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Mayor Election Sagar MP : जातीय समीकरणों में फंसा सागर का महापौर चुनाव, ये है BJP व Congress की रणनीति

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Published : Jun 29, 2022, 4:01 PM IST

Strategy of BJP and Congress in Sagar M
जातीय समीकरणों में फंसा सागर का महापौर चुनाव

सागर नगर निगम के महापौर का चुनाव सत्ताधारी दल बीजेपी के लिए चुनौती बन गया है. ऐसी स्थिति में भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के जरिए दलित कार्ड खेलकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश की है. दरअसल, सागर शहर में ब्राह्मणों और जैन मतदाताओं के अलावा सबसे अधिक संख्या में अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. (Sagar mayor election in caste equations) (Strategy of BJP and Congress in Sagar MP)

सागर। सागर महापौर चुनाव के लिए कांग्रेस जैन उम्मीदवार और बीजेपी से ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने हैं. ऐसी स्थिति में अगर अनुसूचित जाति का मतदाता किसी एक दल को वोट करता है तो उसकी जीत सुनिश्चित होगी. इन समीकरणों को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने सागर दौरे में जहां अनुसूचित जाति के मुखियाओं का सम्मेलन किया तो दलित के घर जाकर भोजन किया. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के दलित कार्ड खेलने के बाद कांग्रेस का मानना है कि भाजपा का ये प्रयास सफल नहीं होगा, क्योंकि भाजपा को सिर्फ चुनाव के वक्त पर दलितों की याद आती है.

Strategy of BJP and Congress in Sagar M
जातीय समीकरणों में फंसा सागर का महापौर चुनाव
दलित वोट साधकर महापौर चुनाव जीतने की कवायद : सागर शहर या सागर विधानसभा की बात करें तो यहां की सियासत में जैन और ब्राह्मण समुदाय का दबदबा रहा है. मौजूदा स्थिति में सागर विधायक जैन समुदाय से हैं और 1993 से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लगातार जैन समाज से ही विधायक चुने जा रहे हैं. इस महापौर चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को घेरने के लिए पहले ही जैन प्रत्याशी मैदान में उतार दिया था. ये एक तरह से बीजेपी के लिए झटका था, क्योंकि कांग्रेस ने जो प्रत्याशी मैदान में उतारा है,वह बीजेपी विधायक की बहू है. कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी तय करने में बाजी मार जाने के बाद बीजेपी पर दबाव था कि ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारे और बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी को ही मैदान में उतार दिया, लेकिन जैन और ब्राह्मण की लड़ाई में बीजेपी के लिए कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाना जरूरी हो गया है. ऐसी स्थिति में बीजेपी की नजर कांग्रेस के दलित वोट बैंक पर है, जो एक तरह से परंपरागत माना जाता है. खास बात ये है कि सागर में सबसे ज्यादा मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के ही हैं.
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जातीय समीकरणों में फंसा सागर का महापौर चुनाव
सागर में ये जातीय समीकरण : एक अनुमान के मुताबिक सागर शहर में करीब 30 हजार ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है. वहीं दूसरी तरफ करीब 22 हजार जैन मतदाताओं की संख्या है. सागर शहर का विधानसभा और महापौर चुनाव में हमेशा रुझान रहा है कि जैन मतदाताओं ने एकजुट होकर वोट किया है और ब्राह्मण मतदाता बिखरा हुआ रहा है. भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. ऐसी स्थिति में बीजेपी का प्रयास है कि सागर में अगर दलित मतदाता बीजेपी को वोट कर देता है तो जीत सुनिश्चित है. क्योंकि सागर शहर में सबसे अधिक संख्या अनुसूचित जाति के मतदाताओं की करीब 40 हजार है. सत्ताधारी दल बीजेपी दलित मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.
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जातीय समीकरणों में फंसा सागर का महापौर चुनाव
दलितों को रिझाने सीएम शिवराज मैदान में : जातीय समीकरणों के आधार पर भाजपा की कोशिश है कि सागर महापौर चुनाव में ब्राह्मण और अनुसूचित जाति की वोट मिल जाए तो जीत सुनिश्चित है. इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खुद मैदान में उतरे और सोमवार को उन्होंने सागर में एक विशाल रोड शो करने के बाद अनुसूचित जाति के मुखिया समाज का सम्मेलन किया. इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक दलित के घर पहुंचकर रात्रि भोज भी किया. भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग की कोशिश से साफ है कि भाजपा मानकर चल रही है कि अगर उसे जैन मतदाताओं का वोट नहीं मिलता है और ब्राह्मण और दलित वोट मिलता है,तो वो चुनाव जीत सकती है। MP Mayor Election 2022: कमलनाथ ने चली ऐसी चाल कि BJP हो गई बेहाल! जानिए सागर महापौर सीट से जीतने के लिए क्यों लगाना होगा भाजपा को एड़ी चोटी का जोर
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जातीय समीकरणों में फंसा सागर का महापौर चुनाव
कांग्रेस की वोट बैंक बचाने की कोशिश : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के जरिए भाजपा की दलितों को रिझाने की कोशिश देखते हुए कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है. कांग्रेस ने स्थानीय दलित नेताओं को मैदान में उतारा है. जिनके ऊपर दलित वोट बैंक को बचाए रखने की जिम्मेदारी है. कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, पूर्व सांसद और मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवाार,पूर्व सांसद नंंदलाल चौधरी और कई स्थानीय नेताओं को मैदान में उतारा है, जो लगातार अनुसूचित जाति के मतदाताओं से संवाद और संपर्क बना रहे हैं. बीजेपी की सोशल इंजीनियर को लेकर मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि बीजेपी और उनके मुख्यमंत्री अपनी आदत के अनुसार हर बार कभी संतो, कभी महापुरुषों, कभी समाज, कभी धर्म, कभी जाति के नाम पर वोट हासिल करने के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति करते आए हैं. (Sagar mayor election in caste equations) (Strategy of BJP and Congress in Sagar MP)
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