जबलपुर/इंदौर। रानी दुर्गावती छात्र परिषद की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि साल 2021 में एसोसिएट प्रोफेसर व अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किये गए थे. ये भर्ती एसटी, एससी तथा ओबीसी वर्ग के लिए थी. विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञापन में महिला वर्ग को मिलने वाले 30 प्रतिशत तथा विकलांग वर्ग को मिलने वाला 6 प्रतिशत आरक्षण का उल्लेख नहीं किया गया. याचिका में कहा गया था कि विश्वविद्यालय ने चयन प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. चयनित अभ्यार्थियों के साक्षात्कार की प्रकिया जारी है. नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया अवैधानिक है. याचिका में उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, रादुविवि के कुलपति,रजिस्ट्रार व सहायक रजिस्टार को अनावेदक बनाया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिव्यकीर्ति बोहरे ने पैरवी की.
बैंक मैनेजर सहित दो लोगों को सजा : इंदौर लोकायुक्त द्वारा रिश्वत के मामले में बैंक शाखा प्रबंधक को पकड़ा गया था. ये मामला कोर्ट के समक्ष विचारणीय था. कोर्ट ने लोकायुक्त द्वारा पेश किए गए सबूत और साक्ष्य के आधार पर शाखा प्रबंधक सहित एक अन्य को सजा से दंडित किया है. जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि विशेष न्यायाधीश राकेश गोयल इंदौर द्वारा निर्णय पारित करते हुये भरत गोयल शाखा प्रबंधक को 4-4 वर्ष का कठोर कारावास एवं 2-2 हजार का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया. अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता द्वारा की गई.
15 हजार रिश्वत मांगी थी : बता दें कि फरियादी देवदास मकवाना ने 05 अक्टूबर 2016 को लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में आवेदन पत्र पेश किया था. इसमें कहा था कि नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक शाखा सुदामा नगर इंदौर से ऑटो रिक्शा खरीदने हेतु दो लाख रुपये का लोन स्वीकृत हुआ था. उक्त लोन में 40 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई थी. भरत गोयल ने आवेदक को लोन राशि का चेक देने एवं सब्सिडी राशि को लोन खाते में जमा करने के एवज में 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की. भरत गोयल ने रिश्वत राशि कम करने का निवेदन किया तो उसने पांच हजार रुपये कम करते हुये 15 हजार रुपये रिश्वत तय की. इसके बाद लोकायुक्त ने रेड डालकर दोनों को गिरफ्तार किया था.
लोको पायलट की याचिका खारिज : जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस राजेन्द्र कुमार वर्मा ने अहम फैसले में कहा है कि विभागीय जांच व आपराधिक कार्रवाई अलग-अलग पहलू हैं. कर्तव्यों के उल्लंघन तथा अनुशासन बनाये रखने के लिए विभागीय जांच की कार्रवाई होती है. कानून का उल्लंघन करने पर आपराधिक कार्रवाई होती है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ न्यायालय में लंबित आपराधिक प्रकरण खारिज किए जाने की मांग से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया. कटनी निवासी प्रदीप कुमार यादव की तरफ से दायर की याचिका में कहा गया था कि वह रेलवे विभाग में लोको पायलट है. उसके खिलाफ विभागीय जांच की गयी थी और दोषी पाते हुए दण्डित भी किया गया था. इसके अलावा उसके खिलाफ चोरी की एफआईआर भी दर्ज करवाई गयी थी.