ETV Bharat / state

सेंट्रल यूनिवर्सिटी की जमीन पर दुनिया की सबसे अनूठी कॉलोनी, स्पैरो बसाएंगी गौरैया लैंड कॉलोनी

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 7:40 PM IST

Updated : Jan 17, 2024, 10:08 PM IST

Sparrow birds colony: अब धीरे-धीरे गौरैया चिड़िया विलुप्त हो रही है. इसे बचाने के लिए सागर की डॉ. हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने अभिनव पहल की है. यहां गौरैया के लिए उनकी अपनी कॉलोनी तैयार की गई है.पढ़िए ये खास खबर.

Sparrow birds news
सागर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में गौरैया चिड़िया की अपनी कॉलोनी
गौरैया बचाने सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर की अभिनव पहल

सागर। घर के आंगन और छत पर चहचहाने वाली गौरैया चिड़िया अब कम देखने को मिलती है. बताया जा रहा है कि धीरे धीरे अब कम हो रही हैं. एक अध्ययन के मुताबिक प्रति वर्ष गौरैया की संख्या में 3 फीसदी तक की कमी देखने मिल रही है. ऐसे में एमपी की सेंट्रल यूनिवर्सटी के स्टूडेंट्स ने अभिनव पहल करते हुए गौरैया के घौसलों के लिए एक आवासीय कॉलोनी बनायी है,जिसमें गौरैया घोंसला बनाकर रहेंगी.

कहां तैयार हुई कॉलोनी

यूनिवर्सटी के पतंजलि भवन की रिटेनिंग वॅाल में लगे पाइप में बड़ी संख्या में गौरैया आती थीं. तब यूनिवर्सटी के प्रोफेसर के मार्गदर्शन में यूनिवर्सटी के फाइन आर्ट के बच्चों ने गौर-गौरैया कॉलोनी का निर्माण किया है. खास बात ये है कि इस कॉलोनी में बाकायदा चिड़ियों को आवास आवंटित किए गए हैं. यूनिवर्सिटी की कुलपति को चीफ वार्डन बनाया गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स गौरेया बचाने के लिए लगातार देखभाल करेंगे.

Gauraiya colony in sagar
विलुप्त होने की कगार पर गौरैया चिड़िया

कैसे आया कॉलोनी का विचार

सागर का डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय एक पहाड़ी पर प्राकृतिक सौंदर्य और हरे-भरे माहौल में बना हुआ है. यूनिवर्सिटी में एक पतंजलि भवन तैयार किया गया है जिसमें कला संगीत से जुडे विभाग संचालित होते हैं. पहाड़ी पर बनाई गई इस इमारत में एक विशाल रिटेनिंग वॅाल बनाने की जरूरत पड़ी. जब पंतजलि भवन में संचालित विभागों की नियमित क्लासेस लगना शुरू हुई तो वहां के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स ने देखा कि इमारत की रिटेनिंग वॅाल में लगाए गए पाइप में गौरेया ने घोसलें बनाए हैं.

सुबह और शाम के वक्त काफी संख्या में गौरैया इन पाइप में पहुंचती हैं. फिर क्या था यूनिवर्सटी के सांस्कृतिक परिषद के प्रमुख डॅा राकेश सोनी के मार्गदर्शन में फाइन आर्ट के बच्चों ने रिटेनिंग वॅाल को गौरैया कॅालोनी के रूप में विकसित करने का सोचा और करीब दो महीने की मेहनत के बाद शानदार गौरैया कॅालोनी बना दी.

