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MP High Court ऑटो रिक्शा पर कार्रवाई नहीं होने से सरकार पर हाईकोर्ट सख्त, एक सप्ताह का समय दिया

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Published : Nov 17, 2022, 6:06 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 6:28 PM IST

ऑटो रिक्शा चालकों (Auto rickshaw in MP) द्वारा सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने तथा यातायात नियमों का पालन नहीं करने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को सुनवाई के दौरान बताया गया कि पेश की गयी अंडरटेकिंग का पालन सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है. इसे गंभीरता से लेते हुए (MP High court strict on government) युगलपीठ ने अंडरटेकिंग का पालन तय करने के लिए एक सप्ताह का समय प्रदान किया है. बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को जमकर फटकार लगाई थी.

MP High court strict on state government
ऑटो रिक्शा पर कार्रवाई नहीं होने से सरकार पर हाईकोर्ट सख्त

जबलपुर। सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच तथा अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं में कहा गया है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है. सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सड़क में कभी भी वाहन रोक देते हैं. शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है.

पहले सुनवाई में ये हवाला दिया था : पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था इंदौर में 10 हजार, भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ये भी बताया गया कि ऑटो संचालन के प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा, जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन से लिंक होगा. इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवाहन प्राधिकारियों तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किये गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमीट जारी नहीं किया जाएगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी होनी चाहिए.

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को कोर्ट ने लगाई थी फटकार : पूर्व में याचिका की सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को न्यायालय ने जमकर फटकार लगाते हुए तल्ख शब्दों में कहा था कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्रवाई नहीं कर सकता तो न्यायालय किसी दूसरी एजेंसी को नियुक्त कर दे. अधिकारी न्यायालय के आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसलिए उक्त याचिका साल 2013 से लंबित है. युगलपीठ ने चेतवानी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सरकार तरफ से कहा गया था कि संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 प्रदेश में 45 दिनों के अंदर लागू करने का आश्वासन भी दिया गया था. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि पूरे प्रदेश में ऑटो को मॉडिफाई कर निर्धारित क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया जाता है.

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ऑटो में 15 से 20 सवारियां बैठाते हैं : ऑटो में तीन सवारियों के स्थान पर 15 से 20 व्यक्तियों को बैठाया जाता है. खुलेआम मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन किया जाता है. सरकार ने 30 सितंबर 2019 के बाद बिना परमिट चल रहे ऑटो को जब्त करने तथा ड्रायवर को गिरफ्तार करने और संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने के संबंध में अंडरटेकिंग दी थी, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. राजनैतिक दबाव के कारण यातायात के सुधार के लिए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 प्रदेश सरकार द्वारा लागू नहीं कर रही है. संशोधित नियम में भारी जुर्माने का प्रावधान है. इससे पूरे प्रदेश के ट्रैफिक में सुधार आ सकता है. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पेश की गयी रिपोर्ट को कागजी बताते हुए सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की गई. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अधिवक्ता सतीश वर्मा ने पैरवी की.

एक चश्मदीद की गवाही पर सजा संभव : जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस पीसी गुप्ता की युगलपीठ ने अपने अहम फैसले में कहा है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 134 के तहत एक चश्मदीद की गवाही सजा का आधार बन सकती है. चश्मदीद शुद्ध गुणवत्ता का होना चाहिए. युगलपीठ ने हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा को खारिज करते हुए उक्त आदेश जारी किया. याचिकाकर्ता मनीष वर्मा की तरफ से दायर क्रिमिनल अपील में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय द्वारा 7 दिसम्बर 2011 को हत्या के आरोपी में आजीवन कारावास से दण्डित किये जाने को चुनौती दी गयी थी. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ अतिरिक्त जिला न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए आरोपी को बरी कर दिया.

Last Updated :Nov 17, 2022, 6:28 PM IST
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