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Jabalpur High Court News: बार एसोसिएशन पर मंडराया खतरा, करोड़ों की बिजली बिल बकाया

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Published : Feb 22, 2023, 9:13 PM IST

Jabalpur High Court News
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई

जबलपुर हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के ऑफिस का बिजली बिल एक करोड़ से ज्यादा हो गई. हाईकोर्ट में बिजली बिल को जमा करने के लिए एक याचिका पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में दो बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट के न्याय सिद्धांत के विपरीत याचिका में एडवोकेट बार को खत्म करने की अपील की गई.

जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन की बिजली बिल एक करोड़ से अधिक हो गया है. हाईकोर्ट में दो बार एसोसिएशन चलाया जा रहा है. जिसको लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 2 मामलों में चुनौती दी गई है. इस मामले में याचिका एडवोकेट अमित पटेल की ओर से लगाई गई है. जिसकी पैरवी याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा ने की. शहर के कई नामी गिरामी वकील इस बार एसोसिएशन के सदस्य हैं. लेकिन इसके बाद भी बिजली बिल जमा ना करना कहां तक सही है. अब इस मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है तो हो सकता है की बिजली बिल की अदायगी बार एसोसिएशन के सदस्यों से करवाई जाएगी.

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एक करोड़ से अधिक बिजली बिल: हाई कोर्ट की इमारत में एक हॉल में हाई कोर्ट एडवोकेट बार का ऑफिस चलाया जा रहा है. इस ऑफिस ने बीते 15 सालों से बिजली बिल जमा नहीं किया है. 2015 में जब बिजली बिल का आकलन किया गया था तो यह राशि 50 लाख रुपया थी. अब 2023 में यह राशि बढ़कर 1 करोड़ से ज्यादा हो गई है. हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार के इस हॉल में कई बड़े एसी लगे हुए हैं जो दिन भर चलते हैं. इसी वजह से यहां का बिजली बिल इतना अधिक आता है. लेकिन हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार बिजली बिल जमा नहीं कर रहा है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुजारिश की है कि इस बिल को जमा करवाया जाएं. क्योंकि बिजली जनता के पैसे से खरीदी जाती है और जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

बिजली विभाग लाचार: हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार के लिए हाईकोर्ट के भीतर ही एक हॉल खोल दिया गया था. इसका कोई भी खर्चा हाईकोर्ट की ओर से नहीं किया जाना था. इसमें जो भी खर्च होता वह बार एसोसिएशन के सदस्यों को करना था. लेकिन इन लोगों ने बिजली बिल तक जमा नहीं किया. हालांकि इसमें कई बड़े वकील शामिल हैं. बिजली विभाग वकीलों के डर से यहां कार्यवाही करने नहीं आ रहा है जबकि 50 से 100 रुपये की बकाया बिलों पर शहर भर में कई गरीबों के कनेक्शन काटे जाने का अभियान चल रहा है.

दूसरी आपत्ति: याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि हाईकोर्ट में दो बार एसोसिएशन चलाए जा रहे हैं. जो सुप्रीम कोर्ट के न्याय सिद्धांत के विपरीत गलत है. एक ही हाईकोर्ट में दो बार नहीं बनाए जा सकते. इसलिए दूसरे बार एसोसिएशन की मान्यता रद्द की जाए. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवी मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई कर बार एसोसिएशन से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस बार में कई नामी-गिरामी अधिवक्ता शामिल हैं जो मामले को पेंडिंग रखना चाहते हैं, जबकि जबलपुर हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन के लिए एक अलग से इमारत दी गई थी लेकिन कुछ वकील उस बार एसोसिएशन के अलावा अपना अलग एसोसिएशन बनाए रखना चाहते हैं.

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