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गेहूं को बर्बादी से ऐसे बचाएं, कृषि वैज्ञानिक ने बताया गेहूं खराब होने के कारण और निवारण

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 20, 2024, 5:26 PM IST

Updated : Jan 20, 2024, 6:09 PM IST

How to save wheat crop : गेहूं की फसल पर इस बार एक अजब गजब रोग फैल रहा है. इसने किसानों को परेशान कर दिया है और कई किसान तो समझ भी नहीं पा रहे हैं कि आखिर इस बार गेहूं की फसल पर ऐसा क्यों हो रहा है.

How to save wheat crop
गेहूं को बर्बादी से ऐसे बचाएं
गेहूं को बर्बादी से ऐसे बचाएं

शहडोल. धान की खेती के बाद अब ये समय गेहूं की खेती का चल रहा है, किसानों के खेतों पर इस समय हरे भरे गेहूं की फसल देखने को मिल सकती है. लेकिन गेहूं की फसल पर इस बार एक अजीब रोग भी फैल रहा है, जिसने किसानों को परेशान भी कर दिया है. ज्यादातर किसान तो समझ भी नहीं पा रहे हैं कि आखिर गेहूं की फसल के साथ आखिर ऐसा हो क्यों हो रहा है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बी के प्रजापति ने बताया कि गेहूं की फसल में ये कौन से रोग लग रहे हैं, इसका आसानी निदान कैसे करें और किसान कैसे इस नुकसान से बच सकते हैं.

क्या गेहूं में दिख रहे ऐसे लक्षण?

इन दिनों ज्यादातर गेहूं की खेती करने वाले किसान हैरान और परेशान हैं, क्योंकि उनके गेहूं की फसल तो अच्छी आई, फसल जमने के बाद पूरी तरह से हरी थी, लेकिन अचानक ही गेहूं में पीलापन आ गया. गेहूं की फसल की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और किसान समझ नहीं पा रहा है कि आखिर ये हो क्या रहा है. पत्तियां पीली क्यों पड़ रही हैं? क्या इसमें नाइट्रोजन की कमी पड़ रही है? या फिर कोई रोग लग रहा है? ऐसे कई तरह से सवाल किसानों के मन में हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बी के प्रजापति बताते हैं कि अगर गेहूं की फसल में पीलापन आ रहा है, गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं, तो उसके कई कारण हो सकते हैं और इसके निदान भी आसान हैं.

गेहूं खराब होने की वजह और कैसे करें उपचार ?

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि किसानों के माध्यम से पता लग रहा है कि गेहूं की फसल जो है अभी 30 से 35 दिन की हैं, इनमें पहले नीचे की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और फिर पूरी पत्तियां पीली पड़ जा रही हैं. पत्तियां पीली पड़कर पौधे सूख जा रहे हैं, इसकी एक नहीं बल्कि दो से तीन वजह हो सकती हैं। पहली वजह ये हमें जानना जरूरी होता है, कि ठंड के समय जो है अभी वर्तमान में न्यूनतम तापमान है, वह लगभग 9 से 10 डिग्री के बीच चल रहा है. अधिकतम तापमान जो है लगभग 20 डिग्री के आसपास चल रहा है. ऐसे में फसल को नाइट्रोजन प्रदान करने वाले सूक्ष्मजीव की सक्रियता भी कम हो जाती है. इस दौरान किसान खाद के माध्या से फसल को नाइट्रोजन प्रदान करते हैं जो ऊपरी पत्ती में ट्रांसलोकेट हो जाता है, जिसके कारण नीचे की पत्ती में नाइट्रोजन की कमी होने के कारण पीला हो जाता है पत्ती सूख जाती है।

कीट भी पहुंचाता है फसल को नुकसान


कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि दूसरी वजह जो है अभी वर्तमान में एक कीट है जिसे माहू बोला जाता है. इसे रूट एफिड भी बोला जाता है, ये गेहूं के मुख्य कीट के अंतर्गत तो नहीं आता है, लेकिन ज्यादा बादल होने और आद्रता ज्यादा होने पर मुख्य कीट के रूप में परिवर्तित हो जाता है. इसमें जो गेहूं की फसल का तना होता और जड़ जमीन के पास होती, उसमें जो एफिड हो जाता है और यह रस चूसक कीट होता है. ये पौधे के रस को चूसने का कार्य करता है और फिर वो उस पौधे का पूरा रस चूस लेता जिसके कारण पौधा पीला पड़ जाता है.

फसल को कीट से ऐसे बचाएं

इसके नियंत्रण के लिए जो जैविक खेती करते हैं, वो नीम तेल की दो प्रतिशत मात्रा या फिर एजारी डेक्टिन 0.03% की 2 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल करके छिड़काव कर लें, या फिर नीम सीड कनल एक्सट्रैक्ट की 50 ग्राम मात्रा, प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, इसके अलावा अगर हम रासायनिक कीटनाशक के अंतर्गत बात करें तो इमिडा क्लोप्रिड 17.8% जो मात्रा होती है, उसे 15 लीटर की टंकी होमें 5 से 6 एमएल इस दवा को लेना है. और कार्बेंडा मैंकोजेब दवा की 25 ग्राम मात्रा प्रति टंकी में मिलाकर इसका छिड़काव कर सकते हैं.