कुलपति ने बढ़ाया स्टूडेंट्स का मनोबल

इस पहल को लेकर यूनिवर्सटी की कुलपति नीलिमा गुप्ता ने खुद पहुंचकर स्टूडेंट्स का मनोबल बढ़ाया. कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता का कहना है कि मानव जाति की जरूरतों को देखते हुए तेजी से हो रहे विकास और रिहायशी इलाकों के विस्तार के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और जैव विविधता भी प्रभावित हो रही है. प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कहा कि पक्षियों का मानव के अस्तित्व से गहरा और सीधा नाता है.

initiative to save sparrows
कॉलोनी में गौरैया के घोंसला का नामकरण

इसी मौसम में कॉलोनी क्यों

यूनिवर्सटी की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने स्टूडेंट्स को ये भी बताया कि जब प्रोफेसर ने हमारे सामने गौर गौरैया कॅालोनी का प्रस्ताव रखा, तो मुझे ये नवाचार खूब भाया. दरअसल जनवरी का महीना वो महीना होता है, जब गौरैया अपने प्रजनन काल के लिए घोंसलों का निर्माण करती हैं. दरअसल गौरैया का प्रजनन काल फरवरी से जून तक होता है और इसके पहले वो अपने घोंसले तैयार करती हैं. इन चार महीनों के भीतर करीब तीन से चार बार गौरैया बच्चों को जन्म देती है.

गौरैयों को नाम के साथ आवास आवंटित

यूनिवर्सिटी के पतंजलि भवन की रिटेनिंग वॉल पर बनायी गई गौर गौरया आवासीय कॅालोनी की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए स्टूडेंट्स ने जहां गौरैया के नाम रखे हैं, तो उन नामों के लिए बाकायदा आवास के रूप में घोंसले भी आवंटित किए गए हैं. गौर गौरैया कॉलोनी में फिलहाल 18 आवास आवंटित किए गए हैं.

Central University Sagar take  unique initiative
गौरैया चिड़िया की अपनी कॉलोनी,दीवाल पर मनमोहक पेंटिग

ये भी पढ़ें:

कुलपति को बनाया चीफ वार्डन

स्टूडेंट्स के साथ-साथ प्रोफेसर्स की भागीदारी के लिए जहां यूनिवर्सटी की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के लिए गौर गौरैया कॅालोनी का चीफ वार्डन बनाया गया है, तो डॉ. राकेश सोनी, डॉ. आशुतोष, डॉ. अरुण, डॉ. नितिन और डॉ. बृजेश सहित पांच वार्डन भी हैं. जिनके ऊपर गौरैया की देखभाल की जिम्मेदारी रहेगी.

गौरैया बचाने सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर की अभिनव पहल

सागर। घर के आंगन और छत पर चहचहाने वाली गौरैया चिड़िया अब कम देखने को मिलती है. बताया जा रहा है कि धीरे धीरे अब कम हो रही हैं. एक अध्ययन के मुताबिक प्रति वर्ष गौरैया की संख्या में 3 फीसदी तक की कमी देखने मिल रही है. ऐसे में एमपी की सेंट्रल यूनिवर्सटी के स्टूडेंट्स ने अभिनव पहल करते हुए गौरैया के घौसलों के लिए एक आवासीय कॉलोनी बनायी है,जिसमें गौरैया घोंसला बनाकर रहेंगी.

कहां तैयार हुई कॉलोनी

यूनिवर्सटी के पतंजलि भवन की रिटेनिंग वॅाल में लगे पाइप में बड़ी संख्या में गौरैया आती थीं. तब यूनिवर्सटी के प्रोफेसर के मार्गदर्शन में यूनिवर्सटी के फाइन आर्ट के बच्चों ने गौर-गौरैया कॉलोनी का निर्माण किया है. खास बात ये है कि इस कॉलोनी में बाकायदा चिड़ियों को आवास आवंटित किए गए हैं. यूनिवर्सिटी की कुलपति को चीफ वार्डन बनाया गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स गौरेया बचाने के लिए लगातार देखभाल करेंगे.

