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जर्नलिस्ट अर्णब गोस्वामी के समर्थन में अधिवक्ता संघ, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग

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Published : Nov 7, 2020, 1:40 PM IST

Advocates Association in support of Arnab Goswami
अर्णब गोस्वामी के समर्थन में अधिवक्ता संघ

रीवा अधिवक्ता संघ ने शनिवार को संभागीय कमिश्नर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन के जरिए संघ ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने सहित रिपब्लिक भारत के चीफ एडीटर अर्णब गोस्वामी की रिहा करने की मांग की है. अधिवक्ता संघ ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया है.

रीवा। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर रीवा में अधिवक्ता संघ ने नाराजगी जाहिर की है. नाराजगी जाहिर करते हुए शनिवार को अधिवक्ता संघ ने संभागीय कमिश्नर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया है. इसके अलावा संघ के सदस्यों ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने सहित अर्णब गोस्वामी की जल्द से जल्द रिहाई की मांग की है.

अर्णब गोस्वामी के समर्थन में अधिवक्ता संघ

महाराष्ट्र सरकार ने मीडिया की स्वतंत्रता को रौंदने का किया काम

अधिवक्ता संघ के सदस्यों का कहना है कि देश के चौथे स्तंभ के प्रतिनिधि रिपब्लिक भारत न्यूज चैनल के चीफ एडिटर अर्णब गोस्वामी को उनके घर से असंवैधानिक तरीके से गिरफ्तार किया गया है. मीडिया की स्वतंत्रता को रौंदना महाराष्ट्र सरकार का हिटलर तानाशाही रवैया है, जो अभिव्यक्ति की आजादी एवं लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है. महाराष्ट्र सरकार के इस रवैये को कोई भी देशभक्त सहन नहीं कर सकता है.

निर्भीक जर्नलिस्ट की सच्चाई को दबाने की कोशिश

सदस्यों ने कहा कि जर्नलिस्ट की गिरफ्तारी असंवैधानिक है. उनके साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया जा रहा है. उनके साथ मारपीट की गई है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है. अर्णब गोस्वामी का कसूर यह है कि उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ सच्चाई को उजागर किया. पालघर में की गई साधु की निर्मम हत्या का मामला और सुशांत सिंह केस की सच्चाई को उजागर किया. महाराष्ट्र सरकार का चेहरा उजागर किया. एक निर्भीक जर्नलिस्ट की सच्चाई को दबाने की महाराष्ट्र में कोशिश की जा रही है, जिसे देश बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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क्या है पूरा मामला-

4 नवंबर की सुबह रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्हें देर रात एक अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायीक हिरासत में भेज दिया है.

मृतक डिजाइनर की पत्नी ने आरोप लगाए हैं कि उनके पति ने सुसाइड नोट छोड़ा था, उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उस सुसाइड नोट में फिरोज शेख, अर्णब गोस्वामी के स्पष्ट नाम थे.' उन्होंने कहा कि अर्णब पर 83 लाख रुपए बकाया हैं, जिनका भुगतान नहीं किया गया है.

सीएम शिवराज ने बताया 'लोकतंत्र की हत्या'

जर्नलिस्ट अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर सीएम शिवराज और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट करते हुए आपत्ति जताई है. सीएम शिवराज ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र सरकार ने देश के प्रतिष्ठित पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ बर्बर कार्रवाई कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का पाप किया है. लोकतंत्र को कुचलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रौंदने के कांग्रेस और महाराष्ट्र सरकार के इस कदम की मैं कड़ी निंदा करता हूं.

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जर्नलिस्ट की गिरफ्तारी, सत्ता का दुरुपयोग

नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि महाराष्ट्र में हो रहा पत्रकारिता पर हमला, लोकतंत्र की हत्या है. जर्नलिस्ट अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी, सत्ता का दुरूपयोग है. मैं इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. इसके आगे उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन वाली सरकार का असली चेहरा अब सामने आने लगा है. आज महाराष्ट्र में आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं, प्रेस अपने विचार नहीं रख सकती.

चौथे स्तंभ पर कड़ा प्रहार

मध्य प्रदेश बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस मामले को चौथे स्तंभ पर कड़ा प्रहार बताया है. उन्होंने कहा कि अर्णब गोस्वामी के साथ महाराष्ट्र पुलिस ने दुर्व्यवहार किया है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर यह कड़ा प्रहार है. महाराष्ट्र पुलिस ने आवाज रोकने का प्रयास किया है और यह कांग्रेस के इशारे पर किया गया है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह निंदनीय है. कांग्रेस का ये मूल चरित्र है. लोकतंत्र की हत्या आज नहीं इतिहास रहा है. 1975 में इमरजेंसी के समय लिखने वाले और आवाज उठाने वालों को भी जेल में डाल दिया और कांग्रेस का ये इतिहास रहा है.

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शिवपुरी में फूंका गया महाराष्ट्र सरकार का पुतला

महाराष्ट्र में हुए पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर शिवपुरी के मानव चौक पर पत्रकार के समर्थकों ने महाराष्ट्र सरकार का पुतला फूंका. साथ ही जमकर नारेबाजी भी की. पत्रकार समर्थकों का कहना है कि अर्णब गोस्वामी के साथ जो हो रहा है, वह निंदनीय है. महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना के साथ कार्रवाई कर रही है. उनका मानना है कि यह मीडिया के चौथे स्तंभ पर हमला है. इसे भारत बर्दाश्त नहीं करेगा. अर्णब गोस्वामी को जल्द से जल्द रिहा नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन भी होंगे.

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