ऐसे वापस आएगा हरापन

दवा का घोल छिड़कने के बाद आप देखेंगे कि जैसे ही माहू कीट का नियंत्रण होता है उसके एक हफ्ते से 10 दिनों के बाद उसमें नैनो डीएपी पांच प्रतिशत, मतलब 5 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से आप इसे खेत में छिड़काव कर सकते हैं, तो पौधे में फिर से हरापन आना शुरू हो जाएगा, और गेहूं की गुणवत्ता बढ़ जाएगी।

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गेहूं को बर्बादी से ऐसे बचाएं

शहडोल. धान की खेती के बाद अब ये समय गेहूं की खेती का चल रहा है, किसानों के खेतों पर इस समय हरे भरे गेहूं की फसल देखने को मिल सकती है. लेकिन गेहूं की फसल पर इस बार एक अजीब रोग भी फैल रहा है, जिसने किसानों को परेशान भी कर दिया है. ज्यादातर किसान तो समझ भी नहीं पा रहे हैं कि आखिर गेहूं की फसल के साथ आखिर ऐसा हो क्यों हो रहा है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बी के प्रजापति ने बताया कि गेहूं की फसल में ये कौन से रोग लग रहे हैं, इसका आसानी निदान कैसे करें और किसान कैसे इस नुकसान से बच सकते हैं.

क्या गेहूं में दिख रहे ऐसे लक्षण?

इन दिनों ज्यादातर गेहूं की खेती करने वाले किसान हैरान और परेशान हैं, क्योंकि उनके गेहूं की फसल तो अच्छी आई, फसल जमने के बाद पूरी तरह से हरी थी, लेकिन अचानक ही गेहूं में पीलापन आ गया. गेहूं की फसल की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और किसान समझ नहीं पा रहा है कि आखिर ये हो क्या रहा है. पत्तियां पीली क्यों पड़ रही हैं? क्या इसमें नाइट्रोजन की कमी पड़ रही है? या फिर कोई रोग लग रहा है? ऐसे कई तरह से सवाल किसानों के मन में हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बी के प्रजापति बताते हैं कि अगर गेहूं की फसल में पीलापन आ रहा है, गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं, तो उसके कई कारण हो सकते हैं और इसके निदान भी आसान हैं.

गेहूं खराब होने की वजह और कैसे करें उपचार ?

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि किसानों के माध्यम से पता लग रहा है कि गेहूं की फसल जो है अभी 30 से 35 दिन की हैं, इनमें पहले नीचे की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और फिर पूरी पत्तियां पीली पड़ जा रही हैं. पत्तियां पीली पड़कर पौधे सूख जा रहे हैं, इसकी एक नहीं बल्कि दो से तीन वजह हो सकती हैं। पहली वजह ये हमें जानना जरूरी होता है, कि ठंड के समय जो है अभी वर्तमान में न्यूनतम तापमान है, वह लगभग 9 से 10 डिग्री के बीच चल रहा है. अधिकतम तापमान जो है लगभग 20 डिग्री के आसपास चल रहा है. ऐसे में फसल को नाइट्रोजन प्रदान करने वाले सूक्ष्मजीव की सक्रियता भी कम हो जाती है. इस दौरान किसान खाद के माध्या से फसल को नाइट्रोजन प्रदान करते हैं जो ऊपरी पत्ती में ट्रांसलोकेट हो जाता है, जिसके कारण नीचे की पत्ती में नाइट्रोजन की कमी होने के कारण पीला हो जाता है पत्ती सूख जाती है।

कीट भी पहुंचाता है फसल को नुकसान


कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि दूसरी वजह जो है अभी वर्तमान में एक कीट है जिसे माहू बोला जाता है. इसे रूट एफिड भी बोला जाता है, ये गेहूं के मुख्य कीट के अंतर्गत तो नहीं आता है, लेकिन ज्यादा बादल होने और आद्रता ज्यादा होने पर मुख्य कीट के रूप में परिवर्तित हो जाता है. इसमें जो गेहूं की फसल का तना होता और जड़ जमीन के पास होती, उसमें जो एफिड हो जाता है और यह रस चूसक कीट होता है. ये पौधे के रस को चूसने का कार्य करता है और फिर वो उस पौधे का पूरा रस चूस लेता जिसके कारण पौधा पीला पड़ जाता है.

फसल को कीट से ऐसे बचाएं

इसके नियंत्रण के लिए जो जैविक खेती करते हैं, वो नीम तेल की दो प्रतिशत मात्रा या फिर एजारी डेक्टिन 0.03% की 2 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल करके छिड़काव कर लें, या फिर नीम सीड कनल एक्सट्रैक्ट की 50 ग्राम मात्रा, प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, इसके अलावा अगर हम रासायनिक कीटनाशक के अंतर्गत बात करें तो इमिडा क्लोप्रिड 17.8% जो मात्रा होती है, उसे 15 लीटर की टंकी होमें 5 से 6 एमएल इस दवा को लेना है. और कार्बेंडा मैंकोजेब दवा की 25 ग्राम मात्रा प्रति टंकी में मिलाकर इसका छिड़काव कर सकते हैं.

ऐसे वापस आएगा हरापन

दवा का घोल छिड़कने के बाद आप देखेंगे कि जैसे ही माहू कीट का नियंत्रण होता है उसके एक हफ्ते से 10 दिनों के बाद उसमें नैनो डीएपी पांच प्रतिशत, मतलब 5 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से आप इसे खेत में छिड़काव कर सकते हैं, तो पौधे में फिर से हरापन आना शुरू हो जाएगा, और गेहूं की गुणवत्ता बढ़ जाएगी।

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Last Updated : Jan 20, 2024, 6:09 PM IST
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