Gauraiya colony in sagar
विलुप्त होने की कगार पर गौरैया चिड़िया

कैसे आया कॉलोनी का विचार

सागर का डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय एक पहाड़ी पर प्राकृतिक सौंदर्य और हरे-भरे माहौल में बना हुआ है. यूनिवर्सिटी में एक पतंजलि भवन तैयार किया गया है जिसमें कला संगीत से जुडे विभाग संचालित होते हैं. पहाड़ी पर बनाई गई इस इमारत में एक विशाल रिटेनिंग वॅाल बनाने की जरूरत पड़ी. जब पंतजलि भवन में संचालित विभागों की नियमित क्लासेस लगना शुरू हुई तो वहां के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स ने देखा कि इमारत की रिटेनिंग वॅाल में लगाए गए पाइप में गौरेया ने घोसलें बनाए हैं.

सुबह और शाम के वक्त काफी संख्या में गौरैया इन पाइप में पहुंचती हैं. फिर क्या था यूनिवर्सटी के सांस्कृतिक परिषद के प्रमुख डॅा राकेश सोनी के मार्गदर्शन में फाइन आर्ट के बच्चों ने रिटेनिंग वॅाल को गौरैया कॅालोनी के रूप में विकसित करने का सोचा और करीब दो महीने की मेहनत के बाद शानदार गौरैया कॅालोनी बना दी.

कुलपति ने बढ़ाया स्टूडेंट्स का मनोबल

इस पहल को लेकर यूनिवर्सटी की कुलपति नीलिमा गुप्ता ने खुद पहुंचकर स्टूडेंट्स का मनोबल बढ़ाया. कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता का कहना है कि मानव जाति की जरूरतों को देखते हुए तेजी से हो रहे विकास और रिहायशी इलाकों के विस्तार के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और जैव विविधता भी प्रभावित हो रही है. प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कहा कि पक्षियों का मानव के अस्तित्व से गहरा और सीधा नाता है.

initiative to save sparrows
कॉलोनी में गौरैया के घोंसला का नामकरण

इसी मौसम में कॉलोनी क्यों

यूनिवर्सटी की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने स्टूडेंट्स को ये भी बताया कि जब प्रोफेसर ने हमारे सामने गौर गौरैया कॅालोनी का प्रस्ताव रखा, तो मुझे ये नवाचार खूब भाया. दरअसल जनवरी का महीना वो महीना होता है, जब गौरैया अपने प्रजनन काल के लिए घोंसलों का निर्माण करती हैं. दरअसल गौरैया का प्रजनन काल फरवरी से जून तक होता है और इसके पहले वो अपने घोंसले तैयार करती हैं. इन चार महीनों के भीतर करीब तीन से चार बार गौरैया बच्चों को जन्म देती है.

गौरैयों को नाम के साथ आवास आवंटित

यूनिवर्सिटी के पतंजलि भवन की रिटेनिंग वॉल पर बनायी गई गौर गौरया आवासीय कॅालोनी की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए स्टूडेंट्स ने जहां गौरैया के नाम रखे हैं, तो उन नामों के लिए बाकायदा आवास के रूप में घोंसले भी आवंटित किए गए हैं. गौर गौरैया कॉलोनी में फिलहाल 18 आवास आवंटित किए गए हैं.

Central University Sagar take  unique initiative
गौरैया चिड़िया की अपनी कॉलोनी,दीवाल पर मनमोहक पेंटिग

ये भी पढ़ें:

कुलपति को बनाया चीफ वार्डन

स्टूडेंट्स के साथ-साथ प्रोफेसर्स की भागीदारी के लिए जहां यूनिवर्सटी की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के लिए गौर गौरैया कॅालोनी का चीफ वार्डन बनाया गया है, तो डॉ. राकेश सोनी, डॉ. आशुतोष, डॉ. अरुण, डॉ. नितिन और डॉ. बृजेश सहित पांच वार्डन भी हैं. जिनके ऊपर गौरैया की देखभाल की जिम्मेदारी रहेगी.

Last Updated : Jan 17, 2024, 10:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.