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Lunar Eclipse 2023: चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें, किन बातों से बनाएं दूरी, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरआनंद सरस्वती जी से जानें

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 28, 2023, 6:33 PM IST

Updated : Oct 28, 2023, 7:25 PM IST

आज शरद पूर्णिमा है और शरद पूर्णिमा की रात में ऐसा माना जाता है कि अमृत की वर्षा होती है, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की ही रात 1:05 से 2:24 तक चंद्र ग्रहण रहेगा. इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात में पूजन करने वाले लोगों में हताशा है. चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है और इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता . यह साल का अंतिम चंद्र ग्रहण है.

Lunar Eclipse 2023
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरआनंद सरस्वती
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरआनंद सरस्वती

जबलपुर। आज शरद पूर्णिमा है और शरद पूर्णिमा की रात में ऐसा माना जाता है कि अमृत की वर्षा होती है, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की ही रात 1:05 से 2:24 तक चंद्र ग्रहण रहेगा. इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात में पूजन करने वाले लोगों में हताशा है. चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है और इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता . यह साल का अंतिम चंद्र ग्रहण है.

क्या कहा शंकराचार्य ने?: अब इस मामले में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरआनंद सरस्वती ने चंद्र ग्रहण के बारे में ईटीवी भारत से चर्चा की. उन्होंने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, '1:05 से रात्रि 2:24 तक चंद्र ग्रहण रहेगा और सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पहले सूतक लगता है और चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लगता है. सूतक के दौरान सभी मंदिरों के पट बंद रहते हैं. इस दौरान पूजा पाठ नहीं किया जाता और सामान्य आदमी को इस दौरान 9 घंटे तक भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. हालांकि, शंकराचार्य जी का कहना है कि बुजुर्ग बीमार और बच्चों को भूखे नहीं रहना चाहिए लेकिन सामान्य लोगों को इस दौरान खाना नहीं खाना चाहिए यह खाना दूषित माना जाता है.

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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने बताया कि ग्रहण के दौरान 1:05 से 2:30 बजे तक यदि लोग ग्रहण की समय पूजन अर्चन करना चाहते हैं तो वह अपने गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं और जैसे ही चंद्र ग्रहण खत्म हो स्नान करके लोग भोजन भी कर सकते हैं.

चंद्र ग्रहण का असर पृथ्वी पर पड़ता है: हालांकि, भौगोलिक नजरिए से देखें तो चंद्र ग्रहण एक सामान्य घटना है. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है. इस वजह से चंद्रमा दिखने बंद हो जाता है. जैसे ही यह चक्र पूरा होता है, चंद्रमा दिखने लगता है. इसके भी कुछ प्रभाव पृथ्वी पर पड़ते हैं, क्योंकि चंद्रमा के चुंबकीय असर ज्वार और भाटे के जरिए देखे जा सकते हैं. इसी तरीके से चंद्रमा पृथ्वी पर अपनी चुंबकीय असर छोड़ता है. चंद्र ग्रहण में अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग आसार होते हैं. सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि जब चंद्र ग्रहण चल रहा हो तो लोगों को बाहर नहीं निकलना चाहिए. यह चंद्र ग्रहण देर रात को हो रहा है तो वैसे ही इस दौरान लोग नहीं निकलते भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं दिखेगा, बल्कि इसका आंशिक असर देखने को मिलेगा.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरआनंद सरस्वती

जबलपुर। आज शरद पूर्णिमा है और शरद पूर्णिमा की रात में ऐसा माना जाता है कि अमृत की वर्षा होती है, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की ही रात 1:05 से 2:24 तक चंद्र ग्रहण रहेगा. इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात में पूजन करने वाले लोगों में हताशा है. चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है और इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता . यह साल का अंतिम चंद्र ग्रहण है.

क्या कहा शंकराचार्य ने?: अब इस मामले में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरआनंद सरस्वती ने चंद्र ग्रहण के बारे में ईटीवी भारत से चर्चा की. उन्होंने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, '1:05 से रात्रि 2:24 तक चंद्र ग्रहण रहेगा और सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पहले सूतक लगता है और चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लगता है. सूतक के दौरान सभी मंदिरों के पट बंद रहते हैं. इस दौरान पूजा पाठ नहीं किया जाता और सामान्य आदमी को इस दौरान 9 घंटे तक भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. हालांकि, शंकराचार्य जी का कहना है कि बुजुर्ग बीमार और बच्चों को भूखे नहीं रहना चाहिए लेकिन सामान्य लोगों को इस दौरान खाना नहीं खाना चाहिए यह खाना दूषित माना जाता है.

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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने बताया कि ग्रहण के दौरान 1:05 से 2:30 बजे तक यदि लोग ग्रहण की समय पूजन अर्चन करना चाहते हैं तो वह अपने गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं और जैसे ही चंद्र ग्रहण खत्म हो स्नान करके लोग भोजन भी कर सकते हैं.

चंद्र ग्रहण का असर पृथ्वी पर पड़ता है: हालांकि, भौगोलिक नजरिए से देखें तो चंद्र ग्रहण एक सामान्य घटना है. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है. इस वजह से चंद्रमा दिखने बंद हो जाता है. जैसे ही यह चक्र पूरा होता है, चंद्रमा दिखने लगता है. इसके भी कुछ प्रभाव पृथ्वी पर पड़ते हैं, क्योंकि चंद्रमा के चुंबकीय असर ज्वार और भाटे के जरिए देखे जा सकते हैं. इसी तरीके से चंद्रमा पृथ्वी पर अपनी चुंबकीय असर छोड़ता है. चंद्र ग्रहण में अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग आसार होते हैं. सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि जब चंद्र ग्रहण चल रहा हो तो लोगों को बाहर नहीं निकलना चाहिए. यह चंद्र ग्रहण देर रात को हो रहा है तो वैसे ही इस दौरान लोग नहीं निकलते भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं दिखेगा, बल्कि इसका आंशिक असर देखने को मिलेगा.

Last Updated : Oct 28, 2023, 7:25 PM IST

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