuman temple
पाताल लोक तक जाता है हनुमान जी का पैर

मूर्ति के एक पैर का अंत ही नहीं: मूर्ति मिलने के बाद लोगों ने मूर्ति निकालने के लिए खुदाई शुरू की तो मूर्ति के एक पैर का अंत ही नहीं था. पहले मंदिर नदी पार करके जाना होता था. अब मंदिर के लिए पहुंच मार्ग बनाया गया है. पातालिया हनुमान के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं. पतलिया हनुमान के साथ मंदिर में बालाजी वेंकटेश्वर भी विराजे हैं.

Sagar Hanuman temple
ऐतिहासिक है पातालिया हनुमान मंदिर

स्वयं भू प्रकट हैं पातालिया हनुमान: हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर रहली जबलपुर मार्ग पर सोनार नदी के किनारे स्थित है. करीब ढाई सौ साल पहले यहां मंदिर नहीं घनघोर जंगल था. नदी किनारे लोग खेती की जमीन तैयार करने के लिए काम कर रहे थे. इसी दौरान जंगल के बीचों बीच लोगों को हनुमान जी की एक मूर्ति मिली. लोगों ने तय किया कि जंगल में लोग दर्शन करने नहीं आएंगे, इसलिए मूर्ति को बस्ती में ले जाकर स्थापित किया जाए. लोगों ने जब मूर्ति निकालने की कोशिश की, तो मूर्ति का एक पैर जमीन के अंदर था, ऐसे में खुदाई शुरू की गयी. करीब 35 फीट की खुदाई करने पर मिट्टी निकलती गयी, लेकिन पैर का छोर नहीं मिला. मिट्टी के बाद चट्टान मिलने पर भी पैर का छोर नहीं मिला. तब वहां रहने वाले संत ने बताया कि ये पाताली हनुमान हैं, यहां से टस के मस नहीं होंगे. तब वहीं मंदिर बनाया गया और हनुमान जी की पूजा अर्चना शुरू की गयी.

Sagar Hanuman temple
जंगल में बना है मंदिर

नदी पार कर जाना पड़ता था मंदिर: संत की प्रेरणा से करीब ढाई सौ साल पहले जंगल के बीचों बीच मंदिर तो बना दिया गया. लेकिन नदी की दूसरी तरफ मंदिर होने के कारण लोग दर्शन करने काम ही जा पाते थे. बारिश के समय तो मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करना नामुमकिन ही था. करीब 15 साल पहले मंदिर के पास से ही रहली जबलपुर मार्ग के निर्माण के लिए नदी पर पुल बनाए गए. तब जाकर मंदिर के लिए सुगम रास्ता निकल सका और लोगों का मंदिर जाना शुरू हुआ. मंदिर की ख्याति तो पहले से ही दूर-दूर तक फैली थी, लेकिन भक्तगण रास्ता ना होने के कारण मंदिर नहीं जा पाते थे. सुगम रास्ता बनने के बाद दूर-दूर से भक्त मंदिर आते हैं और पातालिया हनुमान के दर्शन करते हैं.

Sagar Hanuman temple
स्वयंभू प्रकट हुए थे हनुमान

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हनुमान के साथ विराजे व्यंकटेश्वर बाला जी: पातालिया हनुमान पहुंचने के लिए रास्ता सुगम बनने क के बाद यहां काफी संख्या में भक्तगण आने लगे हैं. धीरे-धीरे मंदिर परिसर में भी निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं और मंदिर में पतलिया हनुमान के साथ वेंकटेश्वर बालाजी की भी मूर्ति स्थापित की गई है. मंदिर की स्थापना में महामंडलेश्वर महंत रामचरण दास ने काफी मेहनत की. उन्हीं की प्रेरणा से मंदिर के आसपास के जंगल को साफ कराया और मंदिर निर्माण कराया. फिलहाल उनके शिष्य महंत पवन दास यहां की व्यवस्था देखते हैं. यहां हर मंगलवार शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ लगती है और विशेष त्यौहार पर भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.

Last Updated :Jan 4, 2024, 11:45 AM IST
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